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मंडला में जीत का रास्ता खोलती है केवलारी विधानसभा, बीजेपी-कांग्रेस दे रही खास ध्यान - कमल सिंह मरावी

कांग्रेस इस बार मंडला संसदीय सीट की केवलारी विधानसभा पर ज्यादा फोकस कर रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर हार मिली थी. जिसके चलते कांग्रेस इस बार केवलारी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है.

कांग्रेस प्रत्याशी कमल मरावी और बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते
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Published : Apr 17, 2019, 11:52 PM IST

मंडला। आदिवासी बाहुल्य मंडला लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की ट्क्कर बताई जा रही है. मंडला लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी कमल मरावी का कहना है चुनाव में सभी की प्रतिष्ठा दांव पर है. लेकिन इस बार मंडला में कांग्रेस की ही जीत होगी. खास बात यह है कांग्रेस इस बार संसदीय सीट की केवलारी विधानसभा पर ज्यादा फोकस कर रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर हार मिली थी.

केवलारी विधानसभा सीट मंडला में कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी के इस गढ़ में सेंधमारी करते हुए यह सीट कांग्रेस से छीन ली. जबकि 2014 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते ने केवलारी सीट से ही बढ़त हासिल की थी. उन्हें केवलारी में 32 हजार वोटों से लीड मिली थी. कांग्रेस इस बार इस सीट पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है. केवलारी विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल्य मानी जाती, जिसके चलते दोनों प्रत्याशी यहां अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं. खास बात यह है कि केवलारी विधानसभा के वोटर जिस प्रत्याशी पर दांव लगाते हैं, लोकसभा में उसकी जीतने के चांस बढ़ जाते हैं.

मंडला में जीत का रास्ता खोलती है केवलारी विधानसभा।

केवलारी क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने पहुंचे कांग्रेस प्रत्याशी कमल मरावी का कहना है कि जनता ने फग्गनसिंह कुलस्ते को हराने का मन बना लिया है. उन्होंने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि वे बड़े अंतर से चुनाव जीत रहे हैं. कांग्रेस ने प्रत्याशी ने कहा कि पहले उन्हें लग रहा था कि लोकसभा का चक्रव्यूह उनको अकेले ही भेदना होगा. लेकिन अब पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता कांग्रेस को जिताने के लिए लगा हुआ है.

मंडला। आदिवासी बाहुल्य मंडला लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की ट्क्कर बताई जा रही है. मंडला लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी कमल मरावी का कहना है चुनाव में सभी की प्रतिष्ठा दांव पर है. लेकिन इस बार मंडला में कांग्रेस की ही जीत होगी. खास बात यह है कांग्रेस इस बार संसदीय सीट की केवलारी विधानसभा पर ज्यादा फोकस कर रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर हार मिली थी.

केवलारी विधानसभा सीट मंडला में कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी के इस गढ़ में सेंधमारी करते हुए यह सीट कांग्रेस से छीन ली. जबकि 2014 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते ने केवलारी सीट से ही बढ़त हासिल की थी. उन्हें केवलारी में 32 हजार वोटों से लीड मिली थी. कांग्रेस इस बार इस सीट पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है. केवलारी विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल्य मानी जाती, जिसके चलते दोनों प्रत्याशी यहां अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं. खास बात यह है कि केवलारी विधानसभा के वोटर जिस प्रत्याशी पर दांव लगाते हैं, लोकसभा में उसकी जीतने के चांस बढ़ जाते हैं.

मंडला में जीत का रास्ता खोलती है केवलारी विधानसभा।

केवलारी क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने पहुंचे कांग्रेस प्रत्याशी कमल मरावी का कहना है कि जनता ने फग्गनसिंह कुलस्ते को हराने का मन बना लिया है. उन्होंने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि वे बड़े अंतर से चुनाव जीत रहे हैं. कांग्रेस ने प्रत्याशी ने कहा कि पहले उन्हें लग रहा था कि लोकसभा का चक्रव्यूह उनको अकेले ही भेदना होगा. लेकिन अब पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता कांग्रेस को जिताने के लिए लगा हुआ है.

Intro:मण्डला लोकसभा से 2014 के चुनाव में फग्गनसिंह कुलस्ते को जो जीत मिली थी उसकी इबारत लिखी थी केवलारी विधानसभा के वोटरों ने और 2018 के विधानसभा चुनाव भी कॉंग्रेश के लिए लगभग ढाई दशक के बाद सबसे बुरा समय लेकर आये और प्रदेश के कद्दावर नेता ठाकुर हरवंश सिंह के पुत्र यहाँ से हार गए इस लिहाज से इस लोकसभा चुनाव में कॉंग्रेश की जीत की डगर बहुत मुश्किल होगी


Body:केवलारी विधानसभा क्षेत्र कॉंग्रेश का गढ़ माना जाता था जीसे भाजपा ने बीते विधानसभा चुनावों में भेदा और ढाई दशक बाद यहाँ से भाजपा का विधायक चुना गया,वहीं अगर 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के आंकड़े देखें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के प्रत्याशी फग्गनसिंह कुलस्ते को लगभग 32 हज़ार वोटों की लीड इस विधानसभा क्षेत्र से ही मिली थी इन दोनों ही समीकरण को देखें तो विधानसभा चुनावों में साढ़े छः हज़ार वोटों और लोकसभा चुनाव 2014 में 32 हज़ार वोटों से पिछड़ी कॉंग्रेश के लिए यहाँ से इस अंतर को पटना कोई आसान काम नहीं होगा,हालाँकि केवलारी क्षेत्र में अपना चुनाव प्रचार करने पहुँचे कमल मरावी का कहना है कि अब अगर मगर की कोई बात नहीं जनता ने फग्गनसिंह कुलस्ते को हराने का मन बना लिया है और वे बड़े अंतर से चुनाव जीत रहे हैं।बात यदि केवलारी के मतदाताओं की करें तो यहाँ के वोटरों का साथ जिसे मिल जाता है उसके लिए दिल्ली पहुँचने का रास्ता आसान हो जाता है जैसे कि फग्गनसिंह कुलस्ते को एक बार हार का स्वाद चखाने वाले बसोरी सिंह मसराम केवलारी के मतदाताओं की बदौलत ही दिल्ली तक पहुँचे थे


Conclusion:पार्टी के कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद कमल सिंह मरावी ने बताया कि पहले उन्हें लग रहा था कि लोकसभा का चक्रव्यूह उनको अकेले ही भेदना है लेकिन अब उन्हें लग रहा कि हर एक कार्यकर्ता कमल मरावी बन कर जनता के बीच है जो हाथ को मजबूत बनाने का काम कर रहा है बता दें कि फग्गनसिंह कुलस्ते को केवलारी से 32 हज़ार और गोटेगांव से 18 हज़ार से ज्यादा वोटों की लीड मिली थी वहीं वे मण्डला डिंडौरी और निवास क्षेत्र में उतना अच्छा प्रदर्शन नही कर पाए थे इस लिहाज से केवलारी विधानसभा पर फिर से सबकी नजर रहेगी

बाईट--कमल सिंह मरावी
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