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खरगोन: डोल ग्यारस पर्व पर भक्तों ने मंदिरों में की भगवान श्रीकृष्ण की पूजा

बड़वाह में शनिवार को डोल ग्यारस पर्व नगर के नागेश्वर स्थित गोपाल मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, सत्तीघाट स्थित राधा-कृष्ण मंदिर सहित आस पास के मंदिरों में मनाया गया. कोरोना के कारण इस साल भगवान के डोले नहीं निकाले गए.

On the festival of Dole Gyaras, devotees worshiped Lord Krishna in temples
डोल ग्यारस पर्व पर भक्तों ने मंदिरों में की भगवान श्रीकृष्ण की पूजा
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Published : Aug 30, 2020, 10:15 AM IST

खरगोन। जिले के बड़वाह में शनिवार को डोल ग्यारस पर्व नागेश्वर स्थित गोपाल मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, सत्तीघाट स्थित राधा-कृष्ण मंदिर सहित आस पास के मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर मनाया. वहीं सालों से नगर में इस दिन भगवान की डोले निकलती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते वर्षो से नगर में निकलने वाले भगवान के डोले की प्रशासन ने अनुमति नहीं दी.

नगर के तीनों प्राचीन मंदिरों के प्रमुखों और भक्तों ने भगवान को पालकी में बैठाकर नागेश्वर मंदिर ले गए. जहां भक्तों ने भक्ति भाव से पूजा अर्चना कर पुनःभगवान को कार में सवार कर सत्यानारायण मंदिर और सत्ती घाटा राधा कृष्ण मंदिर लाया गया.

सत्यानारायण मंदिर के पुजारी पंडित सुरेश जोशी ने बताया कि प्रशासन के नियमों के कारण इस साल डोले सजाकर निकालना प्रतिबंधित था. इसलिए भगवान कृष्ण व सालिगराम जी को थाली में विराजित कर कार से नागेश्वर मंदिर ले जाया गया.

साथ ही सत्ती घाटा स्थित राधा कृष्ण मंदिर से भी भगवान को कार से नागेश्वर मंदिर ले जाया गया, यहां पर विधि विधान से पूजन कर पुनः कार से भगवान को मंदिर लाया गया. जहां मंदिर में देर शाम से रात्रि तक महिलाओं ने भगवान का पूजन अर्चन कर जल झुलनी पर्व मनाया. वहीं भक्तों ने आलकी की पालकी जय कन्हैया लाल की का उदघोष भी किया.

खरगोन। जिले के बड़वाह में शनिवार को डोल ग्यारस पर्व नागेश्वर स्थित गोपाल मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, सत्तीघाट स्थित राधा-कृष्ण मंदिर सहित आस पास के मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर मनाया. वहीं सालों से नगर में इस दिन भगवान की डोले निकलती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते वर्षो से नगर में निकलने वाले भगवान के डोले की प्रशासन ने अनुमति नहीं दी.

नगर के तीनों प्राचीन मंदिरों के प्रमुखों और भक्तों ने भगवान को पालकी में बैठाकर नागेश्वर मंदिर ले गए. जहां भक्तों ने भक्ति भाव से पूजा अर्चना कर पुनःभगवान को कार में सवार कर सत्यानारायण मंदिर और सत्ती घाटा राधा कृष्ण मंदिर लाया गया.

सत्यानारायण मंदिर के पुजारी पंडित सुरेश जोशी ने बताया कि प्रशासन के नियमों के कारण इस साल डोले सजाकर निकालना प्रतिबंधित था. इसलिए भगवान कृष्ण व सालिगराम जी को थाली में विराजित कर कार से नागेश्वर मंदिर ले जाया गया.

साथ ही सत्ती घाटा स्थित राधा कृष्ण मंदिर से भी भगवान को कार से नागेश्वर मंदिर ले जाया गया, यहां पर विधि विधान से पूजन कर पुनः कार से भगवान को मंदिर लाया गया. जहां मंदिर में देर शाम से रात्रि तक महिलाओं ने भगवान का पूजन अर्चन कर जल झुलनी पर्व मनाया. वहीं भक्तों ने आलकी की पालकी जय कन्हैया लाल की का उदघोष भी किया.

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