मंडला। किसी की मदद करने के लिए आपके पास पैसे होना जरूरी नहीं, बस आपके पास अच्छी नीयत होनी चाहिए. नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्य भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. शहर में नर्मदा नदी के रपटा घाट पर माई की रसोई बनाई गई है. यह रसोई सात सालों से हर जरूरतमंद और भूखे लोगों के लिए सहारा बनी हुई है.
नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से माई की रसोई की शुरुआत 28 दिसंबर 2012 को की गई थी. जहां प्रतिदिन 60 से 70 लोगों को खाना खिलाया जाता है. माई की रसोई में प्रतिदिन तैयार होने वाली खिचड़ी 17 प्रकार के अनाज से बनती है. जिसे शुद्ध घी में बनाया जाता है. खिचड़ी तैयार कर सदस्य शाम को रपटा घाट पर मां नर्मदा की पूजा अर्चना करते हैं बाद में यह जरूरतमंद के साथ अन्य लोगों को परोसी जाती है.
बता दें कि माई की रसोई चलाने के लिए समिति के 17 सदस्य आपस में ही जरूरत की चीजें और पैसे इकट्ठे करते हैं. इसके लिए ना किसी प्रकार का चंदा लिया जाता और ना ही सहायता या दान स्वीकार किया जाता है . सदस्यों ने बताया कि उनके घर किसी भी तरह के जरूरी काम क्यों ना हो. रसोई कभी बंद नहीं होती है. खाना तैयार करने के लिए काम में मदद के लिए यहां तीन महिलाएं रखी गई हैं. जिन्हें हर माह पैसे भी समिति के सदस्यों द्वारा दिए जाते हैं.