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कटहल पर कोरोना ग्रहण, न घर में डिमांड न बाहर है मांग

मंडला जिले के हिरदेनगर में बड़े पैमाने पर कटहल के बाग मौजूद हैं. जहां से अन्य जिलों और राज्यों में हर साल भेजा जाता था, लेकिन इस साल कटहल पर लगे कोरोना ग्रहण ने इसे पूरी तरह बर्बाद कर दिया.

Jackfruit farmers facing market problem during Corona period in mandla
कटहल पर कोरोना ग्रहण
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Published : Jul 7, 2020, 2:57 PM IST

मंडला। जिले के हिरदेनगर में बड़े पैमाने पर कटहल के बाग मौजूद हैं. इन्हीं बागों से हर सीजन में बड़ी मात्रा में कटहल महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ भेजा जाता था, लेकिन लॉकडाउन के चलते कटहल के फल पेड़ों पर ही पक कर बर्बाद हो गए. जिसके चलते बाग मालिक कटहल को औने-पौने दाम में बेच रहे हैं, फिर भी कोई कटहल को पूछने वाला नहीं है.

कटहल पर कोरोना ग्रहण

हिरदेनगर का कटहल अप्रैल के बाद से दूसरे प्रदेशों के बाजारों में धूम मचा देता है और एक बगीचे से हर दिन 250 से 500 क्विंटल तक कटहल तोड़ा जाता है. जिसे रायपुर, नागपुर जैसी बड़ी सब्जी मंडियों को भेजा जाता है, जहां इसका दाम भी अच्छा मिलता था. इस साल फसल तो अच्छी हुई, लेकिन कोरोना संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में कटहल पेड़ पर ही बर्बाद हो गए.

कितना मिलता है दाम

जिले के बगीचों से तोड़ा जाने वाला कटहल शुरुआत में 40 रुपए किलो तक बिकता है. अवाक बढ़ने के बाद भी इसका दाम 20 रुपए से कम नहीं होता, जबकि इसका दाम दूसरे प्रदेशों में इससे भी ज्यादा मिलता है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोजाना 250 किलो से ज्यादा की बिक्री करने वाले किसानों को इससे अच्छा खासा मुनाफा होता है.

कब तक होता है कटहल का सीजन

अप्रैल माह से जून के अंत तक जो कटहल फलते हैं. उन्हें अच्छी क्वालिटी का माना जाता है. मध्यम आकार के फल जिनका वजन 5 किलो के करीब होता है, उसकी अच्छी खासी मांग होती है. इससे बड़े फल के रेशे भीतर से कठोर होने लगते हैं, जो आसानी से पकते भी नहीं और इनका स्वाद भी बदल जाता है.

इस सीजन में हुआ भारी नुकसान

असल सीजन में ही लॉकडाउन लग गया और बगीचों से कटहल तोड़ा ही नहीं जा सका. आवागमन के साधनों में रोक के चलते किसी व्यापारी के पास कटहल को दूसरे प्रदेश तो छोड़िए जिले में भी बेच पाना सम्भव नहीं था. जितनी पैदावार होती है, उतनी जिले की मंडी में डिमांड ही नहीं होती. ऐसे में कटहल का साइज बहुत बड़ा होने से वे जहां बेस्वाद हो गए हैं, वहीं लंबे समय तक नहीं तोड़े जाने से पेड़ पर ही पक कर बर्बाद हो गए. जिससे बगीचे के मालिकों को बड़ा नुकसान सहना पड़ा.

नुकसान की भरपाई की आस

लॉकडाउन खुलने के बाद कटहल के जैसे भी दाम मिल रहे हैं, बगीचे वाले बेच कर नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जिले में इसे 4 रुपए किलो से ज्यादा कीमत में कोई नहीं खरीद रहा. छत्तीसगढ़ में भी इसका दाम 10 रुपए किलो ही मिल रहा है. ऐसे में बगीचों से कटहल रायपुर की मंडी में बेच कर ही नुकसान की भरपाई की कोशिश बगीचे वाले कर रहे हैं.

क्या है उपयोग

कटहल को शाकाहारी नॉनवेज माना जाता है और इसे वे लोग ज्यादा पसंद करते हैं जो मांसाहार के शौकीन हैं. इसे चिकन का अच्छा विकल्प माना जाता है. इसके चलते बाजार में इसकी अच्छी मांग तब तक होती है, जब तक इसके रेशे नरम रहते हैं. कटहल का अचार भी काफी पसंद किया जाता है. ऐसे में अब देरी से आ रहे कटहल बाजार में बहुत कम कीमत पर ही बिक रहे हैं.

