मंदसौर। प्रदेश के मालवा इलाके में अफीम की फसल से काला सोना निकलना शुरू हो गया है. करीब 5 फीट हाइट वाली इस फसल के सबसे ऊपर बिजली के बल्ब के आकार का अफीम फल लगते हैं. जिसमें किसान चीरा लगाते है फिर उसमें से निकलने वाली अफीम को एकत्र किया जाता है.
अक्टूबर महीने में बोई जाने वाली फसल लगभग 6 महीने की होती है.4 महीने बाद फसल पर कलियां और फूल आने शुरू हो जाते हैं. टयूलिप के आकार जैसे दिखने वाले फूलों की पंखुड़ियों के ठीक बीच अफीम का फल यानी डोडा होता है. फल पकने के बाद उसमे चीरा लगाकर निकाला जाता है.चीरे के दौरान जो दूध निकलता है वो अफीम में तब्दील होता है.
इस फल के छिलके से ही निकलने वाला दूध अफीम में तब्दील होता है .फसल के फलों में तीन-चार दिनों के अंतराल में तीन- चार बार ही चीरा लगाया जाता है यानी करीब डेढ़ हफ्ते तक इस फसल से रोजाना थोड़ा-थोड़ा अफीम निकालने का दौर जारी रहता है. पिछले 15 सालों से केंद्र सरकार ने अफीम के दामों में बढ़ोतरी नहीं की है. लिहाजा किसानों ने अब इसके दाम 5 हजार रुपये किलो करने की भी मांग उठाई है.