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भोले की बारात के लिए बेताब शहर, भव्य शिवडोले में शामिल होंगे लाखों भक्त

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Published : Aug 17, 2019, 11:50 AM IST

ऐतिहासिक शिवडोले के स्वागत के लिए खरगोन तैयार है. इस दौरान भगवान सिद्धनाथ 15 घंटे भक्तों को दर्शन देंगे. इस भव्य यात्रा में लाखों लोग शामिल होंगे.

शिवडोले का शहरवासी को बेसब्री से इंतजार

खरगोन। जिले में आज का दिन सिध्दनाथ भक्तों के नाम रहेगा. नगर भ्रमण के लिए निकलने वाले शिवडोले का शहरवासी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. यह शिवडोला प्रदेश के कुल पांच विशेष शिवडोलों में शामिल है. इस भव्य शिवडोले को 3.52 किलोमीटर की यात्रा पूरा करने में 15 घंटे का समय लगता है.

शिवडोले का शहरवासी को बेसब्री से इंतजार

शिवडोले में पांच प्रदेशों के करतब दिखाने वाले कलाकार और 35 से ज्यादा झांकिया हैं. इसमें लाखों लोग शामिल होंगे. वही शिवडोले के साथ-साथ चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग स्टॉल्स पर जलपान की व्यवस्था की गई है.

सिद्धनाथ महादेव मंदिर के पीछे है रोचक कहानी

सिद्धनाथ महादेव मंदिर की कहानी काफी रोचक है. मंदिर के इतिहास के बारे में नौवीं पीढ़ी के वंशज अशोक मल्लीवाल बताते हैं कि मंदिर का निर्माण 1707 में उनके पिता और माता जानकी के बेटे यानि भगवान शिव के भाई शम्भूदयाल ने करवाया था. सिद्धनाथ महादेवजी ने माता जानकी के गर्भ में 9 महीने रहकर नाग रूप में जन्म लिया था. मंदिर में बना शिवलिंग नाग देवता की समाधि पर स्थापित है.

खरगोन। जिले में आज का दिन सिध्दनाथ भक्तों के नाम रहेगा. नगर भ्रमण के लिए निकलने वाले शिवडोले का शहरवासी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. यह शिवडोला प्रदेश के कुल पांच विशेष शिवडोलों में शामिल है. इस भव्य शिवडोले को 3.52 किलोमीटर की यात्रा पूरा करने में 15 घंटे का समय लगता है.

शिवडोले का शहरवासी को बेसब्री से इंतजार

शिवडोले में पांच प्रदेशों के करतब दिखाने वाले कलाकार और 35 से ज्यादा झांकिया हैं. इसमें लाखों लोग शामिल होंगे. वही शिवडोले के साथ-साथ चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग स्टॉल्स पर जलपान की व्यवस्था की गई है.

सिद्धनाथ महादेव मंदिर के पीछे है रोचक कहानी

सिद्धनाथ महादेव मंदिर की कहानी काफी रोचक है. मंदिर के इतिहास के बारे में नौवीं पीढ़ी के वंशज अशोक मल्लीवाल बताते हैं कि मंदिर का निर्माण 1707 में उनके पिता और माता जानकी के बेटे यानि भगवान शिव के भाई शम्भूदयाल ने करवाया था. सिद्धनाथ महादेवजी ने माता जानकी के गर्भ में 9 महीने रहकर नाग रूप में जन्म लिया था. मंदिर में बना शिवलिंग नाग देवता की समाधि पर स्थापित है.

Intro:खरगोन
शहर आज दुल्हन की तरह सज़ गया है ओर लोग पलक पावड़े बिछा कर भोले की बारात का इंतजार कर रहे 17 अगस्त को निकलने वाले शिवड़ोले का।


Body:खरगोन शहर में 17 अगस्त को निकलने वाले शिवडोले का पलक पावड़े बिछा कर इंतजार कर रहे है। जिसके लिए शहरवासियों ने शहर को दुल्हन की तरह सजा दिया है। कभी एक छोटी सी पालकि में सवा सौ लोगों से शुरू हुआ शिवडोले ने आज भव्य रूप धारण कर लिया है। आज यह शिवडोला प्रदेश में निकलने वाले शिवडोलों में विशेष 5 डोलों में शुमार है। इस शिवडोले में आज लाखों लोग शामिल होते है। 5 प्रदेशो के करतब दिखाने वाले कलाकारों के साथ 35 से ज्यादा झांकिया शामिल होती है। वही शिवडोले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग अलग स्टालों पर अलग अलग जलपान की व्यवस्था होती है। लगभग 3.52 किलोमीटर कि यात्रा में 15 घण्टे का समय लगता है।
शिवडोला जितना भव्य है। सिद्धनाथ महादेव मंदिर की कहानी भी रोचक है। कहते है एक महिला के गर्भ में नौ माह रहकर नाग रूप में जन्म लिया था । नाग की मृत्यु के बाद उसी स्थान पर विराजमान है। सिद्धनाथ महादेव की कहानी ईटीवी भारत शिव रात्रि के अवसर पर दिखा चुका है।


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