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सिंचित जमीन को किया असिंचित घोषित, किसानों को भुगतना पड़ रहा खमियाजा

सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते किसानों की सिंचित भूमि को असिंचित घोषित कर दिया गया. इसकी वजह से किसानों इसका खामियाजा भुगतन पड़ रहा है.

Irrigated land declared as irrigated
सिंचित जमीन को किया असिंचित घोषित
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Published : Dec 16, 2019, 3:36 PM IST

मण्डला। कृषि भूमि में लगाए गए निजी ट्यूबवेल होने के बावजूद भी उसे असिंचित घोषित कर दिया गया. साथ ही इन जमीनों को नहर का पानी भी उपलब्ध है, बावजूद इसके इस जमीन को असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसके चलते किसानों की असिंचित भूमि के 5 क्विंटल धान कम समर्थन मूल्य में खरीदा जा रहा है.

सिंचित जमीन को किया असिंचित घोषित

हालांकि ये जमीनें पिछले सालों तक सिंचित में गिनी जाती थी. सिंचित भूमि में प्रति हेक्टेयर 46 क्विंटल धान की पैदावार मानी जाती है, जबकि असिंचित कृषि भूमि में एक हेक्टेयर में 41 क्विंटल पैदावार का एवरेज मान कर प्रदेश सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाती है, लेकिन मण्डला के पदमी क्षेत्र में ऐसे किसान हैं, जिनकी भूमि हमेशा सिंचित भूमि में गिनी जाती थी. जिसके आधार पर उनसे टैक्स भी लिया जाता है और पानी को रशीद भी काटी जाती है.

बता दें कि किसानों के खेत मे निजी ट्यूबवेल भी हैं, बाबजूद इसके इनकी भूमि को सरकारी रिकॉर्ड में इस साल असिंचित बता दिया गया है. जिले में इस साल धान की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन असिंचित भूमि से सिर्फ 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया, जबकि सिंचित भूमि के किसानों से 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान खरीदी केंद्र में खरीदा जा रहा है.

किसानों को हो रहा नुकसान

ऐसे में असिंचित घोषित भूमि के किसानों को प्रति हेक्टेयर 5 क्विंटल का नुकसान हो रहा और बचा हुआ धान बिचौलिए या फिर व्यपारी कम दामों पर मांग रहे हैं. जिसके चलते किसानों को प्रति क्विंटल करीब 4 सौ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ रहा है. किसान, पटवारी या फिर सरकारी काम काज की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं. जिनकी कृषि भूमि हमेशा से सिंचाई के साधन वाली रही है.

मण्डला। कृषि भूमि में लगाए गए निजी ट्यूबवेल होने के बावजूद भी उसे असिंचित घोषित कर दिया गया. साथ ही इन जमीनों को नहर का पानी भी उपलब्ध है, बावजूद इसके इस जमीन को असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसके चलते किसानों की असिंचित भूमि के 5 क्विंटल धान कम समर्थन मूल्य में खरीदा जा रहा है.

सिंचित जमीन को किया असिंचित घोषित

हालांकि ये जमीनें पिछले सालों तक सिंचित में गिनी जाती थी. सिंचित भूमि में प्रति हेक्टेयर 46 क्विंटल धान की पैदावार मानी जाती है, जबकि असिंचित कृषि भूमि में एक हेक्टेयर में 41 क्विंटल पैदावार का एवरेज मान कर प्रदेश सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाती है, लेकिन मण्डला के पदमी क्षेत्र में ऐसे किसान हैं, जिनकी भूमि हमेशा सिंचित भूमि में गिनी जाती थी. जिसके आधार पर उनसे टैक्स भी लिया जाता है और पानी को रशीद भी काटी जाती है.

बता दें कि किसानों के खेत मे निजी ट्यूबवेल भी हैं, बाबजूद इसके इनकी भूमि को सरकारी रिकॉर्ड में इस साल असिंचित बता दिया गया है. जिले में इस साल धान की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन असिंचित भूमि से सिर्फ 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया, जबकि सिंचित भूमि के किसानों से 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान खरीदी केंद्र में खरीदा जा रहा है.

किसानों को हो रहा नुकसान

ऐसे में असिंचित घोषित भूमि के किसानों को प्रति हेक्टेयर 5 क्विंटल का नुकसान हो रहा और बचा हुआ धान बिचौलिए या फिर व्यपारी कम दामों पर मांग रहे हैं. जिसके चलते किसानों को प्रति क्विंटल करीब 4 सौ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ रहा है. किसान, पटवारी या फिर सरकारी काम काज की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं. जिनकी कृषि भूमि हमेशा से सिंचाई के साधन वाली रही है.

Intro:मण्डला जिले में ऐसी कृषि भूमि को भी असिंचित घोषित कर दिया गया है जिनमे किसानों के द्वारा निजी ट्यूबवेल लगाए गए हैं या बोर कराए गए हैं साथ ही उन्हें नहर का पानी भी उपलब्ध है साथ ही यह भूमि बीते सालों तक सिंचित में गिनी जाती थी ऐसे में सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है क्योंकि असिंचित भूमि से 5 किवंटल कम धान समर्थन मूल्य में खरीदी जा रही है


Body:सिंचित भूमि में प्रति हेक्टेयर 46 किवंटल धान की पैदावार मानी जाती है जबकि असिंचित कृषि भूमि में एक हेक्टेयर में 41 किवंटल पैदावार का एवरेज मान कर प्रदेश सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाती है लेकिन मण्डला के पदमी क्षेत्र में ऐसे किसान हैं जिनकी भूमि हमेसा सिंचित भूमि में गिनी जाती थी इसी आधार पर उनसे टेक्स भी लिया जाता है और पानी को रशीद भी काटी जाती है इन किसानों के खेत मे कुँए बोर या फिर निजी ट्यूबवेल भी हैं बाबजूद इसके इनकी भूमि को सरकारी रिकॉर्ड में इस साल असिंचित बता दिया गया है, मण्डला में इस साल धान की बंपर पैदावार हुई है लेकिन असिंचित भूमि से सिर्फ 41 किवंटल धान किसानों से समर्थन मूल्य पर ली जा रही जबकि सिंचित भूमि के किसानों से 46 किवंटल धान खरीदी केंद्र में खरीदी जा रही है ऐसे में असिंचित घोषित भूमि के किसानों को प्रति हेक्टेयर 5 किवंटल का नुकसान हो रहा और बची हुई धान बिचौलिए या फिर व्यपारी औने पौने दाम पर माँग रहे हैं और प्रति किवंटल करीब 4 सौ रुपये से ज्यादा का नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है


Conclusion:ऐसे भी किसान पटवारी या फिर सरकारी काम काज की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं जिनकी कृषि भूमि हमेसा से सिंचाई के साधन वाली रही है ऐसे में लग रहा कि किसानों के हर एक मुद्दे पर कमलनाथ की कॉंग्रेस सरकार विफल ही रही है।

बाईट--बसंत सिंह ठाकुर किसान,खड़देवरा
बाईट --शंकर लाल ठाकुर किसान ,औघटखपरी
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