खरगोन। जिला मुख्यालय से खंडवा बड़ौदा राजमार्ग पर दसनावल गांव में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैद्यराज धनवंतरी और तक्षक नाग का मिलन हुआ था. जहां आज तक्षक नाग मंदिर बना हुआ है. मान्यता है कि कलयुग के आरंभ में पांच हजार साल पहले राजा परीक्षित द्वारा मरे हुए सांप को ऋषि के गले में डाल दिया था. जिससे ऋषि ने क्रोधित होकर राजा परीक्षित को श्राप दिया था कि तुम्हारी मौत तक्षक नाग के काटने से होगी. जिससे भयभीत होकर राजा परीक्षित ने वैद्यराज भगवान धनवंतरी का आव्हान किया. भगवान धनवंतरी ने राजा परीक्षित को बचाने का आश्वासन दिया.
जिसके बाद भगवान धनवंतरी और तक्षक नाग का सामना दसनावल गांव में हुआ था. यहां पर इस मान्यता से जुड़े तथ्य आज भी मौजूद हैं. यहां तक्षक नाग की मूर्ति स्वयंभू है और हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. पहले यह मूर्ति चार इंच की थी, जो आज चार फीट से ज्यादा की हो गई है. राजा परीक्षित और तक्षक नाग के पुराण में उल्लेख के साथ इसलिए भी यह बात पुख्ता होती है. कि यहां पर पांच हजार साल पुराना भगवान धनवंतरी का मंदिर भी है. लेकिन रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुका है.
ग्रामीणों ने बताया कि इस मंदिर में पहले किसी सांप से काटे व्यक्ति को यहां सुला दिया जाता है, तो सुबह वह अपने आप घर पहुंच जाता था. वहीं पुराणों के अनुसार एक बरगद का पेड़ भी है, जिसे तक्षक नाग ने अपनी फुंफकार से सुखा दिया था. वहीं भगवान धनवंतरी ने पेड़ को पानी छिड़ककर दोबारा हरा- भरा कर दिया था.