कटहल( जैकफ्रूट) के फायदे

कटहल में ढेर सारे ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में विटामिन की कमी को पूरा करते हैं. इसमें विटामिट ए, विटामिन सी, थायमीन, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन और जिंक प्रचुर मात्रा में होता है. इस सबके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लिए फायदेमंद होता है. खास बात ये है कि इसमें कैलोरी नहीं होती.

हार्ट के लिए फायदेमंद

कटहल में पाया जाने वाला पोटैशियम हार्ट से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षित रखता है. उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए भी ये लाभदायक है.

एनीमिया से बचाव में मदद

कटहल आयरन का एक अच्छा सोर्स है, जिसकी वजह से एनीमिया से बचाव होता है. साथ ही इसके प्रयोग से ब्लड सर्कुलेशन भी नियंत्रित रहता है.

अस्थमा के मरीजों के लिए औषधि

अस्थमा के इलाज में भी ये एक कारगर औषधि की तरह काम करता है. कच्चे कटहल को पानी में उबालकर छान लें. जब ये पानी ठंडा हो जाए तो इसे पी लें. इसके नियमित इस्तेमाल से अस्थमा की समस्या में फायदा होता है.

हार्मोन्स नियंत्रित

जैकफ्रूट में पाया जाने वाला कई खनिज हार्मोन्स को नियंत्रित रखने में मददगार साबित होता है.

हड्डियां होती हैं मजबूत

कटहल में मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिसकी वजह से हड्डियां भी स्वस्थ और मजबूत रहती हैं.

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

कटहल में पाए जाने वाला विटामिन सी शरीर के लिए बहुत फायदे मंद होता है. इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहती है.

पाचन क्रिया में लाभप्रद

कटहल का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें भरपूर रेशे होते है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं.

कटहल से होने वाले नुकसान

  • जो लोग वात की समस्या से पीड़ित हैं, उनको इसके सेवन से बचना चाहिए.
  • पका हुआ कटहल कफवर्धक होता है. इसलिए सर्दी-जुकाम, खांसी प्रभावित को इससे बचना चाहिए.
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • पित्त प्रकृति वालों को पका कटहल दोपहर में खाने के बाद कुछ देर आराम करना चाहिए.
  • पका हुआ कटहल खाने के बाद पेट फूल जाता है. इसलिए गलती से भी कटहल खाने के बाद पान खाने से बचें.

मंडला। जिले के हिरदेनगर में बड़े पैमाने पर कटहल के बाग मौजूद हैं. इन्हीं बागों से हर सीजन में बड़ी मात्रा में कटहल महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ भेजा जाता था, लेकिन लॉकडाउन के चलते कटहल के फल पेड़ों पर ही पक कर बर्बाद हो गए. जिसके चलते बाग मालिक कटहल को औने-पौने दाम में बेच रहे हैं, फिर भी कोई कटहल को पूछने वाला नहीं है.

कटहल पर कोरोना ग्रहण

हिरदेनगर का कटहल अप्रैल के बाद से दूसरे प्रदेशों के बाजारों में धूम मचा देता है और एक बगीचे से हर दिन 250 से 500 क्विंटल तक कटहल तोड़ा जाता है. जिसे रायपुर, नागपुर जैसी बड़ी सब्जी मंडियों को भेजा जाता है, जहां इसका दाम भी अच्छा मिलता था. इस साल फसल तो अच्छी हुई, लेकिन कोरोना संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में कटहल पेड़ पर ही बर्बाद हो गए.

कितना मिलता है दाम

जिले के बगीचों से तोड़ा जाने वाला कटहल शुरुआत में 40 रुपए किलो तक बिकता है. अवाक बढ़ने के बाद भी इसका दाम 20 रुपए से कम नहीं होता, जबकि इसका दाम दूसरे प्रदेशों में इससे भी ज्यादा मिलता है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोजाना 250 किलो से ज्यादा की बिक्री करने वाले किसानों को इससे अच्छा खासा मुनाफा होता है.

कब तक होता है कटहल का सीजन

अप्रैल माह से जून के अंत तक जो कटहल फलते हैं. उन्हें अच्छी क्वालिटी का माना जाता है. मध्यम आकार के फल जिनका वजन 5 किलो के करीब होता है, उसकी अच्छी खासी मांग होती है. इससे बड़े फल के रेशे भीतर से कठोर होने लगते हैं, जो आसानी से पकते भी नहीं और इनका स्वाद भी बदल जाता है.

