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लॉकडाउन में मुरझाया फूलों का कारोबार, फूल उत्पादक किसानों पर रोजी रोटी का संकट

ना फूल तोड़ने वाले हैं और ना ही कोई चढ़ाने वाला. खेतों में ही क्विंटलों गेंदे के फूल नष्ट हो रहे हैं. मजबूरन किसान फूलों को फेंक रहे हैं. लॉकडाउन के कारण फूल उत्पादक किसानों के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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Published : Apr 28, 2020, 12:23 AM IST

Flower gardens
फूल के बगीचे

खरगोन जिले में कोरोना महामारी के चलते जिले भर में फूल उत्पादक किसान परेशान हैं. मंदिरों के पट बंद हैं, भक्त और पुजारी घरों में कैद हैं, बसें चल नहीं रहीं, शादियां हो नहीं रही. ऐसे में खेतों में लगा गेंदे के फूल ना तो किसान तोड़ पा रहा है और ना ही बेच पा रहा है, आमदनी नहीं होने के कारण अब जेब भी खाली हो चुकी है ऐसे में फूल उगाने वाले परेशान हैं.

रोजी रोटी का संकट

विकासखंड सेगांव के रसगांव में गेंदे के फूल खेतों में ही मुरझा रहे हैं. रोज करीब 4 से पांच हजार रुपए के गेंदे के फूल बेचने वाले किसान अब अपने खेतों में गेंदे के फूल सूखते और सड़ते देखने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के कारण फूलों को फेंकना पड़ रहा है, क्योंकि इनकी ब्रिक्री नहीं हो रही है.

रस गांव निवासी किसान भगवान चौधरी, शंकर चौधरी की रोजी रोटी फूल बेचकर ही चलती है. फूलों की बिक्री के सारे रास्ते बंद होने से उनके समक्ष रोजी रोटी का संकट निर्मित हो गया है. अब केवल लॉकडाउन खत्म होने पर ही उनकी समस्या खत्म होगी.

किसान ने जहां कड़ी मेहनत व सिंचाई से अपना पसीना बहाकर फूलों की फसल तैयार की थी. लेकिन अब उसे उखाड़ कर फेंकने पर विवश होना पड़ रहा है. वहीं किसान ने शासन से मुआवजे की मांग भी की है.

कोरोना महामारी के चलते फूल उत्पादक किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है, फूल उत्पादक किसानों का कहना है कि न खरीदार मिल रहे हैं और न ही परिवहन के साधन हैं इन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग भी की है.

खरगोन जिले में कोरोना महामारी के चलते जिले भर में फूल उत्पादक किसान परेशान हैं. मंदिरों के पट बंद हैं, भक्त और पुजारी घरों में कैद हैं, बसें चल नहीं रहीं, शादियां हो नहीं रही. ऐसे में खेतों में लगा गेंदे के फूल ना तो किसान तोड़ पा रहा है और ना ही बेच पा रहा है, आमदनी नहीं होने के कारण अब जेब भी खाली हो चुकी है ऐसे में फूल उगाने वाले परेशान हैं.

रोजी रोटी का संकट

विकासखंड सेगांव के रसगांव में गेंदे के फूल खेतों में ही मुरझा रहे हैं. रोज करीब 4 से पांच हजार रुपए के गेंदे के फूल बेचने वाले किसान अब अपने खेतों में गेंदे के फूल सूखते और सड़ते देखने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के कारण फूलों को फेंकना पड़ रहा है, क्योंकि इनकी ब्रिक्री नहीं हो रही है.

रस गांव निवासी किसान भगवान चौधरी, शंकर चौधरी की रोजी रोटी फूल बेचकर ही चलती है. फूलों की बिक्री के सारे रास्ते बंद होने से उनके समक्ष रोजी रोटी का संकट निर्मित हो गया है. अब केवल लॉकडाउन खत्म होने पर ही उनकी समस्या खत्म होगी.

किसान ने जहां कड़ी मेहनत व सिंचाई से अपना पसीना बहाकर फूलों की फसल तैयार की थी. लेकिन अब उसे उखाड़ कर फेंकने पर विवश होना पड़ रहा है. वहीं किसान ने शासन से मुआवजे की मांग भी की है.

कोरोना महामारी के चलते फूल उत्पादक किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है, फूल उत्पादक किसानों का कहना है कि न खरीदार मिल रहे हैं और न ही परिवहन के साधन हैं इन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग भी की है.

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