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निमाड़ उत्सव में देसी-विदेशी कलाकारों ने बिखेरा जलवा, तनोरा नृत्य ने सबको लुभाया

खरगोन के महेश्वर में चल रहे निमाड़ उत्सव के दूसरे दिन देसी-विदेशी कलाकारों की लोक नृत्य की प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया.

निमाड़ उत्सव
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Published : Nov 13, 2019, 9:51 AM IST

खरगोन। महेश्वर में नर्मदा नदी के तट और अहिल्या किला दरबार में आयोजित निमाड़ उत्सव अपने चरम पर है. मंगलवार को देसी-विदेशी संस्कृतियों को हजारों दर्शकों ने खूब सराहा. कार्यक्रम की शुरूआत मणिपुर के लोक कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और संगीत से की. इस उत्सव में देसी के साथ-साथ विदेशी लोक कलाकारों ने भी शानदार प्रस्तुतियां दीं. जिसमें मिस्र का तनोरा नृत्य खास रहा.

निमाड़ उत्सव

मेडिटेशन की अद्भुत नृत्यशैली 'तनोरा'

निमाड़ उत्सव के दूसरे दिन मिस्र का तनोरा पारंपरिक नृत्य खासतौर पर आकर्षण का केंद्र रहा. ये नृत्य एक पुरूष और एक महिला कलाकार अनोखे ढंग के साथ प्रस्तुत करते हैं. जिसमें तबला, ढपली, बांसुरी, ओंद और नाय जैसे संगीत यंत्रों की धुन पर परफॉर्म किया जाता है. इस लोक नृत्य की विशेषता है कि ये मुख्य तौर पर प्राचीन समय में मेडिटेशन के लिए किया जाता था. इसके अलावा इस नृत्य में कलाकारों ने 25 किलो से अधिक वजनी वेशभूषा पहन रखा था.

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने गेढ़ी नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया. इसके अलावा मणिपुर के पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुत की गई नृत्यशैली कमाल की थी, जिसमें ढोलक, बीग-ड्रम, बांसुरी और पैना के अलौकिक संगीत ने उत्सव में चार चांद लगा दिए. दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत में प्रदेश की संस्कृति मंत्री डॉक्टर विजयलक्ष्मी साधौ ने नर्मदाष्टक का पाठ कर आरती की.

साधौ ने कहा कि उन्होंने निमाड़ उत्सव को लेकर जो सोचा था, वह स्वरूप ले रहा है. आज इजिप्ट के कलाकारों ने प्रस्तुति दी. महेश्वर में पहली बार विदेशी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी हैं और निमाड़ उत्सव की ख्याति विदेशों तक पहुंच रही है.

खरगोन। महेश्वर में नर्मदा नदी के तट और अहिल्या किला दरबार में आयोजित निमाड़ उत्सव अपने चरम पर है. मंगलवार को देसी-विदेशी संस्कृतियों को हजारों दर्शकों ने खूब सराहा. कार्यक्रम की शुरूआत मणिपुर के लोक कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और संगीत से की. इस उत्सव में देसी के साथ-साथ विदेशी लोक कलाकारों ने भी शानदार प्रस्तुतियां दीं. जिसमें मिस्र का तनोरा नृत्य खास रहा.

निमाड़ उत्सव

मेडिटेशन की अद्भुत नृत्यशैली 'तनोरा'

निमाड़ उत्सव के दूसरे दिन मिस्र का तनोरा पारंपरिक नृत्य खासतौर पर आकर्षण का केंद्र रहा. ये नृत्य एक पुरूष और एक महिला कलाकार अनोखे ढंग के साथ प्रस्तुत करते हैं. जिसमें तबला, ढपली, बांसुरी, ओंद और नाय जैसे संगीत यंत्रों की धुन पर परफॉर्म किया जाता है. इस लोक नृत्य की विशेषता है कि ये मुख्य तौर पर प्राचीन समय में मेडिटेशन के लिए किया जाता था. इसके अलावा इस नृत्य में कलाकारों ने 25 किलो से अधिक वजनी वेशभूषा पहन रखा था.