इस सीजन में हुआ भारी नुकसान

असल सीजन में ही लॉकडाउन लग गया और बगीचों से कटहल तोड़ा ही नहीं जा सका. आवागमन के साधनों में रोक के चलते किसी व्यापारी के पास कटहल को दूसरे प्रदेश तो छोड़िए जिले में भी बेच पाना सम्भव नहीं था. जितनी पैदावार होती है, उतनी जिले की मंडी में डिमांड ही नहीं होती. ऐसे में कटहल का साइज बहुत बड़ा होने से वे जहां बेस्वाद हो गए हैं, वहीं लंबे समय तक नहीं तोड़े जाने से पेड़ पर ही पक कर बर्बाद हो गए. जिससे बगीचे के मालिकों को बड़ा नुकसान सहना पड़ा.

नुकसान की भरपाई की आस

लॉकडाउन खुलने के बाद कटहल के जैसे भी दाम मिल रहे हैं, बगीचे वाले बेच कर नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जिले में इसे 4 रुपए किलो से ज्यादा कीमत में कोई नहीं खरीद रहा. छत्तीसगढ़ में भी इसका दाम 10 रुपए किलो ही मिल रहा है. ऐसे में बगीचों से कटहल रायपुर की मंडी में बेच कर ही नुकसान की भरपाई की कोशिश बगीचे वाले कर रहे हैं.

क्या है उपयोग

कटहल को शाकाहारी नॉनवेज माना जाता है और इसे वे लोग ज्यादा पसंद करते हैं जो मांसाहार के शौकीन हैं. इसे चिकन का अच्छा विकल्प माना जाता है. इसके चलते बाजार में इसकी अच्छी मांग तब तक होती है, जब तक इसके रेशे नरम रहते हैं. कटहल का अचार भी काफी पसंद किया जाता है. ऐसे में अब देरी से आ रहे कटहल बाजार में बहुत कम कीमत पर ही बिक रहे हैं.

कटहल( जैकफ्रूट) के फायदे

कटहल में ढेर सारे ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में विटामिन की कमी को पूरा करते हैं. इसमें विटामिट ए, विटामिन सी, थायमीन, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन और जिंक प्रचुर मात्रा में होता है. इस सबके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लिए फायदेमंद होता है. खास बात ये है कि इसमें कैलोरी नहीं होती.

हार्ट के लिए फायदेमंद

कटहल में पाया जाने वाला पोटैशियम हार्ट से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षित रखता है. उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए भी ये लाभदायक है.

एनीमिया से बचाव में मदद

कटहल आयरन का एक अच्छा सोर्स है, जिसकी वजह से एनीमिया से बचाव होता है. साथ ही इसके प्रयोग से ब्लड सर्कुलेशन भी नियंत्रित रहता है.

अस्थमा के मरीजों के लिए औषधि

अस्थमा के इलाज में भी ये एक कारगर औषधि की तरह काम करता है. कच्चे कटहल को पानी में उबालकर छान लें. जब ये पानी ठंडा हो जाए तो इसे पी लें. इसके नियमित इस्तेमाल से अस्थमा की समस्या में फायदा होता है.

हार्मोन्स नियंत्रित

जैकफ्रूट में पाया जाने वाला कई खनिज हार्मोन्स को नियंत्रित रखने में मददगार साबित होता है.

हड्डियां होती हैं मजबूत

कटहल में मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिसकी वजह से हड्डियां भी स्वस्थ और मजबूत रहती हैं.

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

कटहल में पाए जाने वाला विटामिन सी शरीर के लिए बहुत फायदे मंद होता है. इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहती है.

पाचन क्रिया में लाभप्रद

कटहल का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें भरपूर रेशे होते है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं.

कटहल से होने वाले नुकसान

  • जो लोग वात की समस्या से पीड़ित हैं, उनको इसके सेवन से बचना चाहिए.
  • पका हुआ कटहल कफवर्धक होता है. इसलिए सर्दी-जुकाम, खांसी प्रभावित को इससे बचना चाहिए.
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • पित्त प्रकृति वालों को पका कटहल दोपहर में खाने के बाद कुछ देर आराम करना चाहिए.
  • पका हुआ कटहल खाने के बाद पेट फूल जाता है. इसलिए गलती से भी कटहल खाने के बाद पान खाने से बचें.
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