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महिला कैदियों ने बनाई गणपति की इको-फ्रेंडली मूर्तियां, जेल प्रशासन लगाएगा स्टाल - खंडवा

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) आने में अब बस कुछ ही दिनों का समय बाकी है. ऐसे में इस पर्व को लेकर तैयारियां जिले की शहीद जननायक टंट्या भील जेल (Shahid Jannayak Tantya Bheel Jail) में भी चल रही हैं. दरअसल, जेल (Jail) में हुए नवाचार से महिला कैदियों (Women prisoners) को अपना हुनर दिखाने के एक नया अवसर मिला है. महिलाएं जेल में रहकर गणेश जी (Ganesh ji) की प्रतिमांए बना रही हैं. जेल प्रशासन इको फ्रेंडली मूर्तियों (Eco Friendly Statues) का एक स्टाल भी लगाएगा.

Ganesh Chaturthi
इको-फ्रेंडली मूर्तियां
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Published : Sep 6, 2021, 9:40 AM IST

खंडवा। जिले की शहीद जननायक टंट्या भील जेल (Shahid Jannayak Tantya Bheel Jail) की महिला बैरक (ladies barracks) में इन दिनों उत्साह का माहौल है. जेल में हुए नवाचार (innovation) से जैसे महिला कैदियों (female prisoners) को हुनर (telent) के पंख लग गए हैं. महिलाएं जेल में रहकर गणेश जी (Ganesh) की प्रतिमांए बना रही हैं. पर्यावरण के अनुकूल इन गणेश प्रतिमाओं को रचनात्मक तरीके से तैयार किया जा रहा है. उनकी प्रतिमाओं की मांग भी अब होने लगी है. जेल प्रशासन इको फ्रेंडली मूर्तियों (Eco Friendly Statues) का एक स्टाल भी लगाएगा.

गणपति की इको-फ्रेंडली मूर्तियां

महिलाओं की प्रतिमाओं के प्रति बढ़ी दिलचस्पी
जेल की महिला बैरक (ladies barracks) में 30 से अधिक महिला कैदी (female prisoners) है. इन कैदियों को मानसिक तनाव (mental stress) से दूर रखने के लिए ये नवाचार (innovation) किया गया. जेल में महिलाओं को मिट्टी से गणेश जी की प्रतिमाएं बनाना सिखाया जा रहा है. आर्ट कला में पारंगत संगीत कॉलेज की शबनम शाह (Shabnam shah) द्वारा महिलां कैदियों को गणेश प्रतिमाएं बनाना सिखाया जा रहा है. शबनम शाह ने बताया कि पहले दिन केवल एक महिला गणेश प्रतिमा बनाना सिखने के लिए आगे आई थी, लेकिन अब 30 से अधिक महिला बंदी है, जो गणेश प्रतिमाएं बना रही हैं. इनमें से अधिकांश बहुत ही अच्छे तरीके से प्रतिमाएं बनाने लगी हैं. अब तक 50 से अधिक प्रतिमाएं महिलाओं ने बनाई हैं.

Ganesh Chaturthi 2021: पंडाल-मूर्ति विसर्जन की नई गाइडलाइन जारी, उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

सभी प्रतिमाएं इको-फ्रेंडली हैं
यह सभी प्रतिमाएं इको-फ्रेंडली (Eco Friendly Statues) हैं. एक तरह से महिलाएं इन प्रतिमाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) का संदेश दे रही हैं. महिलाएं बंदियों को गणेश प्रतिमा बनाने के लिए किसी तरह का चित्र नहीं रखा गया है और ना ही गणेश की प्रतिमा लाकर रखी गई है, जिसे देखकर वे प्रतिमाएं बनाए. उन्हे केवल मिट्टी दी गई. जिसके बाद उन्होंने धीरे धीरे कुछ ही दिनों में गणेश (Ganesh) की प्रतिमा बना डाली. करीब एक फीट तक की प्रतिमाएं महिलाओं ने बनाई है. इसमें उनकी मदद जेल अधीक्षक ललित दीक्षित कर रहे हैं. उन्होने महिलाओं को गणेश प्रतिमा बनाने की मिट्टी, रंग उपलब्ध कराया है.

प्रतिमाओं का लगाया जाएगा स्टाल
कुछ ही दिनो में महिला बंदियों ने गणेश जी की 50 से अधिक प्रतिमाएं बना ली है. जेल में अब भी प्रतिमा बनाने का कार्य जारी है. अब इन प्रतिमाओं का गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi) के कुछ दिन पहले स्टाल लगाया जाएगा. इसके प्रयास किए जा रहे हैं. जिससे महिला बंदियों की कला को एक पहचान मिल सके. वहीं, दुसरी तरफ लोगों को प्रयावरण संरक्षण का संदेश दिया जा सके. जेल अधीक्षक ललित दीक्षित ने बताया कि मानसिक तनाव (mental stress) को दूर करने के लिए यह प्रयास किया गया है. अक्सर जेल में रहते हुए कैदी घर का ख्याल आते ही मानसिक तनाव में आ जाते है. खासकर महिलाएं जेल की दैनिक दिनचर्या और घर की याद आने पर तनावग्रस्त हो जाती हैं. इसके लिए उन्हें मूर्ति बनाने की कला से पारंगत किया जा रहा है. जिससे की वे यहां से छूटकर भी इस कला से आजीविका चला सकें. महिलाओं द्वारा बनाई गई प्रतिमाओं की मांग भी होने लगी है.

