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MP Seat Scan Khargone: खरगोन विधानसभा सीट पर हुए 14 चुनाव, 8 बार कांग्रेस, 6 बार बीजेपी की हुई जीत, अंतिम 4 चुनाव में बीजेपी भारी

एमपी (Madhya Pradesh) की खरगोन विधानसभा काफी प्रतिष्ठित मानी जाती है. इस सीट में जिला मुख्यालय और कपास का कारोबार होने के कारण दोनों ही पार्टी इस पर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहती है. अभी यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है और ओवरऑल चुनाव में भी कांग्रेस की जीत का फीसदी अधिक है. लेकिन पिछले पांच चुनाव देखें तो बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आता है.

Number of voters in Khargone Assembly
खरगोन विधानसभा की खासियत
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 9, 2023, 2:57 PM IST

भोपाल। एमपी की खरगोन विधानसभा सीट पर कांग्रेस के रवि रमेशचन्‍द्र जोशी विधायक हैं और इस बार भी वही सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. खरगोन सीट और इस जिले में एक भी सीट अभी बीजेपी के पास नहीं है. इस जिले में 3 सीटें आरक्षित हैं तो 3 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में खरगोन सीट से 10 उम्मीदवार आमने-सामने थे, लेकिन मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही था. बीजेपी की तरफ से बालकृष्ण पाटीदार थे तो कांग्रेस के उम्मीदवार रवि रमेशचंद्र जोशी. जोशी ने इस कड़े मुकाबले में 9,512 वोट से जीत दर्ज की थी. फीसदी में देखें तो जीत का अंतर महज 5.5% ही था.

Number of voters in Khargone Assembly
खरगोन विधानसभा में मतदाताओं की संख्या

2 लाख से ज्यादा वोटर्स की संख्या: 2018 के चुनाव में खरगोन सीट पर 2,19,762 वोटर्स थे और इनमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,13,131 और महिला वोटर्स की संख्या 1,06,631 थी. इनमें से कुल 1 लाख 74 हजार 231 वोटिंग की थी. यदि वोटिंग परसेंट देखें तो कांग्रेस की जीत पर थोड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि वोटिंग परसेंट बढ़ने पर हमेशा बीजेपी जीतती आई है. पिछली बार खरगोन में 80.4% मतदाताओं ने वोट डाले थे. यदि दावदारों की बात करें तो कांग्रेस की तरफ से जिला अध्यक्ष राजेंद्र राठौर, पूर्व विधायक बालकृष्ण पाटीदार और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य कल्याण अग्रवाल हैं. वहीं कांग्रेस की तरफ से वर्तमान विधायक रवि जोशी, पूर्व विधायक परसराम डंडीर और दीपक डंडीर के नाम सामने आ रहे हैं.

Specialty of Khargone Assembly
खरगोन विधानसभा की खासियत

खरगोन में व्यवसाय और जातिगत समीकरण: खरगोन सफेद सोने यानी कपास के लिए मशहूर है. खरगोन के भीतर से उत्तर व दक्षिण प्रदेशों को जोड़ने वाले प्राकृतिक मार्ग कपास बिजनेस के लिए बड़े ही अहम माने जाते हैं. खरगोन में किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिलते, बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. पाटीदार और यादव समुदाय के मतदाता यहां निर्णायक भूमिका में होते है. इसके बाद भी यहां ब्राम्हण नेता का जीतना चौंकाता है. 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही पश्चिम निमाड़ जिला अस्तित्व में आया था, लेकिन 25 मई 1998 को पश्चिम निमाड़ जिले को 2 जिलों (खरगौन और बड़वानी) में बांट दिया गया था. इसके बाद खरगोन में कपास की अच्छी खासी खेती होती है. इसके अलावा यहां पर मिर्ची और मूंगफली का भी उत्पादन किया जाता है. इन फसलों में पाटीदार समाज का वर्चस्व है.

खरगोन विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: खरगोन सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है. पहली बार यह सीट 1957 में बनी और पहली बार कांग्रेस के सवाईसिंह बलराम सिंह (एसटी) ने खोड़े रमाकांत को 870 वोट से हराकर चुनाव जीता. 1962 में जनसंघ के बालचंद्र बागदरे ने कांग्रेस के बलवंत सांगले को 2016 वोटों से हराया. 1967 में कांग्रेस के रखमा जी ने भारतीय जनसंघ के बालचंद्र बागदरे को 8963 वोट से हराकर सीट वापस ले ली. 1972 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चंद्रकांत आर खोड़े को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 18468 वोट मिले और उन्होंने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार भालचंद्र एस बागदरे को कुल 5872 वोटों से हराया. 1977 में खरगोन विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी जीती. इस पर जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार नवनीत महाजन को बनाया. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चंद्रकांत रमाकांत खोड़े को उम्मीदवार बनाया. यह चुनाच बीजेपी ने कांग्रेस को 5822 वोटों से हरा दिया. 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चंद्रकांत रमाकांत को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर इस सीट से विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार भालचंद बागदरे को 5734 वोटों से हराया.

