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मध्य प्रदेश के उपचुनावों के लिए राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अपराधी होंगे राउंडअप, बॉर्डर मीटिंग में बनाई योजना

भिंड और मुरैना की कुल 7 सीटों पर ही चुनाव होने हैं, इसे लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर भिंड द्वारा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के जिला अधिकारियों के साथ (अंतर्राज्यीय सीमावर्ती समीक्षा बैठक) बॉर्डर मीटिंग की गई.

Border meeting
कलेक्टर भिंड की बॉर्डर मीटिंग
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Published : Oct 25, 2020, 2:18 PM IST

मुरैना। चंबल अंचल का भिंड जिला अपराध की दृष्टि से अति संवेदनशील माना जाता है और भिंड जिले में अभी 2 सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसमें मेहगांव और गोहद शामिल हैं. भिंड जिले की सीमा राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लगभग आधा दर्जन से अधिक जिलों को छूती है, इसलिए यहां सुरक्षा के पुख्ता और पर्याप्त इंतजाम की आवश्यकता है. ये बात जिला निर्वाचन अधिकारी एवं भिंड कलेक्टर द्वारा आयोजित बॉर्डर मीटिंग में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के जिला अधिकारियों से कही.

भिंड जिले को मध्य प्रदेश के मुरैना, ग्वालियर और दतिया के अलावा उत्तर प्रदेश के उरई, इटावा, आगरा और राजस्थान के धौलपुर की सीमा टच करती है. उत्तर प्रदेश के आगरा, इटावा, उरई और मैनपुरी ऐसे कई जिले से लोगों का आवागमन प्रत्यक्ष रूप से भिंड में होता है, जो चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए जिला निर्वाचन अधिकारी भिंड ने चंबल संभाग के समक्ष हुई बॉर्डर मीटिंग में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से न केवल सामाजिक होकर काम करने का सहयोग मांगा है, बल्कि इन जिलों के अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का रिकॉर्ड भी साझा करने पर सहमति बनी है, ताकि उन पर निर्वाचन तिथि से पूर्व कार्रवाई की जा सके.

इसके अलावा चंबल नदी, यमुना नदी और सिंधु नदी के अलावा सड़क मार्गों में 20 संयुक्त पेट्रोलिंग और निगरानी पॉइंट लगाने का प्रस्ताव दिया है. जिस पर उत्तर प्रदेश के जिला अधिकारियों ने अभी कोई ठोस निर्णय न लेते हुए सिर्फ आस्वस्थ किया है. केवल मध्य प्रदेश के सीमावर्ती भिंड और मुरैना की कुल 7 सीटों पर ही उपचुनाव होने हैं. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीमावर्ती जिलों में कोई उपचुनाव नहीं है, इसलिए वहां का प्रशासन चुनावों को लेकर इतना गंभीर नहीं है और यही कारण है कि ग्वालियर चंबल अंचल के प्रशासन के लिए उपचुनावों में शांतिपूर्ण मतदान कराया जाना बड़ी चुनौती होगी.

मुरैना। चंबल अंचल का भिंड जिला अपराध की दृष्टि से अति संवेदनशील माना जाता है और भिंड जिले में अभी 2 सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसमें मेहगांव और गोहद शामिल हैं. भिंड जिले की सीमा राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लगभग आधा दर्जन से अधिक जिलों को छूती है, इसलिए यहां सुरक्षा के पुख्ता और पर्याप्त इंतजाम की आवश्यकता है. ये बात जिला निर्वाचन अधिकारी एवं भिंड कलेक्टर द्वारा आयोजित बॉर्डर मीटिंग में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के जिला अधिकारियों से कही.

भिंड जिले को मध्य प्रदेश के मुरैना, ग्वालियर और दतिया के अलावा उत्तर प्रदेश के उरई, इटावा, आगरा और राजस्थान के धौलपुर की सीमा टच करती है. उत्तर प्रदेश के आगरा, इटावा, उरई और मैनपुरी ऐसे कई जिले से लोगों का आवागमन प्रत्यक्ष रूप से भिंड में होता है, जो चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए जिला निर्वाचन अधिकारी भिंड ने चंबल संभाग के समक्ष हुई बॉर्डर मीटिंग में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से न केवल सामाजिक होकर काम करने का सहयोग मांगा है, बल्कि इन जिलों के अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का रिकॉर्ड भी साझा करने पर सहमति बनी है, ताकि उन पर निर्वाचन तिथि से पूर्व कार्रवाई की जा सके.

इसके अलावा चंबल नदी, यमुना नदी और सिंधु नदी के अलावा सड़क मार्गों में 20 संयुक्त पेट्रोलिंग और निगरानी पॉइंट लगाने का प्रस्ताव दिया है. जिस पर उत्तर प्रदेश के जिला अधिकारियों ने अभी कोई ठोस निर्णय न लेते हुए सिर्फ आस्वस्थ किया है. केवल मध्य प्रदेश के सीमावर्ती भिंड और मुरैना की कुल 7 सीटों पर ही उपचुनाव होने हैं. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीमावर्ती जिलों में कोई उपचुनाव नहीं है, इसलिए वहां का प्रशासन चुनावों को लेकर इतना गंभीर नहीं है और यही कारण है कि ग्वालियर चंबल अंचल के प्रशासन के लिए उपचुनावों में शांतिपूर्ण मतदान कराया जाना बड़ी चुनौती होगी.

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