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने गेढ़ी नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया. इसके अलावा मणिपुर के पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुत की गई नृत्यशैली कमाल की थी, जिसमें ढोलक, बीग-ड्रम, बांसुरी और पैना के अलौकिक संगीत ने उत्सव में चार चांद लगा दिए. दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत में प्रदेश की संस्कृति मंत्री डॉक्टर विजयलक्ष्मी साधौ ने नर्मदाष्टक का पाठ कर आरती की.

साधौ ने कहा कि उन्होंने निमाड़ उत्सव को लेकर जो सोचा था, वह स्वरूप ले रहा है. आज इजिप्ट के कलाकारों ने प्रस्तुति दी. महेश्वर में पहली बार विदेशी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी हैं और निमाड़ उत्सव की ख्याति विदेशों तक पहुंच रही है.

Intro:

निमाड़ ने देखी मेडिटेशन की अद्भूत नृत्य शैली
खरगोन के महेश्वर में मां नर्मदा के तट और अहिल्या के किला दरबार में आयोजित निमाड़ उत्सव अपने चरम पर है। मंगलवार को देशी संस्कृति के साथ-साथ विदेशी संस्कृति को हजारों की संख्या में मौजूद निमाड़ी दर्शकों ने खुब सराहा। कार्यक्रम की शुरूआत में मणिपुर के लोक कलाकारों ने खंबाजागोय थोयबी नृत्य और संगीत से शुरूआत की, जो मणिपुर में अक्सर खुशियों और मंगल आयोजनों के दौरान किया जाता है।



Body:इसके पश्चात छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने गेढ़ी नृत्य प्रस्तुत कर उत्सव में एक और आदिवासी संस्कृति का रंग भरने का काम किया। इस नृत्य के साथ-साथ मणिपुर के पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्र के साथ नृत्यशैली कमाल की थी, जिसमें ढ़ोलक, बीग-ड्रम, बांसुरी और पैना का आलौकिक संगीत जैसे मां नर्मदा के जल में घुलकर दर्शकों के कानों में बजने लगें। निमाड़ उत्सव के दूसरे दिन कार्तिक पूर्णिमा पर मां अहिल्या के घाट पर देशी व विदेशी संस्कृतियों का नृत्य आयोजन निमाड़ उत्सव का एक नया रूप प्रदान किया। दूसरे दिन का कार्यक्रम प्रारंभ होने से पूर्व प्रदेश की संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने मां नर्मदाष्टक का पाठ कर आरती की। वहीं मंच पर कलाकारों को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया।


मेडिटेशन की अद्भूत नृत्यशैली और वेषभूषा को मिली सराहना

निमाड़ उत्सव के दूसरे दिन मिश्र का तनोर पारंपरिक नृत्य भी मुख्य आकर्षक कार्यक्रमों में रहा। यह नृत्य एक पुरूष और एक महिला कलाकार द्वारा अनोखे ढंग के साथ प्रस्तुत हुआ। काहिरा के अहमद हैल्ली ने और हंगरी की साथी कलाकार कल्दिया ने हंगरी और मिश्र के पारंपरिक आयोजनों में मुख्य रूप से किया जाने वाला नृत्य प्रस्तुत किया। कल्दिया ने बताया कि इस नृत्य के दौरान पारंपरिक तबला, ढपली, बांसुरी, ओंद और नाय जैसे संगीत यंत्रों के साथ किया जाता है। यह नृत्य करते हुए मुझे अपने अंदर ऊर्जा समाहित होने जैसा महसूस होता है। यह नृत्य विशेष रूप से मेडिटेशन के तौर पर प्राचीन समय ये किया जाता रहा है।  नृत्य के दौरान 25 किलों से अधिक वजन वाली वेशभूषा को देख दर्शकों से खुब सराहना मिली। तनोरा नृत्य के दौरान तीन प्रकार के संगीत वाद्य यंत्र का प्रयोग विशेष रूप से होता है। वहीं वेशभूषा शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होती है।
इस अवसर पर संस्कृति मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ ने कहा कि मैने निमाड़ उत्सव को लेकर जो सोचा था वह स्वरूप ले रहा है। आज इजिप्ट के कलाकारों ने प्रस्तुति दी। महेष्वर में पहली बार किसी विदेशी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी है।
बाइट विजयलक्ष्मी साधौ



Conclusion:
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