Number of voters in Khargone Assembly
2018 का रिजल्ट

एक बार बीजेपी की, एक बार कांग्रेस की सीट: 1985 में खरगोन विधान सभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस बार करुणा दांगी को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बन गईं, उन्हें कुल 24133 वोट मिले. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रायसिंह राठौड़ को 10412 वोटों से हराया. 1990 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राय सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने कांग्रेस से सीट छीनकर बीजेपी को दिलाई. उन्हें कुल 37565 वोट मिले थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रकांत खोड़े को 24471 वोटों के बड़े अंतर से हराया. 1993 में खरगोन विधान सभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ने परसराम बाबूलाल डंडीर को उम्मीदवार बनाया. डंडीर जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 42749 वोट मिले. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रायसिंह राठौड़ को 2689 वोटों से हराया. इस जीत का सिलसिला 1998 में भी कांग्रेस ने जारी रखा. 1998 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने फिर से परसराम बाबूलाल डंडीर को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 44492 वोट मिले। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार चन्द्रशेखर नाइक को 3516 वोटों से हराया.

Number of voters in Khargone Assembly
पिछले 3 चुनावों का रिजल्ट

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बीजेपी ने कांग्रेस की हैट्रिक रोककर खुद बनाई हैट्रिक: 2003 में खरगोन विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने कांग्रेस की हैट्रिक रोक दी. इस बार इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने बाबूलाल महाजन को उम्मीदवार बनाया और वे जीते व विधायक बने. उन्हें कुल 55231 वोट मिले. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार रामलाल पाटीदार को 7300 वोटों से हराया. 2008 में फिर से बीजेपी ने खरगोन विधानसभा जीत ली. इस बार इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने बालकृष्ण पाटीदार को उम्मीदवार बनाया. उन्हें कुल 59693 वोट मिले और पाटीदार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार रामलाल सीताराम पाटीदार को 24750 वोटों के बड़े अंतर से हराया. 2013 में फिर से बीजेपी ने सीट जीती. इस बार खरगोन विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने बालकृष्ण पाटीदार को उम्मीदवार बनाया. वे जीते और विधायक बने, उन्हें कुल 74519 वोट मिले. पाटीदार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार रवि रमेश चंद्र को 6825 वोटों से हराया. बीजेपी की हैट्रिक के बाद कांग्रेस ने चौथी जीत से रोक दिया. 2018 में खरगोन विधानसभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रवि रमेशचंद्र जोशी को दोबारा उम्मीदवार बनाया. जोशी जीतकर विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बालकृष्ण पाटीदार को 9512 वोटों से हरा दिया.

भोपाल। एमपी की खरगोन विधानसभा सीट पर कांग्रेस के रवि रमेशचन्‍द्र जोशी विधायक हैं और इस बार भी वही सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. खरगोन सीट और इस जिले में एक भी सीट अभी बीजेपी के पास नहीं है. इस जिले में 3 सीटें आरक्षित हैं तो 3 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में खरगोन सीट से 10 उम्मीदवार आमने-सामने थे, लेकिन मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही था. बीजेपी की तरफ से बालकृष्ण पाटीदार थे तो कांग्रेस के उम्मीदवार रवि रमेशचंद्र जोशी. जोशी ने इस कड़े मुकाबले में 9,512 वोट से जीत दर्ज की थी. फीसदी में देखें तो जीत का अंतर महज 5.5% ही था.

Number of voters in Khargone Assembly
खरगोन विधानसभा में मतदाताओं की संख्या

2 लाख से ज्यादा वोटर्स की संख्या: 2018 के चुनाव में खरगोन सीट पर 2,19,762 वोटर्स थे और इनमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,13,131 और महिला वोटर्स की संख्या 1,06,631 थी. इनमें से कुल 1 लाख 74 हजार 231 वोटिंग की थी. यदि वोटिंग परसेंट देखें तो कांग्रेस की जीत पर थोड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि वोटिंग परसेंट बढ़ने पर हमेशा बीजेपी जीतती आई है. पिछली बार खरगोन में 80.4% मतदाताओं ने वोट डाले थे. यदि दावदारों की बात करें तो कांग्रेस की तरफ से जिला अध्यक्ष राजेंद्र राठौर, पूर्व विधायक बालकृष्ण पाटीदार और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य कल्याण अग्रवाल हैं. वहीं कांग्रेस की तरफ से वर्तमान विधायक रवि जोशी, पूर्व विधायक परसराम डंडीर और दीपक डंडीर के नाम सामने आ रहे हैं.

