ETV Bharat / state

Mandla News: बैगा समुदाय में होती है अनोखी शादी, प्रेम गीत गाकर एक दूसरे को लड़का-लड़की करते हैं पसंद - मध्यप्रदेश बैगा समुदाय विवाह विलुप्त

मंडला में बैगा समाज के लोगों में अनोखा विवाह होता है. यहां लड़का-लड़की एक दूसरे को अच्छे से जानने के लिए प्रेम गीत गाते हैं. अब धीरे-धीरे ये परंपरा विलुप्त होती जा रही है.

unique marriage of baiga community
मध्यप्रदेश बैगा समुदाय विवाह विलुप्त
author img

By

Published : Feb 9, 2023, 6:24 PM IST

एमपी आदिवासी विवाह

मंडला। अब तक आपने धार्मिक रीति रिवाजों से कई विवाह देखे और सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे विवाह को दिखा और सुना रहें हैं जो थोड़ा हट कर है. यह विवाह राष्ट्रीय मानव कहे जाने वाले बैगा समुदाय का है. इसकी शुरूआत रोमांस से होती है और विवाह पर जाकर खत्म होती है. हालांकि, अब ये परंपरा धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. इस अनोखी परंपरा से दहेज प्रथा कोसों दूर है.
अलीराजपुर की अनोखी शादीः 15 साल लिव-इन में रहकर बना छह बच्चों का पिता, 42 की उम्र में की तीन दुल्हनों से शादी

बैगा समुदाय में होता है अनोखा विवाह: आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के बैगा समुदायों में दशहरा के बाद से इस विवाह की शुरुआत होती है, इसी वजह से इसे 'दसेरा नाच' कहा जाता है. यह केवल दो दिनों का होता है. इसमें लड़का हो या लड़की एक दूसरे का परिचय लेने एक दूसरे के गांव जाते हैं. बैगा समुदाय की लड़कियां अपने पारंपरिक वेशभूषा में सजती संवरती हैं. यह एक ऐसी वेशभूषा होती है, जो बहुत कम देखने को मिलती है. जिस गांव में दसेरा नाच होता है, उस दिन उस गांव में चहल पहल बनी रहती है, लेकिन अब ये परंपरा विलुप्त होते जा रही है. इसे बचाने के लिए प्रशासन भी कुछ नहीं कर पा रहा है.

कितनी उम्र में हो लड़कियों की शादी, क्या कहते हैं आदिवासी क्षेत्र के जानकार

कब होती है ये परंपरा: इस परंपरा के दौरान अगर ठंड रहती है तो जगह-जगह पर अलाव की व्यवस्था रहती है. ढोल नगाड़े और डांस होते हैं. इसी दौरान लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद करते हैं. यह क्रम रात भर चलता है. इस परंपरा में दोनों पक्ष एक दूसरे के संबंधों को और अच्छे से जानने के लिए ददरिया गीत या प्रेम गीत गाते हैं. कहा जाता है कि यह गीत संबंधों को मजबूती प्रदान करता है. इन दो दिनों के अंदर ही लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद कर लेते हैं और उनका विवाह परिवार की रजामंदी से कर दिया जाता है. यह परंपरा दशहरा से लेकर होली के बीच ही होती है.

एमपी आदिवासी विवाह

मंडला। अब तक आपने धार्मिक रीति रिवाजों से कई विवाह देखे और सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे विवाह को दिखा और सुना रहें हैं जो थोड़ा हट कर है. यह विवाह राष्ट्रीय मानव कहे जाने वाले बैगा समुदाय का है. इसकी शुरूआत रोमांस से होती है और विवाह पर जाकर खत्म होती है. हालांकि, अब ये परंपरा धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. इस अनोखी परंपरा से दहेज प्रथा कोसों दूर है.
अलीराजपुर की अनोखी शादीः 15 साल लिव-इन में रहकर बना छह बच्चों का पिता, 42 की उम्र में की तीन दुल्हनों से शादी

बैगा समुदाय में होता है अनोखा विवाह: आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के बैगा समुदायों में दशहरा के बाद से इस विवाह की शुरुआत होती है, इसी वजह से इसे 'दसेरा नाच' कहा जाता है. यह केवल दो दिनों का होता है. इसमें लड़का हो या लड़की एक दूसरे का परिचय लेने एक दूसरे के गांव जाते हैं. बैगा समुदाय की लड़कियां अपने पारंपरिक वेशभूषा में सजती संवरती हैं. यह एक ऐसी वेशभूषा होती है, जो बहुत कम देखने को मिलती है. जिस गांव में दसेरा नाच होता है, उस दिन उस गांव में चहल पहल बनी रहती है, लेकिन अब ये परंपरा विलुप्त होते जा रही है. इसे बचाने के लिए प्रशासन भी कुछ नहीं कर पा रहा है.

कितनी उम्र में हो लड़कियों की शादी, क्या कहते हैं आदिवासी क्षेत्र के जानकार

कब होती है ये परंपरा: इस परंपरा के दौरान अगर ठंड रहती है तो जगह-जगह पर अलाव की व्यवस्था रहती है. ढोल नगाड़े और डांस होते हैं. इसी दौरान लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद करते हैं. यह क्रम रात भर चलता है. इस परंपरा में दोनों पक्ष एक दूसरे के संबंधों को और अच्छे से जानने के लिए ददरिया गीत या प्रेम गीत गाते हैं. कहा जाता है कि यह गीत संबंधों को मजबूती प्रदान करता है. इन दो दिनों के अंदर ही लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद कर लेते हैं और उनका विवाह परिवार की रजामंदी से कर दिया जाता है. यह परंपरा दशहरा से लेकर होली के बीच ही होती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.