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अनोखे टेलेंट का महारथी है ये शख्स, एक गाने ने कर दिया कमाल, फिर भी गुमनाम?

श्याम बैरागी को गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल गाने ने एक पहचान तो दिलाई छालीवुड ने भी इन्हें हाथों हाथ लिया और अपने सम्मान से भी नवाजा.

जादुई आवाज का महारथी
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Published : Jun 17, 2019, 5:06 AM IST

Updated : Jun 17, 2019, 2:15 PM IST

मंडला। देश के ज्यादातर राज्यों में रोज सुबह जब कचरा लेने कचरा गाड़ी आती है तो एक ही गाना सुनाई देता है, 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल' यह गाना हर वर्ग की जुबां पर चढ़ा हुआ है. पूरे देश में सुने जाने वाले इस गीत के लेखक और संगीतकार और गायक के बारे में कम ही लोग जानते हैं. तो आईये हम आपको उस कलाकार से मिलवाते हैं जो पूरे देश में छाया है लेकिन फिर भी गुमनाम है.

जादुई आवाज का महारथी

बात कर रहे हैं श्याम बैरागी की, जिन्होंने 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल' वाले गीत से अपनी पहचान बनायी है. वह जिले के वनांचल में बसे बहेरी गांव में जन्मे हैं. श्याम एक अच्छे लेखक कवि के साथ ही एक बेहतरीन गायक भी हैं, जिनकी 2 दर्जन से ज्यादा सीडी निकल चुकी हैं. जिनमें इस कलाकार ने कैशलैश इंडिया, बेटी बचाओ अभियान, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई, खेती किसानी, शुद्ध जल के साथ ही समाज की हर बुराई से लड़ने को गीतों के माद्यम से पेश किया है.

सरकार ने वो सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार!
लोकसभा चुनाव के दौरान जागरूकता रथ में 300 से ज्यादा गांव तक मतदाता को जागरूक करने उनके बीच भी गए. पेशे से शिक्षक आचार्य सम्मान से सम्मनित श्याम बैरागी की प्रतिभा को सबसे पहले नैनपुर के परसराम श्रीवत्री ने देखा, समझा और उसे निखारा भी. जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें जिला स्तर पर भरपूर मौका दिया. हालांकि सरकार ने उनको वो सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार हैं. श्याम बैरागी का गरीबी से कलाकार तक का सफर मुश्किल भरा रहा है. माता पिता के निरक्षर होने के बावजूद श्याम ने वो कर दिखाया जिसकी उन्होंने खुद कल्पना नहीं की थी.

इस बात से पत्नि रहती थी परेशान
श्याम की पत्नी भी शादी के बाद इस बात को लेकर परेशान रहतीं थी कि उनके पति रात को उठ कर पता नहीं क्या लिखते पढ़ते रहते हैं और कभी भी गाने लगते हैं, लेकिन आज जब गली गली में उनके गाने गूंजते हैं तो वे भी गर्व का अनुभव करती हैं. श्याम बैरागी को लिखने पढ़ने का शौक शुरू से ही रहा है. पहले कविताएं, लेख अखबारों में भेजते थे, जिन्हें वे एक संग्रह का रूप दे रहे हैं.

चमक-दमक से दूर रहना करते हैं पसंद
श्याम बैरागी को गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल गाने ने एक पहचान तो दिलाई छालीवुड ने भी इन्हें हाथों हाथ लिया और अपने सम्मान से भी नवाजा. वहीं महाराष्ट्र के बीड इनके गाने की शूटिंग हुई, जिसके बाद गार्बेज क्लीनिक नोएडा कंपनी इस गीत को पूरे महाराष्ट्र में कचरा गाड़ी में चलाएगी. इस अचीवमेंट पर श्याम कहते हैं कि मेरी अपेक्षा केंद्र सरकार से है जो चाहे तो हर एक योजनाओं पर लिखे उनके गीत का उपयोग अभियान चलाने में कर सकती है. श्याम ऊपरी चमक-दमक से दूर आज भी निरन्तर स्थानीय बोली का सृजन करते चले आ रहे हैं और उन्हें पता है कि सफलता की राह मुश्किल तो जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं.