Specialty of Khargone Assembly
खरगोन विधानसभा की खासियत

खरगोन में व्यवसाय और जातिगत समीकरण: खरगोन सफेद सोने यानी कपास के लिए मशहूर है. खरगोन के भीतर से उत्तर व दक्षिण प्रदेशों को जोड़ने वाले प्राकृतिक मार्ग कपास बिजनेस के लिए बड़े ही अहम माने जाते हैं. खरगोन में किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिलते, बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. पाटीदार और यादव समुदाय के मतदाता यहां निर्णायक भूमिका में होते है. इसके बाद भी यहां ब्राम्हण नेता का जीतना चौंकाता है. 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही पश्चिम निमाड़ जिला अस्तित्व में आया था, लेकिन 25 मई 1998 को पश्चिम निमाड़ जिले को 2 जिलों (खरगौन और बड़वानी) में बांट दिया गया था. इसके बाद खरगोन में कपास की अच्छी खासी खेती होती है. इसके अलावा यहां पर मिर्ची और मूंगफली का भी उत्पादन किया जाता है. इन फसलों में पाटीदार समाज का वर्चस्व है.

खरगोन विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: खरगोन सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है. पहली बार यह सीट 1957 में बनी और पहली बार कांग्रेस के सवाईसिंह बलराम सिंह (एसटी) ने खोड़े रमाकांत को 870 वोट से हराकर चुनाव जीता. 1962 में जनसंघ के बालचंद्र बागदरे ने कांग्रेस के बलवंत सांगले को 2016 वोटों से हराया. 1967 में कांग्रेस के रखमा जी ने भारतीय जनसंघ के बालचंद्र बागदरे को 8963 वोट से हराकर सीट वापस ले ली. 1972 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चंद्रकांत आर खोड़े को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 18468 वोट मिले और उन्होंने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार भालचंद्र एस बागदरे को कुल 5872 वोटों से हराया. 1977 में खरगोन विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी जीती. इस पर जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार नवनीत महाजन को बनाया. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चंद्रकांत रमाकांत खोड़े को उम्मीदवार बनाया. यह चुनाच बीजेपी ने कांग्रेस को 5822 वोटों से हरा दिया. 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चंद्रकांत रमाकांत को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर इस सीट से विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार भालचंद बागदरे को 5734 वोटों से हराया.

Number of voters in Khargone Assembly
2018 का रिजल्ट

एक बार बीजेपी की, एक बार कांग्रेस की सीट: 1985 में खरगोन विधान सभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस बार करुणा दांगी को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बन गईं, उन्हें कुल 24133 वोट मिले. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रायसिंह राठौड़ को 10412 वोटों से हराया. 1990 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राय सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने कांग्रेस से सीट छीनकर बीजेपी को दिलाई. उन्हें कुल 37565 वोट मिले थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रकांत खोड़े को 24471 वोटों के बड़े अंतर से हराया. 1993 में खरगोन विधान सभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ने परसराम बाबूलाल डंडीर को उम्मीदवार बनाया. डंडीर जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 42749 वोट मिले. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रायसिंह राठौड़ को 2689 वोटों से हराया. इस जीत का सिलसिला 1998 में भी कांग्रेस ने जारी रखा. 1998 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने फिर से परसराम बाबूलाल डंडीर को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 44492 वोट मिले। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार चन्द्रशेखर नाइक को 3516 वोटों से हराया.

Number of voters in Khargone Assembly
पिछले 3 चुनावों का रिजल्ट

Also Read:

बीजेपी ने कांग्रेस की हैट्रिक रोककर खुद बनाई हैट्रिक: 2003 में खरगोन विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने कांग्रेस की हैट्रिक रोक दी. इस बार इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने बाबूलाल महाजन को उम्मीदवार बनाया और वे जीते व विधायक बने. उन्हें कुल 55231 वोट मिले. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार रामलाल पाटीदार को 7300 वोटों से हराया. 2008 में फिर से बीजेपी ने खरगोन विधानसभा जीत ली. इस बार इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने बालकृष्ण पाटीदार को उम्मीदवार बनाया. उन्हें कुल 59693 वोट मिले और पाटीदार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार रामलाल सीताराम पाटीदार को 24750 वोटों के बड़े अंतर से हराया. 2013 में फिर से बीजेपी ने सीट जीती. इस बार खरगोन विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने बालकृष्ण पाटीदार को उम्मीदवार बनाया. वे जीते और विधायक बने, उन्हें कुल 74519 वोट मिले. पाटीदार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार रवि रमेश चंद्र को 6825 वोटों से हराया. बीजेपी की हैट्रिक के बाद कांग्रेस ने चौथी जीत से रोक दिया. 2018 में खरगोन विधानसभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रवि रमेशचंद्र जोशी को दोबारा उम्मीदवार बनाया. जोशी जीतकर विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बालकृष्ण पाटीदार को 9512 वोटों से हरा दिया.

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