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खतरे में आस्था और विरासत! 400 साल पुराना वट वृक्ष हुआ कमजोर, इसकी छांव में है गालिब शाह की दरगाह - मंदसौर में 400 साल पुराना वट वृक्ष

एक ऐसा वृक्ष जिसके नीचे दरगाह हो और उसकी हिन्दू धर्म में भी पूजा की मान्यता हो तो इसकी अहमियत कई गुना बढ़ जाती है. थडोद गांव में स्थित इस वृक्ष के नीचे जायरीन बाबा की इबादत करने जिलेभर से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं.

Faith and legacy in danger
खतरे में आस्था और विरासत
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Published : Jun 15, 2021, 6:48 PM IST

मंदसौर। जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर महू-नीमच हाईवे से लगे थडोद गांव मे एक वर्षों पुराना वट वृक्ष है. यह वृक्ष जमीन पर करीब 12 बीघा (3 हेक्टेयर) तक फैला है. यह वट वृक्ष कितना पुराना है इसकी पूरे इलाके में कोई भी सटीक जानकारी नहीं दे पाता है. गांव वालों के अनुमान के मुताबिक, यह लगभग 300-500 साल पुराना है. अब यह बरगद का वृक्ष बूढ़ा होने लगा है, वृक्ष की उम्र ज्यादा होने से इसके तने और जड़ें कमजोर होने लगी हैं. लिहाजा जड़ें अपनी जगह छोड़ना शुरु कर चुकी हैं.

खतरे में आस्था और विरासत
  • वृक्ष की छांव में हजरज गालिब शाह बाबा की दरगाह

थडोद गांव के ग्रामीण बताते हैं कि वृक्ष के चारों तरफ मिट्टी की पाल बनाई जा रही है ताकि वृक्ष को अधिक से अधिक पानी मिल सके. थडोद गांव में वर्षों पुराने और करीब 12 बीघा में फैले इस बरगद के वृक्ष की छांव पहले इतनी घनी हुआ करती थी कि वृक्ष के नीचे कई हिस्सों में धूप तक नजर नहीं आती थी. कई जगह अंधेरा छाया रहता था. इसके अलावा इस वृक्ष की सबसे खास बात यह है कि इसके नीचे हजरज गालिब शाह बाबा की दरगाह भी मौजूद है.

  • जायरीन बाबा की इबादत

एक ऐसा वृक्ष जिसके नीचे दरगाह हो और उसकी हिन्दू धर्म में भी पूजा की मान्यता हो तो इसकी अहमियत कई गुना बढ़ जाती है. थडोद गांव में स्थित इस वृक्ष के नीचे जायरीन बाबा की इबादत करने जिलेभर से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. दरगाह के खादिम और वट वृक्ष की देखरेख करने वाले थडोद गांव निवासी दिलावर शाह बताते हैं कि यह वृक्ष जिस तीन हेक्टेयर जमीन पर फैला है वह उनकी और उनके अन्य चार भाईयों के नाम है. वर्षों से दिलावर शाह का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी गालिब शाह बाबा की इबादत और इस प्राचीन वट वृक्ष की देखरेख करते आ रहे है.

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  • 10 वर्ष पहले वन विभाग को दी गई थी संरक्षण की जानकारी

दिलावर शाह बताते हैं कि पहले यह वट वृक्ष इतना घना था कि दरगाह के आसपास अंधेरा छाया रहता था और लोग यहां आने तक से खबराते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वृक्ष का स्वरुप बदलने लगा है. इस वृक्ष की देखरेख को लेकर खबर है कि 10 वर्ष पहले इसकी जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों के हांथो में थी, लेकिन अब वह भी इसकी ओर ध्यान नहीं देते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक, कुछ दिनों पहले जिला कलेक्टर मनोज पुष्प गांव के दौरे पर आए थे. इस दौराना कलेक्टर वट वृक्ष को भी देखने पहुंचे थे. जिसके बाद कलेक्टर पुष्प ने विशेषज्ञों की टीम बुलवाने और वृक्ष के बचाव के लिए योजना बनाने की बात कही थी.

