ETV Bharat / state

भूखे और जरूरतमंदों का सहारा बनी 'माई की रसोई', सात सालों से भर रही गरीबों का पेट - मंडला न्यूज

मंडला में पिछले कई सालों से माई की रसोई का संचालन किया जा रहा है. जो हर जरूरतमंद और भूखे लोगों का पेट भर रहा है. जिसका संचालन नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा किया जाता है.

Mai's kitchen became a support for the poor
माई की रसोई बनी गरीबों के लिए सहारा
author img

By

Published : Dec 29, 2019, 2:16 PM IST

मंडला। किसी की मदद करने के लिए आपके पास पैसे होना जरूरी नहीं, बस आपके पास अच्छी नीयत होनी चाहिए. नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्य भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. शहर में नर्मदा नदी के रपटा घाट पर माई की रसोई बनाई गई है. यह रसोई सात सालों से हर जरूरतमंद और भूखे लोगों के लिए सहारा बनी हुई है.

माई की रसोई बनी गरीबों के लिए सहारा


नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से माई की रसोई की शुरुआत 28 दिसंबर 2012 को की गई थी. जहां प्रतिदिन 60 से 70 लोगों को खाना खिलाया जाता है. माई की रसोई में प्रतिदिन तैयार होने वाली खिचड़ी 17 प्रकार के अनाज से बनती है. जिसे शुद्ध घी में बनाया जाता है. खिचड़ी तैयार कर सदस्य शाम को रपटा घाट पर मां नर्मदा की पूजा अर्चना करते हैं बाद में यह जरूरतमंद के साथ अन्य लोगों को परोसी जाती है.


बता दें कि माई की रसोई चलाने के लिए समिति के 17 सदस्य आपस में ही जरूरत की चीजें और पैसे इकट्ठे करते हैं. इसके लिए ना किसी प्रकार का चंदा लिया जाता और ना ही सहायता या दान स्वीकार किया जाता है . सदस्यों ने बताया कि उनके घर किसी भी तरह के जरूरी काम क्यों ना हो. रसोई कभी बंद नहीं होती है. खाना तैयार करने के लिए काम में मदद के लिए यहां तीन महिलाएं रखी गई हैं. जिन्हें हर माह पैसे भी समिति के सदस्यों द्वारा दिए जाते हैं.

मंडला। किसी की मदद करने के लिए आपके पास पैसे होना जरूरी नहीं, बस आपके पास अच्छी नीयत होनी चाहिए. नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्य भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. शहर में नर्मदा नदी के रपटा घाट पर माई की रसोई बनाई गई है. यह रसोई सात सालों से हर जरूरतमंद और भूखे लोगों के लिए सहारा बनी हुई है.

माई की रसोई बनी गरीबों के लिए सहारा


नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से माई की रसोई की शुरुआत 28 दिसंबर 2012 को की गई थी. जहां प्रतिदिन 60 से 70 लोगों को खाना खिलाया जाता है. माई की रसोई में प्रतिदिन तैयार होने वाली खिचड़ी 17 प्रकार के अनाज से बनती है. जिसे शुद्ध घी में बनाया जाता है. खिचड़ी तैयार कर सदस्य शाम को रपटा घाट पर मां नर्मदा की पूजा अर्चना करते हैं बाद में यह जरूरतमंद के साथ अन्य लोगों को परोसी जाती है.


बता दें कि माई की रसोई चलाने के लिए समिति के 17 सदस्य आपस में ही जरूरत की चीजें और पैसे इकट्ठे करते हैं. इसके लिए ना किसी प्रकार का चंदा लिया जाता और ना ही सहायता या दान स्वीकार किया जाता है . सदस्यों ने बताया कि उनके घर किसी भी तरह के जरूरी काम क्यों ना हो. रसोई कभी बंद नहीं होती है. खाना तैयार करने के लिए काम में मदद के लिए यहां तीन महिलाएं रखी गई हैं. जिन्हें हर माह पैसे भी समिति के सदस्यों द्वारा दिए जाते हैं.

Intro:मंडला के रपटा घाट में एक ऐसी माई की रसोई है जो बीते सालों से हर जरूरतमंदों,भूखे और लाचार लोगों के लिए सहारा बनी हुई है साल के 365 दिन मौसम कोई भी हो कभी इस माई की रसोई में ताला नहीं लगता और लोग रोज भरपेट भोजन करके जाते हैं खास बात यह है कि इस माई की रसोई के लिए ना किसी से मदद ली जाती और ना ही किसी तरह का चंदा या सहायता स्वीकार की जाती


Body:मंडला के रपटा घाट में रहने वाले गरीबों की जरूरत को देखते हुए नर्मदा जन कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से माई की रसोई की शुरुआत 28 दिसंबर 2012 को की गई थी जहां प्रतिदिन 60 से 70 लोगों को खिचड़ी तैयार कर सम्मान के साथ बैठा कर भरपेट भोजन कराया जाता है ,यह क्रम साल के 365 दिन जारी रहता है माई की रसोई में प्रतिदिन तैयार होने वाली खिचड़ी 17 प्रकार के अनाज से बनती है जिसे शुद्ध घी मैं बनाया जाता है खिचड़ी तैयार कर सदस्य शाम को रपटा घाट में मां नर्मदा की पूजा अर्चना करते हैं बाद में यह जरूरतमंद के साथ अन्य लोगों को परोसी जाती है खास बात यह है कि किसी भी तीज त्यौहार या अन्य मौकों पर भी यह रसोई बीते 7 सालों में कभी बंद नहीं हुई समिति के सदस्यों ने बताया कि माई की रसोई चलाने के लिए इसके 17 सदस्य आपस में ही जरूरत की चीजें और पैसे इकट्ठे करते हैं इसके लिए ना किसी प्रकार का चंदा लिया जाता और ना ही सहायता या दान स्वीकार की जाती इस रसोई में हर तरह के लोग आकर भरपेट भोजन कर सकते हैं


Conclusion:समिति के सदस्यों ने बताया कि उनके घर किसी भी तरह के जरूरी काम क्यों ना हो लेकिन कोई ना कोई जहां पर माई की रसोई में जरूरतमंदों के लिए भोजन जरूर बनवाता है,काम में मदद के लिए यहां तीन महिलाएं रखी गई हैं जिन्हें हर माह पैसे भी समिति के सदस्यों द्वारा दिए जाते हैं वही दर्जनों परिवार ऐसे हैं जो बीते 7 सालों से यहां रोज ही आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते भोजन करने लगातार आ रहे हैं।

बाईट--सुदीप चौरसिया
बाईट--आलोक गोयल
पीटूसी मयंक तिवारी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.