मंदसौर। नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद ठंडी पड़ी शहर की राजनीति में अचानक भूचाल आ गया है. पूर्व अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार की हत्या के बाद खाली हुए इस पद को भरने के लिए कोर्ट ने अब प्रदेश सरकार को 4 हफ्ते में निर्वाचन करवाने का फैसला दिया है. जबकि प्रदेश सरकार इस पद पर कांग्रेस के पार्षद मोहम्मद हनीफ शेख की नियुक्ति कर पहले ही भर चुकी है.
सरकार के इस फैसले को बीजेपी पार्षद राम कोटवानी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इसी मसले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीधी नियुक्ति के बजाय अब लोकतांत्रिक निर्वाचन के आदेश दिए हैं.
ये है पूरा मामला
पिछली 17 जनवरी को जिले के एक बदमाश ने पूर्व अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जिसके बाद से अध्यक्ष पद लंबे समय तक खाली पड़ा रहा. नियम के मुताबिक राज्य सरकार इस पद को भरने के लिए 6 महीने के भीतर इसी परिषद के किसी पार्षद को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है. सरकार ने कांग्रेस के मोहम्मद हनीफ शेख नामक वरिष्ठ पार्षद को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है.
नियम के मुताबिक इस फैसले में पार्षदों की सहमति भी होना जरूरी है. राजनीति के इस विपरीत हालात में भाजपा के वरिष्ठ पार्षद राम कोटवानी ने सरकार के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट इंदौर में केस दायर कर दिया था. उधर सरकार ने 6 महीने की अवधि के 2 दिन पहले ही यानी 5 जुलाई 2017 को इस पद पर मोहम्मद हनीफ शेख की नियुक्ति की थी.
कोर्ट ने दिया निर्वाचन का आदेश
मामले में हाई कोर्ट इंदौर की सिंगल बेंच एक बार पहले भी बीजेपी के पार्षद राम कोटवानी की अपील पर 40 पार्षदों द्वारा ही अध्यक्ष का चुनाव करवाने संबंधी फैसला दे चुकी है. लेकिन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने फिर हाईकोर्ट की डबल बेंच में नई अपील की थी. इसी मामले में डबल बेंच ने सरकार की प्रक्रिया को गलत मानते हुए लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचन के आदेश दिए हैं. इस आदेश के बाद यहां पार्षदों में से दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार खड़े होंगे और बचे हुए पार्षद ही मिलकर अब नए अध्यक्ष का चुनाव करेंगे.