बेहाल स्टेडियम कैसे तरासेगा हुनर, असामाजिक तत्वों का बना अड्डा - धुलकोट स्टेडियम
साल 2016-17 में ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को उभारने के लिए मध्यप्रदेश शासन ने यांत्रिकी सेवा के माध्यम से गांवों में स्टेडियम बनवाए थे. लेकिन आज देख रेख के अभाव में यह स्टेडियम खंडहर बन गए हैं. जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
खरगोन। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले खिलाड़ियों की प्रतिभा उभारने के लिए साल 2016-17 में ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा अस्सी लाख रूपए खर्च कर स्टेडियम बनाए गए थे. जिसमें से एक है, भगवानपुरा विकास खण्ड के धुलकोट का स्टेडियम आज लावारिस हालत में पड़ा है. स्टेडियम में हर वक्त असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है. गांव के एक युवक विजय ने बताया कि साल 2016-17 में यह स्टेडियम बना था, जो रखरखाव के अभाव में कबाड़ हो गया है. इस स्टेडियम में असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है. यहां बने कमरों के दरवाजे खिड़कियां भी चोरी हो गए हैं. कमरों में गंदगी का अंबार लगा है. स्टेडियम का कार्य भी अधूरा है.
खिलाड़ियों को हो रहा नुकसान
भगवानपुरा विकासखंड मुख्यालय पर ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो अभावों के बीच राज्य स्तर पर अपनी जगह बनाने में सफल रहे. जब ईटीवी भारत ने इन खिलाड़ियों से बात की तो उनका दर्द छलक आया. भगवानपुरा के स्टेट लेवल पर खेल चुके सद्दाम ने बताया कि ये निराशा जनक है कि धुलकोट में बना स्टेडियम भगवानपुरा में बनता तो ज्यादा लाभकारी होता. भगवानपुरा से हॉकी, फुटबाल क्रिकेट, वॉलीबॉल के खिलाड़ी राज्य स्तर पर खेल चुके हैं. धुलकोट में बने स्टेडियम का घटिया निर्माण हुआ है, जो आज कबाड़ पड़ा है. हम चाहते हैं कि भगवानपुरा को भी एक स्टेडियम मिले.
एक अन्य खिलाड़ी रियाज खान ने कहा कि एक स्टेडियम भगवानपुरा में बनना था. लेकिन राजनीति के चलते इसे धुलकोट में बनाया गया. अगर यह ग्राउंड भगवानपुरा में बनता तो यहां के खिलाड़ियों को लाभ होता. धुलकोट में जबसे स्टेडियम बना है, तब से देखरेख के अभाव में खंडहर हो गया है. यहां के खिलाड़ी स्टेट लेवल पर खेलने के बाद भी वंचित हैं. नेहरु युवा केंद्र के खिलाड़ी का कहना है कि यहां का युवा वर्ग स्टेडियम के अभाव में पिछड़ा हुआ है, यहां से कई खिलाड़ी राज्य स्तर पर क्रिकेट, हॉकी, कबड्डी, वॉलीबॉल में राज्य स्तर पर खेल चुके हैं. जो स्टेडियम धुलकोट में 80 लाख की लागत से बना है. वह जर्जर हालत में है, यहां सुविधाओं का अभाव है, जिससे खेलने वाले खिलाड़ी सुविधाओं से वंचित हैं.
कोच सुरेश चंदेल ने बताया कि यह स्टेडियम भगवानपुरा के लिए आया था. लेकिन इसे धुलकोट में बनाया गया. यह स्टेडियम भगवानपुरा में होता, तो यहां के खिलाड़ियों को लाभ होता. वहां बनने के बाद भी ऐसी स्थिति नहीं है कि वहां खेल सकें. हमने भगवानपुरा के लिए मांग की थी, भगवानपुरा का स्टेडियम छोटा होने से यहां हॉकी और अन्य प्रतिभाओं के खिलाडी राज्य स्तर तक खेल कर वापस आ जाते हैं. स्टेडियम हो तो नेशनल स्तर तक खेल सकते हैं.
अधिकारियों पर नहीं संतोषजनक जवाब
इस मामले को लेकर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के एसडीओ शैलेन्द्र जोशी से हमने बात की तो उन्होंने फोन पर ही बताया कि वह जनवरी 2019 में आवेदन जनपद को हस्तांरित कर चुके हैं. वहीं उन्होंने आगे बात को टालमटोल कर दिया. भगवानपुरा में स्टेडियम को लेकर जनपद सीईओ मदनलाल वर्मा ने बताया कि मैंने दिखवाया था, लेकिन विधिवत रिकॉर्ड में कुछ नहीं है.