मंडला। मंडला के रण में 10 महारथी एक दूसरे को ललकार रहे हैं. हर सेनापति के पीछे कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी है. 29 अप्रैल को सभी सेनापति अपना दमखम दिखाएंगे, लेकिन 23 मई को नतीजों के साथ ही ये तय हो पायेगा कि किसमें है कितना दम, मंडला में कौन बना बाजीगर.
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित मंडला सीट पर इस बार 19 लाख 49 हजार 412 मतदाता हैं. जिनमें 9 लाख 81 हजार पुरुष मतदाता तो 9 लाख 67 हजार 615 महिला मतदाता हैं, जबकि 23 मतदाता थर्ड जेंडर हैं. मंडला में इस बार कुल 2845 मतदान केंद्र बनाए गये हैं.
मंडला सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो इस सीट पर अब तक हुए 14 चुनावों में 8 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है तो 5 बार बीजेपी ने परचम लहराया है, जबकि एक बार निर्दलीय प्रत्याशी भी झंडा बुलंद कर चुका है. कभी कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर अब बीजेपी का दबदबा माना जाता है. बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला से पांच बार सांसद रहे हैं. मौजूदा सांसद कुलस्ते एनडीए की सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं.
मंडला संसदीय क्षेत्र में मंडला, बिछिया, निवास, डिंडौरी, शाहपुरा और लखनादौन मिलाकर 8 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें 6 पर कांग्रेस काबिज है तो 2 बीजेपी के पास है. 2014 के लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते ने कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम को हराया था, जबकि विधानसभा चुनाव परिणाम के आधार पर इस बार मंडला में कांग्रेस बढ़त बनाती नजर आ रही है.
छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मंडला के कुछ मतदान केंद्रों को इस बार अतिसंवेदनशील माना गया है. जिस पर प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है. यहां के सभी मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी से निगरानी की जायेगी. आदिवासी बाहुल्य मंडला सीट पर इस बार कांग्रेस ने कमल सिंह मरावी को बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते को पटखनी देने के लिए मैदान में उतारा है. हालांकि ये तो 23 मई को ही तय होगा कि कमलनाथ के भरोसेमंद सिपाही कमल सिंह का भाग्य उदय होता है. या फिर कुलस्ते बीजेपी के कुल का झंडा आदिवासी लैंड में बुलंद करते हैं.