  • प्राचीन धरोहर पर खतरा

मंदसौर जिला पंचायत सीईओ रिषव गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि थडोद गांव के प्राचीन वृक्ष के सरंक्षण के लिए राजस्व विभाग, ग्रामीण विकास विभाग ओर पीएचई विभाग के साथ मिलकर योजना तैयार की जा रही है. यह एक प्राचीन धरोहर है जिसको सहेजना हम सबका कर्तव्य है और अगर इसकी यही हालात यही तो देखते ही देखते यह प्राचीन धरोहर नष्ट हो जाएगी और दिलावर शाह, उनके पूर्वजों की मेहनत भी मिट्टी मे मिल जाएगी.

मंदसौर। जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर महू-नीमच हाईवे से लगे थडोद गांव मे एक वर्षों पुराना वट वृक्ष है. यह वृक्ष जमीन पर करीब 12 बीघा (3 हेक्टेयर) तक फैला है. यह वट वृक्ष कितना पुराना है इसकी पूरे इलाके में कोई भी सटीक जानकारी नहीं दे पाता है. गांव वालों के अनुमान के मुताबिक, यह लगभग 300-500 साल पुराना है. अब यह बरगद का वृक्ष बूढ़ा होने लगा है, वृक्ष की उम्र ज्यादा होने से इसके तने और जड़ें कमजोर होने लगी हैं. लिहाजा जड़ें अपनी जगह छोड़ना शुरु कर चुकी हैं.

खतरे में आस्था और विरासत
  • वृक्ष की छांव में हजरज गालिब शाह बाबा की दरगाह

थडोद गांव के ग्रामीण बताते हैं कि वृक्ष के चारों तरफ मिट्टी की पाल बनाई जा रही है ताकि वृक्ष को अधिक से अधिक पानी मिल सके. थडोद गांव में वर्षों पुराने और करीब 12 बीघा में फैले इस बरगद के वृक्ष की छांव पहले इतनी घनी हुआ करती थी कि वृक्ष के नीचे कई हिस्सों में धूप तक नजर नहीं आती थी. कई जगह अंधेरा छाया रहता था. इसके अलावा इस वृक्ष की सबसे खास बात यह है कि इसके नीचे हजरज गालिब शाह बाबा की दरगाह भी मौजूद है.

  • जायरीन बाबा की इबादत

एक ऐसा वृक्ष जिसके नीचे दरगाह हो और उसकी हिन्दू धर्म में भी पूजा की मान्यता हो तो इसकी अहमियत कई गुना बढ़ जाती है. थडोद गांव में स्थित इस वृक्ष के नीचे जायरीन बाबा की इबादत करने जिलेभर से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. दरगाह के खादिम और वट वृक्ष की देखरेख करने वाले थडोद गांव निवासी दिलावर शाह बताते हैं कि यह वृक्ष जिस तीन हेक्टेयर जमीन पर फैला है वह उनकी और उनके अन्य चार भाईयों के नाम है. वर्षों से दिलावर शाह का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी गालिब शाह बाबा की इबादत और इस प्राचीन वट वृक्ष की देखरेख करते आ रहे है.

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  • 10 वर्ष पहले वन विभाग को दी गई थी संरक्षण की जानकारी

दिलावर शाह बताते हैं कि पहले यह वट वृक्ष इतना घना था कि दरगाह के आसपास अंधेरा छाया रहता था और लोग यहां आने तक से खबराते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वृक्ष का स्वरुप बदलने लगा है. इस वृक्ष की देखरेख को लेकर खबर है कि 10 वर्ष पहले इसकी जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों के हांथो में थी, लेकिन अब वह भी इसकी ओर ध्यान नहीं देते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक, कुछ दिनों पहले जिला कलेक्टर मनोज पुष्प गांव के दौरे पर आए थे. इस दौराना कलेक्टर वट वृक्ष को भी देखने पहुंचे थे. जिसके बाद कलेक्टर पुष्प ने विशेषज्ञों की टीम बुलवाने और वृक्ष के बचाव के लिए योजना बनाने की बात कही थी.

  • प्राचीन धरोहर पर खतरा

मंदसौर जिला पंचायत सीईओ रिषव गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि थडोद गांव के प्राचीन वृक्ष के सरंक्षण के लिए राजस्व विभाग, ग्रामीण विकास विभाग ओर पीएचई विभाग के साथ मिलकर योजना तैयार की जा रही है. यह एक प्राचीन धरोहर है जिसको सहेजना हम सबका कर्तव्य है और अगर इसकी यही हालात यही तो देखते ही देखते यह प्राचीन धरोहर नष्ट हो जाएगी और दिलावर शाह, उनके पूर्वजों की मेहनत भी मिट्टी मे मिल जाएगी.

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