खरगोन। कुछ महीनों पहले ही प्याज के भाव आसमान छी रहे थे, लेकिन अब किसान की प्याज उपज मंडी तक नहीं पहुंच पा रही है. खरगोन में इस बार किसानों ने प्याज हजारों हेक्टेयर में लगाई थी, जो अब पक कर तैयार भी हो गई है, बस इंतजार है तो मंड़ी और भाव के मिल जाने का, लेकिन कोरोना संकट की घड़ी में लगे लॉकडाउन के कारण कई मंडियां बंद है, तो वहीं किसान को परिवहन न मिल पाने से कुछ खुली मंडियों तक भी उपज नहीं पहुंच पा रही है, जिस कारण फसल खेत में पड़ी सड़ रही है.
बीते एक माह से लॉकडाउन के कारण उचित भण्डारण नहीं होने से प्याज सड़ रही है. बैंकों का कर्ज वापस करना मुश्किल हो रहा है. मजदूरी, बारदान और परिवहन खर्च भी नहीं है. पैसा नहीं होने से किसान मजदूरों को मजदूरी के बदले प्याज दे रहे हैं. किसानों की मांग है की सरकार अगर गेहूं,चना खरीद रही है तो प्याज भी सीधे खेत से खरीदे या व्यापारियों को खेत तक पहुंचाए.
कुछ माह पहले आसमान पर थे दाम
पांच माह पहले बाजार में प्याज 50-100 रुपये किलो से भी अधिक दाम में बिका था, लेकिन अब 10 रुपये किलो और उसे कम में बिक रहा है. प्याज की फसल तैयार करने में प्रति एकड़ 35 से 40 हजार रुपये खर्च होता है. हालांकि भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों में समाज की धर्मशालाएं किसानों को कम दर पर प्याज भंडारण के लिए दी जा रही है. फिर भी उचित भंडारण क्षमता नहीं होने से प्याज खराब हो रहा है. किसानों का सुझाब है कि सरकार को आंगनबाड़ी आदि में भण्डारण की अनुमति देना चाहिए.
किसान फिर कंगाली की कगार पर
जिले में प्याज का बंपर उत्पादन हुआ है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते मंडियां बंद होने से किसानों को नुकसान हो रहा है. उनके पास प्याज भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं है. कोरोना महामारी के चलते मांगलिक कार्य और सामूहिक आयोजन स्थगित हो गए हैं, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में समाज की धर्मशालाओं और सामुदायिक भवनों में किसान प्याज का भंडारण कर रहे हैं. जिसस किसान को भारी नुकसान हो रहा है.