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श्रावण में भी नन्हेश्वर धाम में पसरा सन्नाटा, यहां पूरे साल जल में रहते हैं भगवान हटकेश्वर

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Published : Jul 20, 2020, 9:56 AM IST

Updated : Jul 20, 2020, 1:56 PM IST

खरगोन के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल नन्हेश्वर धाम में विराजमान भगवान हटकेश्वर पर भी कोरोना का प्रभाव दिख रहा है.

Nanheshwar Dham
नन्हेश्वर धाम मंदिर

खरगोन। जिले के सतपुड़ा की वादियों में बसे भगवानपुरा में कुन्दा नदी के दक्षिण तट पर स्थित नन्हेश्वर धाम को इन दिनों श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है. मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि पर बने इस मंदिर में भगवान हाटकेश्वर पूरे साल जल में रहते हैं, लेकिन कोरोना का असर भगवान शिव के प्रिय माह श्रावण में भी दिख रहा है. नन्हेश्वर धाम में एक दो श्रद्धालु ही पहुंच रहे हैं.

नन्हेश्वर धाम मंदिर

नन्हेश्वर धाम के कुंड में प्राकृतिक छटाओं के बीच नहाने का भी लाभ मिलता है. भगवानपुरा दर्शनों के लिए पहुंची श्रद्धालु सीमा यादव ने बताया कि ये प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यहां पर शिवलिंग पूरे साल जल में डूबा रहता है.

Lord Hatkeswar
भगवान हटकेश्वर

वहीं सन्त हरिओम बाबा ने बताया कि यहां कई हजार साल पहले मार्कण्डेय ऋषि ने तप किया था. इसलिए इसे मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि कहा जाता है. मुगलों ने इस मंदिर को खंडित कर दिया था, जिसके बाद ये उजाड़ हो गया था. अब इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है, अभी कोरोना की वजह से बंद है. यहां ये शिवलिंग पूरे साल जल में ही रहता है.

खरगोन। जिले के सतपुड़ा की वादियों में बसे भगवानपुरा में कुन्दा नदी के दक्षिण तट पर स्थित नन्हेश्वर धाम को इन दिनों श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है. मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि पर बने इस मंदिर में भगवान हाटकेश्वर पूरे साल जल में रहते हैं, लेकिन कोरोना का असर भगवान शिव के प्रिय माह श्रावण में भी दिख रहा है. नन्हेश्वर धाम में एक दो श्रद्धालु ही पहुंच रहे हैं.

नन्हेश्वर धाम मंदिर

नन्हेश्वर धाम के कुंड में प्राकृतिक छटाओं के बीच नहाने का भी लाभ मिलता है. भगवानपुरा दर्शनों के लिए पहुंची श्रद्धालु सीमा यादव ने बताया कि ये प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यहां पर शिवलिंग पूरे साल जल में डूबा रहता है.

Lord Hatkeswar
भगवान हटकेश्वर

वहीं सन्त हरिओम बाबा ने बताया कि यहां कई हजार साल पहले मार्कण्डेय ऋषि ने तप किया था. इसलिए इसे मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि कहा जाता है. मुगलों ने इस मंदिर को खंडित कर दिया था, जिसके बाद ये उजाड़ हो गया था. अब इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है, अभी कोरोना की वजह से बंद है. यहां ये शिवलिंग पूरे साल जल में ही रहता है.

Last Updated : Jul 20, 2020, 1:56 PM IST
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