मंडला। देश के ज्यादातर राज्यों में रोज सुबह जब कचरा लेने कचरा गाड़ी आती है तो एक ही गाना सुनाई देता है, 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल' यह गाना हर वर्ग की जुबां पर चढ़ा हुआ है. पूरे देश में सुने जाने वाले इस गीत के लेखक और संगीतकार और गायक के बारे में कम ही लोग जानते हैं. तो आईये हम आपको उस कलाकार से मिलवाते हैं जो पूरे देश में छाया है लेकिन फिर भी गुमनाम है.

जादुई आवाज का महारथी

बात कर रहे हैं श्याम बैरागी की, जिन्होंने 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल' वाले गीत से अपनी पहचान बनायी है. वह जिले के वनांचल में बसे बहेरी गांव में जन्मे हैं. श्याम एक अच्छे लेखक कवि के साथ ही एक बेहतरीन गायक भी हैं, जिनकी 2 दर्जन से ज्यादा सीडी निकल चुकी हैं. जिनमें इस कलाकार ने कैशलैश इंडिया, बेटी बचाओ अभियान, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई, खेती किसानी, शुद्ध जल के साथ ही समाज की हर बुराई से लड़ने को गीतों के माद्यम से पेश किया है.

सरकार ने वो सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार!
लोकसभा चुनाव के दौरान जागरूकता रथ में 300 से ज्यादा गांव तक मतदाता को जागरूक करने उनके बीच भी गए. पेशे से शिक्षक आचार्य सम्मान से सम्मनित श्याम बैरागी की प्रतिभा को सबसे पहले नैनपुर के परसराम श्रीवत्री ने देखा, समझा और उसे निखारा भी. जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें जिला स्तर पर भरपूर मौका दिया. हालांकि सरकार ने उनको वो सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार हैं. श्याम बैरागी का गरीबी से कलाकार तक का सफर मुश्किल भरा रहा है. माता पिता के निरक्षर होने के बावजूद श्याम ने वो कर दिखाया जिसकी उन्होंने खुद कल्पना नहीं की थी.

इस बात से पत्नि रहती थी परेशान
श्याम की पत्नी भी शादी के बाद इस बात को लेकर परेशान रहतीं थी कि उनके पति रात को उठ कर पता नहीं क्या लिखते पढ़ते रहते हैं और कभी भी गाने लगते हैं, लेकिन आज जब गली गली में उनके गाने गूंजते हैं तो वे भी गर्व का अनुभव करती हैं. श्याम बैरागी को लिखने पढ़ने का शौक शुरू से ही रहा है. पहले कविताएं, लेख अखबारों में भेजते थे, जिन्हें वे एक संग्रह का रूप दे रहे हैं.

चमक-दमक से दूर रहना करते हैं पसंद
श्याम बैरागी को गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल गाने ने एक पहचान तो दिलाई छालीवुड ने भी इन्हें हाथों हाथ लिया और अपने सम्मान से भी नवाजा. वहीं महाराष्ट्र के बीड इनके गाने की शूटिंग हुई, जिसके बाद गार्बेज क्लीनिक नोएडा कंपनी इस गीत को पूरे महाराष्ट्र में कचरा गाड़ी में चलाएगी. इस अचीवमेंट पर श्याम कहते हैं कि मेरी अपेक्षा केंद्र सरकार से है जो चाहे तो हर एक योजनाओं पर लिखे उनके गीत का उपयोग अभियान चलाने में कर सकती है. श्याम ऊपरी चमक-दमक से दूर आज भी निरन्तर स्थानीय बोली का सृजन करते चले आ रहे हैं और उन्हें पता है कि सफलता की राह मुश्किल तो जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं.

