मंदसौर। जिले में हुई झमाझम बरसात के कारण खरीफ की फसलें अब लहलहा रही हैं. लेकिन फसलें अब इल्लियों के प्रकोप की चपेट में आ गई हैं. सोयाबीन और मक्का फसलों में इस साल आर्मीवर्म और गडर बीटल के अलावा सेमिलूपर इल्लियों की प्रजातियों का तगड़ा हमला हो रहा है. इस पर नियंत्रण के लिए किसान अब बार-बार दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं. जबकि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अब किसानों को जैविक तरीके से निदान की ट्रेनिंग देना शुरू कर दी हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने फसलों में अचानक इल्लियों के हुए प्रकोप के मामले में अब किसानों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. कीटनाशकों के उपयोग से हटकर वैज्ञानिक, अब किसानों को जैविक तरीके से कीट नियंत्रण के उपाय बता रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ जी एस चुंडावत ने प्लास्टिक के डिब्बे और बल्ब की रोशनी से इल्लियों के अंडे देने वाली तितलियों को मारने का देसी यंत्र बनाने और मक्का पर हमला कर रहे आर्मीवर्म को जन्म देने वाली तितली के नियंत्रण के देसी नुस्खे बताएं.
फसलों को हो रहा नुकसान
किसानों का कहना है कि इन दिनों फसलों में इल्लयो के भारी प्रकोप के कारण बडा नुकसान है. जबकि महंगे दामों में खरीदे गए कीटनाशक भी अब कारगर साबित नहीं हो रही है. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर जी चुंडावत ने बताया कि इन दिनों यह समस्या आमतौर पर सामने आ रही है. लेकिन इन पर नियंत्रण के लिए जैविक पद्धति अपनाई जा रहे हैं क्योंकि यह ज्यादा कारगर तरीके हैं. उन्होंने किसानों से जैविक खेती करने और कीट नियंत्रण भी देशी पद्धति से करने की सलाह दी है.