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गांधी सागर अभयारण्य में पहली बार हुई पक्षियों की प्रजातियों की गिनती, संरक्षण के लिए बनाया जा रहा प्लान

वन विभाग ने पहली बार गांधी सागर अभयारण्य में मौजूद पक्षियों की प्रजातियों की गिनती का काम किया है.

पक्षी संरक्षण अभियान
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Published : Feb 27, 2019, 9:55 AM IST

मंदसौर। वन विभाग ने पहली बार गांधी सागर अभयारण्य में मौजूद पक्षियों की प्रजातियों की गिनती का काम किया है. 3 दिनों तक चले इस अभियान में मंदसौर और नीमच जिले के वनकर्मियों के अलावा महाराष्ट्र के जलगांव, मुंबई और प्रदेश के ही इंदौर और भोपाल जिलों के पक्षी विशेषज्ञ शामिल रहे.

पक्षी संरक्षण अभियान


दरअसल मालवा इलाके के सबसे बड़े वन क्षेत्र गांधी सागर अभयारण्य में वन विभाग ने पक्षी संरक्षण के मद्देनजर उनकी प्रजातियों की गणना का काम किया है. 3 दिनों तक चले इस अभियान में विभागीय अमले और पक्षी विशेषज्ञों को झील की तराई और पहाड़ी इलाकों में अब तक 191 प्रजातियों के पक्षी मिले हैं, वहीं गिनती अभी भी जारी है. विभाग अब इन पक्षियों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाला है.


पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि देश के कई हिस्सों में इजिप्ट व्ल्चर, इंडियन वल्चर, गुड्स स्राइस, किंग विलंगा और शॅार्ट इयर आउल के अलावा टफेड डक जैसी पक्षियों की जातियों में तेजी से कमी हो रही है, लेकिन गांधी सागर में जल, थल और वायु पर्यावरण इन प्रजातियों के लिए अनुकूल है. बता दें कि गांधी सागर अभयारण्य का वन क्षेत्र इसकी झील के किनारे 361 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला हुआ है.

मंदसौर। वन विभाग ने पहली बार गांधी सागर अभयारण्य में मौजूद पक्षियों की प्रजातियों की गिनती का काम किया है. 3 दिनों तक चले इस अभियान में मंदसौर और नीमच जिले के वनकर्मियों के अलावा महाराष्ट्र के जलगांव, मुंबई और प्रदेश के ही इंदौर और भोपाल जिलों के पक्षी विशेषज्ञ शामिल रहे.

पक्षी संरक्षण अभियान


दरअसल मालवा इलाके के सबसे बड़े वन क्षेत्र गांधी सागर अभयारण्य में वन विभाग ने पक्षी संरक्षण के मद्देनजर उनकी प्रजातियों की गणना का काम किया है. 3 दिनों तक चले इस अभियान में विभागीय अमले और पक्षी विशेषज्ञों को झील की तराई और पहाड़ी इलाकों में अब तक 191 प्रजातियों के पक्षी मिले हैं, वहीं गिनती अभी भी जारी है. विभाग अब इन पक्षियों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाला है.


पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि देश के कई हिस्सों में इजिप्ट व्ल्चर, इंडियन वल्चर, गुड्स स्राइस, किंग विलंगा और शॅार्ट इयर आउल के अलावा टफेड डक जैसी पक्षियों की जातियों में तेजी से कमी हो रही है, लेकिन गांधी सागर में जल, थल और वायु पर्यावरण इन प्रजातियों के लिए अनुकूल है. बता दें कि गांधी सागर अभयारण्य का वन क्षेत्र इसकी झील के किनारे 361 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला हुआ है.

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