मंदसौर। चुनावी मौसम में एक बार फिर प्याज के गिरते भाव सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. प्याज के दाम औंधे मुंह गिरने से मालवा के किसानो की परेशानियां भी बढ़ने लगी है. जिले के मंडियों में कौड़ियों के दाम बिक रहे प्याज के कारण किसानों को फसल की लागत तो दूर उन्हें मंडी तक पहुंचाने का भी दाम नहीं मिल पा रहा है, जिसको लेकर किसानों में नाराजगी देखने को मिल रही है.
प्रदेश के मालवा इलाके की कृषि उपज मंडियों में इन दिनों प्याज की महज 500-700 बोरी की आवक हो रही है. वहीं किसानों से 50 पैसे से लेकर दो रुपए प्रति किलो तक प्याज खरीदी जा रही है. किसानों का कहा है कि इस फसल के उत्पादन में ही लगभग 30 हजार प्रति बीघा खर्च होता है. ऐसे में इतने कम भाव मिलने से फसल की लागत से तो दूर मंडी तक लाने की कीमत भी नहीं मिल पा रहा है.
इन हालातों में परेशान किसानों ने केंद्र सरकार से इस फसल के समर्थन मूल्य तय करने की अपील की है. किसानों में प्याज के दाम 2 हजार रूपए क्विंटल तय करने की मांग उठाई है. मंडी व्यापारियों के मुताबिक देश के कई हिस्सों में प्याज की फसल के बंपर उत्पादन होने के कारण प्याज के भाव में गिरावट आई है. चुनावी दौर में प्याज के दाम औंधे मुंह गिरने से यहां के किसान से नाराज हैं लिहाजा इस मुद्दे का चुनाव पर असर पड़ने की संभावना भी जताई जा रही है.