Intro:पूरे देश में हर रोज सुबह सबेरे जब कचरा लेने गाड़ी आती है तो एक ही गाना सुनाई देता है,"गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल..." यह गाना बच्चों से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों सबकी जुबान पर चढ़ा हुआ है लेकिन पूरे देश मे सुने जाने वाले इस गीत के लेखक, संगीतकार और गायक के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि यह किसका गाना है आइए हम आपको मिलाते हैं उस कलाकार से जो पूरे देश मे तो छाया हुआ है लेकिन अब भी गुमनाम है


Body:मण्डला जिले के वनांचल के बीच बसे एक छोटे गाँव बहेरी में जन्मा और पला बढ़ा यह साधारण सा दिखने वाला इन्शान आज पूरे देश मे अपनी आवाज के जरिये छाया हुआ तो है लेकिन इसे अब तक वो पहचान नहीं मिली जिसका यह हक़दार है,हम बात कर रहे हैं श्याम बैरागी की जिनके द्वारा लिखे गए और गाए गए गाने को हर सुबह पूरा देश न केवल सुनता है बल्कि उनकी आवाज सुनते ही एक ऐसे अभियान से जुड़ जाता है जो नरेंद्र मोदी ने 2016 में छेड़ा और इसी से प्रभावित होकर श्याम ने एक ऐसा गीत लिखा जो आज पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर शहर या गाँव तक गूँज रहा है। श्याम एक अच्छे लेखक कवि के साथ ही एक बेहतरीन गायक भी हैं जिनकी 2 दर्जन से ज्यादा सीडी निकल चुकी हैं और इनमें इस कलाकार ने,कैश लेश इंडिया,बेटी बचाओ अभियान,कुपोषण के खिलाफ लड़ाई,खेती किसानी,शुद्ध जल के साथ ही समाज की हर बुराई से लड़ने को गीतों के माद्यम से पेश किया है लोकसभा चुनाव के दौरान जागरूकता रथ में 300 से ज्यादा गाँव तक मतदाता को जागरूक करने उनके बीच भी गए,पेशे से शिक्षक आचार्य सम्मान से सम्मनित श्याम बैरागी की प्रतिभा को सबसे पहले नैनपुर के परसराम श्रीवत्री ने देखा समझा और उसे निखारा भी इसके बाद मण्डला जिले के प्रशासन ने इन्हें जिला स्तर पर भरपूर मंच दिया लेकिन प्रदेश सरकार से लेकर देश की सरकार ने इनकी आवाज को सुना सराहा,और इनके गाने को अपने अभियान से जोड़ा भी लेकिन वो स्थान नहीं दिया जिसके ये हकदार हैं,गरीबी से उठ कर कलाकार बनने तक कि कहानी श्याम की मुसीबत भरी रही है इनके निराक्षर पिता ने पढाई के लिए अपनी जमीन बेच दी थी तो माँ आज भी यह नहीं जानती की उनका बेटा क्या करता है,उन्हें तो बस बेटे के गाने अच्छे लगते हैं इस से ज्यादा कुछ नहीं पता,श्याम की पत्नी भी शादी के बाद इस बात को लेकर परेशान रहतीं थी कि उनके पति रात को उठ कर पता नहीं क्या लिखते पढ़ते रहते हैं और कभी भी गाने लगते हैं लेकिन आज जब गली गली में उनके गाने गूँज रहे तो वे भी गर्व का अनुभव करती हैं।श्याम बैरागी को लिखने पढ़ने का शौक शुरू से ही रहा है,पहले कविताएं लेख अखबारों में भेजते थे जिन्हें वे एक संग्रह का रूप दे रहे हैं


Conclusion:श्याम बैरागी को गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल गाने ने एक पहचान तो दिलाई छालीवुड ने भी इन्हें हाथों हाथ लिया और अपने सम्मान से भी नवाजा वहीं महाराष्ट्र के बीड इनके गाने की शूटिंग हुई जिसके बाद गार्बेज क्लीनिक नोएडा कंपनी इस गीत को पूरे महाराष्ट्र में कचरा गाड़ी में चलाएगी इस अचीवमेंट पर श्याम कहते हैं कि मेरी अपेक्षा केंद्र सरकार से है जो चाहे तो हर एक योजनाओं पर लिखे उनके गीत का उपयोग अभियान चलाने में कर सकती है और सरल सहज सब्दों के जरिये जनता को जागरूक कर सकती है।श्याम ऊपरी चमक दमक से दूर आज भी निरन्तर स्थानीय बोली का सृजन करते चले आ रहे हैं और उन्हें पता है कि सफलता की राह मुश्किल तो जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं हम भी आशा करते हैं कि एक दिन यह सितारा जरूर मण्डला जिले के नाम को पूरे देश मे रौशन करेगा।
Last Updated : Jun 17, 2019, 2:15 PM IST
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