मंडला। ये जरूरी तो नहीं कि लोगों की सेवा के लिए किसी सामाजिक संस्था से जुड़ा जाए या फिर राजनैतिक दल से, जरूरी है वो सोच जिसमें समाज को कुछ देने का भाव हो. यही कुछ किया जिले के घुघरी में रहने वाले कुछ महिलाओं और पुरुषों ने. जो आज एक मुहिम बन गई है.
किसी ने सोचा नहीं होगा कि कोरोना वायरस के चलते इस तरह के लॉकडाउन का फैसला प्रधानमंत्री मोदी को करना होगा. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन हुआ, उन लोगों के सामने दो टाइम के भोजन की विकट समस्या आ गए, जो मजदूरी करते हैं या रोज कमाते खाते हैं. ऐसी ही स्थिति बनी जिले के घुघरी गांव में. बस फिर क्या था, सोच मिली, भाव मिले और सबने मिलकर शुरू कर दी वो मुहिम जिससे आज तकरीबन 22 परिवारों के 70 लोगों को सुबह-शाम घर पहुंचा कर भोजन के पैकेट दिए जा रहे हैं.
घुघरी, मंडला जिले का वो ग्रामीण क्षेत्र है, जहां ज्यादातर मजदूर वर्ग रहता है और रोज कमाता खाता है. ऐसे लोगों को पहले इन्होंने चिन्हित किया कि जब तक लॉकडाउन खत्म नहीं हो जाता, तब तक ये इन जरूरतमंदों को दोनों टाइम खाना बनाकर पहुंचाते रहेंगे.
ये लोग न समाजसेवी हैं और न ही किसी पार्टी के कार्यकर्ता. ये ऐसे लोग हैं जिन्हें इस बात का अहसास है कि किसी भी समाज की मजबूती इसी में है कि जरूरत पड़ने पर उस समाज के सदस्य एक दूसरे के काम आए. ये सोच बताती है कि हमारा समाज किसी बड़े परिवार से कम नहीं है.