ETV Bharat / state

भाईदूज पर मंडला की अनोखी परंपरा, बहने भाई के दुश्मन पर करती हैं हमला, पढ़िए पूरी ख़बर

मंडला जिले में भाईदूज के दिन बहनें हाथों में बेलन और मूशल से भाई के दुश्मन पर वार करती हैं. भाईदूज की यह परंपरा सदियों से निभाई जा रही है.

unique ritual followed on bhaidooj in mandla
भाईदूज पर बहने भाई के दुश्मन पर करती है हमला
author img

By

Published : Nov 16, 2020, 2:13 PM IST

मण्डला। मंडला जिले में भाईदूज का पर्व बहनों ने पारंपरिक अंदाज में मनाया. बहनों ने व्रत रखा और फिर गोबर से गोवर्धन पर्वत के साथ ही भाई के दुश्मन, राक्षस, सांप बिच्छू बनाए. फिर पूजा के बाद भाइयों के दुश्मनों पर मूशल, बेलन, मथानी से उनका नाश कर दिया.

भाईदूज पर बहने भाई के दुश्मन पर करती है हमला

भाईदूज के दिन हर उम्र की बहनें सुबह से उपवास करती हैं. फिर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाती हैं. साथ ही सांप, बिच्छू और राक्षस जैसे भाइयों के दुश्मनों के प्रतीक बनाए जाते हैं. इसके बाद सबसे पहले कृष्ण भगवान की पूजा होती है और भाई के बैरियों को भी पूजा और प्रसाद, मिठाई खिलाकर उन्हें मनाया जाता है. फिर जब वे नहीं मानते तो उन पर बेर के कांटे रखे जाते हैं और उन्हें रसोई में लगने वाले सामानों जैसे बेलन, मथानी, मूशल से कुचल कर मारा जाता है. इसके बाद बनाए गए तालाब से लोटे में जल और दूध लेकर भाइयों के दुख दर्द पीया जाता है. जो यह बताने को काफी है कि बहनें कहीं भी अपने भाईयों को हमेशा खुश देखना चाहती हैं और उनके सभी दुख दर्द को हंसते हंसते खुद ले लेती हैं.

सिर्फ भाइयों के लिए होता है प्रसाद

भाईदूज के दिन प्रसाद में नारियल, मिठाई और आटे की अठवाएं चढ़ाई जाती है, जो शुद्व घी से बनाई जाती है. खास बात यह कि पूजा में चढ़ाया गया प्रसाद सिर्फ भाई ही खा सकते हैं. घर का कोई सदस्य नहीं खा सकता. जिन की शादी हो चुकी वे बहनें अपने भाइयों को इस दिन निमंत्रण देती हैं. अपने घर पर बुलाती हैं और पूजा के बाद उन्हें भोजन कराती हैं. इस पर्व में वे मायके नहीं जाती.

इस दिन नहीं संवारे जाते बाल

बहनें भाईदूज के दिन न तो बाल धोती हैं और न ही इस दिन उन्हें संवारती हैं. जिसके पीछे मान्यता है कि बाल झड़ने या फिर कंघी करने से भाइयों की संपन्नता कम होती है और मायके से प्रेम घटता है. कोई भी बहन कभी यह नहीं चाहेगी, कि उनके भाइयों की संपन्नता कम हो, या फिर मायके में उनका प्रेम और स्नेह घटे.

मण्डला। मंडला जिले में भाईदूज का पर्व बहनों ने पारंपरिक अंदाज में मनाया. बहनों ने व्रत रखा और फिर गोबर से गोवर्धन पर्वत के साथ ही भाई के दुश्मन, राक्षस, सांप बिच्छू बनाए. फिर पूजा के बाद भाइयों के दुश्मनों पर मूशल, बेलन, मथानी से उनका नाश कर दिया.

भाईदूज पर बहने भाई के दुश्मन पर करती है हमला

भाईदूज के दिन हर उम्र की बहनें सुबह से उपवास करती हैं. फिर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाती हैं. साथ ही सांप, बिच्छू और राक्षस जैसे भाइयों के दुश्मनों के प्रतीक बनाए जाते हैं. इसके बाद सबसे पहले कृष्ण भगवान की पूजा होती है और भाई के बैरियों को भी पूजा और प्रसाद, मिठाई खिलाकर उन्हें मनाया जाता है. फिर जब वे नहीं मानते तो उन पर बेर के कांटे रखे जाते हैं और उन्हें रसोई में लगने वाले सामानों जैसे बेलन, मथानी, मूशल से कुचल कर मारा जाता है. इसके बाद बनाए गए तालाब से लोटे में जल और दूध लेकर भाइयों के दुख दर्द पीया जाता है. जो यह बताने को काफी है कि बहनें कहीं भी अपने भाईयों को हमेशा खुश देखना चाहती हैं और उनके सभी दुख दर्द को हंसते हंसते खुद ले लेती हैं.

सिर्फ भाइयों के लिए होता है प्रसाद

भाईदूज के दिन प्रसाद में नारियल, मिठाई और आटे की अठवाएं चढ़ाई जाती है, जो शुद्व घी से बनाई जाती है. खास बात यह कि पूजा में चढ़ाया गया प्रसाद सिर्फ भाई ही खा सकते हैं. घर का कोई सदस्य नहीं खा सकता. जिन की शादी हो चुकी वे बहनें अपने भाइयों को इस दिन निमंत्रण देती हैं. अपने घर पर बुलाती हैं और पूजा के बाद उन्हें भोजन कराती हैं. इस पर्व में वे मायके नहीं जाती.

इस दिन नहीं संवारे जाते बाल

बहनें भाईदूज के दिन न तो बाल धोती हैं और न ही इस दिन उन्हें संवारती हैं. जिसके पीछे मान्यता है कि बाल झड़ने या फिर कंघी करने से भाइयों की संपन्नता कम होती है और मायके से प्रेम घटता है. कोई भी बहन कभी यह नहीं चाहेगी, कि उनके भाइयों की संपन्नता कम हो, या फिर मायके में उनका प्रेम और स्नेह घटे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.