मण्डला। कृषि भूमि में लगाए गए निजी ट्यूबवेल होने के बावजूद भी उसे असिंचित घोषित कर दिया गया. साथ ही इन जमीनों को नहर का पानी भी उपलब्ध है, बावजूद इसके इस जमीन को असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसके चलते किसानों की असिंचित भूमि के 5 क्विंटल धान कम समर्थन मूल्य में खरीदा जा रहा है.
हालांकि ये जमीनें पिछले सालों तक सिंचित में गिनी जाती थी. सिंचित भूमि में प्रति हेक्टेयर 46 क्विंटल धान की पैदावार मानी जाती है, जबकि असिंचित कृषि भूमि में एक हेक्टेयर में 41 क्विंटल पैदावार का एवरेज मान कर प्रदेश सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाती है, लेकिन मण्डला के पदमी क्षेत्र में ऐसे किसान हैं, जिनकी भूमि हमेशा सिंचित भूमि में गिनी जाती थी. जिसके आधार पर उनसे टैक्स भी लिया जाता है और पानी को रशीद भी काटी जाती है.
बता दें कि किसानों के खेत मे निजी ट्यूबवेल भी हैं, बाबजूद इसके इनकी भूमि को सरकारी रिकॉर्ड में इस साल असिंचित बता दिया गया है. जिले में इस साल धान की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन असिंचित भूमि से सिर्फ 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया, जबकि सिंचित भूमि के किसानों से 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान खरीदी केंद्र में खरीदा जा रहा है.
किसानों को हो रहा नुकसान
ऐसे में असिंचित घोषित भूमि के किसानों को प्रति हेक्टेयर 5 क्विंटल का नुकसान हो रहा और बचा हुआ धान बिचौलिए या फिर व्यपारी कम दामों पर मांग रहे हैं. जिसके चलते किसानों को प्रति क्विंटल करीब 4 सौ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ रहा है. किसान, पटवारी या फिर सरकारी काम काज की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं. जिनकी कृषि भूमि हमेशा से सिंचाई के साधन वाली रही है.