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जानिये क्या है 'तक्षक नाग मंदिर' से जुड़ी कलयुग के आरंभ होने की मान्यता - belief associated with the Takshak Nag temple

कलयुग के आरंभ की एक मान्यता 'तक्षक नाग मंदिर' से जुड़ी हुई है. इसके अनुसार मंदिर की जगह पर पांच हजार साल पहले भगवान धनवंतरी और तक्षक नाग का एक दूसरे से सामना हुआ था.

नागपंचमी विशेष
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Published : Aug 5, 2019, 5:18 PM IST

खरगोन। जिला मुख्यालय से खंडवा बड़ौदा राजमार्ग पर दसनावल गांव में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैद्यराज धनवंतरी और तक्षक नाग का मिलन हुआ था. जहां आज तक्षक नाग मंदिर बना हुआ है. मान्यता है कि कलयुग के आरंभ में पांच हजार साल पहले राजा परीक्षित द्वारा मरे हुए सांप को ऋषि के गले में डाल दिया था. जिससे ऋषि ने क्रोधित होकर राजा परीक्षित को श्राप दिया था कि तुम्हारी मौत तक्षक नाग के काटने से होगी. जिससे भयभीत होकर राजा परीक्षित ने वैद्यराज भगवान धनवंतरी का आव्हान किया. भगवान धनवंतरी ने राजा परीक्षित को बचाने का आश्वासन दिया.

नागपंचमी विशेष: तक्षक नाग मंदिर से जुड़ी मान्यता

जिसके बाद भगवान धनवंतरी और तक्षक नाग का सामना दसनावल गांव में हुआ था. यहां पर इस मान्यता से जुड़े तथ्य आज भी मौजूद हैं. यहां तक्षक नाग की मूर्ति स्वयंभू है और हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. पहले यह मूर्ति चार इंच की थी, जो आज चार फीट से ज्यादा की हो गई है. राजा परीक्षित और तक्षक नाग के पुराण में उल्लेख के साथ इसलिए भी यह बात पुख्ता होती है. कि यहां पर पांच हजार साल पुराना भगवान धनवंतरी का मंदिर भी है. लेकिन रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुका है.

ग्रामीणों ने बताया कि इस मंदिर में पहले किसी सांप से काटे व्यक्ति को यहां सुला दिया जाता है, तो सुबह वह अपने आप घर पहुंच जाता था. वहीं पुराणों के अनुसार एक बरगद का पेड़ भी है, जिसे तक्षक नाग ने अपनी फुंफकार से सुखा दिया था. वहीं भगवान धनवंतरी ने पेड़ को पानी छिड़ककर दोबारा हरा- भरा कर दिया था.

खरगोन। जिला मुख्यालय से खंडवा बड़ौदा राजमार्ग पर दसनावल गांव में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैद्यराज धनवंतरी और तक्षक नाग का मिलन हुआ था. जहां आज तक्षक नाग मंदिर बना हुआ है. मान्यता है कि कलयुग के आरंभ में पांच हजार साल पहले राजा परीक्षित द्वारा मरे हुए सांप को ऋषि के गले में डाल दिया था. जिससे ऋषि ने क्रोधित होकर राजा परीक्षित को श्राप दिया था कि तुम्हारी मौत तक्षक नाग के काटने से होगी. जिससे भयभीत होकर राजा परीक्षित ने वैद्यराज भगवान धनवंतरी का आव्हान किया. भगवान धनवंतरी ने राजा परीक्षित को बचाने का आश्वासन दिया.

नागपंचमी विशेष: तक्षक नाग मंदिर से जुड़ी मान्यता

जिसके बाद भगवान धनवंतरी और तक्षक नाग का सामना दसनावल गांव में हुआ था. यहां पर इस मान्यता से जुड़े तथ्य आज भी मौजूद हैं. यहां तक्षक नाग की मूर्ति स्वयंभू है और हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. पहले यह मूर्ति चार इंच की थी, जो आज चार फीट से ज्यादा की हो गई है. राजा परीक्षित और तक्षक नाग के पुराण में उल्लेख के साथ इसलिए भी यह बात पुख्ता होती है. कि यहां पर पांच हजार साल पुराना भगवान धनवंतरी का मंदिर भी है. लेकिन रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुका है.

ग्रामीणों ने बताया कि इस मंदिर में पहले किसी सांप से काटे व्यक्ति को यहां सुला दिया जाता है, तो सुबह वह अपने आप घर पहुंच जाता था. वहीं पुराणों के अनुसार एक बरगद का पेड़ भी है, जिसे तक्षक नाग ने अपनी फुंफकार से सुखा दिया था. वहीं भगवान धनवंतरी ने पेड़ को पानी छिड़ककर दोबारा हरा- भरा कर दिया था.

Intro:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 5000 वर्ष पूर्व कलयुग का आरंभ राजा परीक्षित द्वारा अपने मद में आकर मरे हुए सांप को ऋषि के गले में डाल दिया। जिससे ऋषि क्रोधित हो गए और श्राप दे दिया कि तुम तक्षक नाग काटने से मरोगे। जिससे भयभीत होकर राजा परीक्षित ने वैद्यराज भगवान धनवंतरी का आव्हान किया। भगवान धन्वंतरी ने राजा परीक्षित को बचाने का वचन दिया। तक्षक नाग मंदिर को लेकर कई कहानियां हैं जो आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं।


Body:खरगोन जिला मुख्यालय से खंडवा बड़ौदा राजमार्ग पूर्व दिशा में 25 किलोमीटर दूर ग्राम दसनावल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्राम दसनावल में वैद्यराज धनवंतरी और तक्षक नाग का मिलन हुआ था। कहा जाता है कि कलयुग के आरंभ में 5000 वर्ष पूर्व राजा परीक्षित द्वारा मरे हुए सांप को ऋषि के गले में डाल दिया था। जिससे ऋषि क्रोधित होकर राजा परीक्षित को श्राप दिया कि तुम्हारी तक्षक नाग के काटने से मृत्यु होगी। जिससे भयभीत होकर राजा परीक्षित ने वैद्यराज भगवान धनवंतरी आव्हान किया। भगवान धन्वंतरी ने राजा परीक्षित को बचाने का आश्वासन दिया। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरी और तक्षक नाग का सामना ग्राम दसनावल में हुआ था। यहां पर कहानी से जुड़े तथ्य अपनी कहानी खुद बयां करते हैं। तक्षक नाग की मूर्ति स्वयंभू है और प्रतिवर्ष चावल के दाने के बराबर बढ़ती है। पहले यह मूर्ति 4 इंच की थी जो आज 4 फीट से अधिक हो गई है।
1-2-1 अखिलेश गुप्ता
राजा राजा परीक्षित और तक्षक नाग के पुराण मैं उल्लेख के साथ साथ के साथ साथ इसलिए भी यह बात पुख्ता होती है कि यहां पर 5000 वर्ष पुराना भगवान धन्वंतरी का मंदिर भी है परंतु रखरखाव के अभाव में जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। ग्रामीण ने बताया कि इस मंदिर में पहले किसी सांप से काटे व्यक्ति को यहां सुला दिया जाता है तो सुबह वह अपने आप घर पहुंच जाता है।
बाइट ओमप्रकाश तटवाड़े ग्रामीण
वही पुराणों के अनुसार एक बरगद का पेड़ भी है जिसे तक्षक नाग ने अपनी फुंफकार से बरगद के पेड़ को सुखा दिया था वही भगवान धन्वंतरि ने पेड़ को पानी छिड़ककर पुनः हरा भरा कर दिया
वन टूवन अखिलेश गुप्ता


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