खंडवा। जिले की शहीद जननायक टंट्या भील जेल (Shahid Jannayak Tantya Bheel Jail) की महिला बैरक (ladies barracks) में इन दिनों उत्साह का माहौल है. जेल में हुए नवाचार (innovation) से जैसे महिला कैदियों (female prisoners) को हुनर (telent) के पंख लग गए हैं. महिलाएं जेल में रहकर गणेश जी (Ganesh) की प्रतिमांए बना रही हैं. पर्यावरण के अनुकूल इन गणेश प्रतिमाओं को रचनात्मक तरीके से तैयार किया जा रहा है. उनकी प्रतिमाओं की मांग भी अब होने लगी है. जेल प्रशासन इको फ्रेंडली मूर्तियों (Eco Friendly Statues) का एक स्टाल भी लगाएगा.

गणपति की इको-फ्रेंडली मूर्तियां

महिलाओं की प्रतिमाओं के प्रति बढ़ी दिलचस्पी
जेल की महिला बैरक (ladies barracks) में 30 से अधिक महिला कैदी (female prisoners) है. इन कैदियों को मानसिक तनाव (mental stress) से दूर रखने के लिए ये नवाचार (innovation) किया गया. जेल में महिलाओं को मिट्टी से गणेश जी की प्रतिमाएं बनाना सिखाया जा रहा है. आर्ट कला में पारंगत संगीत कॉलेज की शबनम शाह (Shabnam shah) द्वारा महिलां कैदियों को गणेश प्रतिमाएं बनाना सिखाया जा रहा है. शबनम शाह ने बताया कि पहले दिन केवल एक महिला गणेश प्रतिमा बनाना सिखने के लिए आगे आई थी, लेकिन अब 30 से अधिक महिला बंदी है, जो गणेश प्रतिमाएं बना रही हैं. इनमें से अधिकांश बहुत ही अच्छे तरीके से प्रतिमाएं बनाने लगी हैं. अब तक 50 से अधिक प्रतिमाएं महिलाओं ने बनाई हैं.

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सभी प्रतिमाएं इको-फ्रेंडली हैं
यह सभी प्रतिमाएं इको-फ्रेंडली (Eco Friendly Statues) हैं. एक तरह से महिलाएं इन प्रतिमाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) का संदेश दे रही हैं. महिलाएं बंदियों को गणेश प्रतिमा बनाने के लिए किसी तरह का चित्र नहीं रखा गया है और ना ही गणेश की प्रतिमा लाकर रखी गई है, जिसे देखकर वे प्रतिमाएं बनाए. उन्हे केवल मिट्टी दी गई. जिसके बाद उन्होंने धीरे धीरे कुछ ही दिनों में गणेश (Ganesh) की प्रतिमा बना डाली. करीब एक फीट तक की प्रतिमाएं महिलाओं ने बनाई है. इसमें उनकी मदद जेल अधीक्षक ललित दीक्षित कर रहे हैं. उन्होने महिलाओं को गणेश प्रतिमा बनाने की मिट्टी, रंग उपलब्ध कराया है.

प्रतिमाओं का लगाया जाएगा स्टाल
कुछ ही दिनो में महिला बंदियों ने गणेश जी की 50 से अधिक प्रतिमाएं बना ली है. जेल में अब भी प्रतिमा बनाने का कार्य जारी है. अब इन प्रतिमाओं का गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi) के कुछ दिन पहले स्टाल लगाया जाएगा. इसके प्रयास किए जा रहे हैं. जिससे महिला बंदियों की कला को एक पहचान मिल सके. वहीं, दुसरी तरफ लोगों को प्रयावरण संरक्षण का संदेश दिया जा सके. जेल अधीक्षक ललित दीक्षित ने बताया कि मानसिक तनाव (mental stress) को दूर करने के लिए यह प्रयास किया गया है. अक्सर जेल में रहते हुए कैदी घर का ख्याल आते ही मानसिक तनाव में आ जाते है. खासकर महिलाएं जेल की दैनिक दिनचर्या और घर की याद आने पर तनावग्रस्त हो जाती हैं. इसके लिए उन्हें मूर्ति बनाने की कला से पारंगत किया जा रहा है. जिससे की वे यहां से छूटकर भी इस कला से आजीविका चला सकें. महिलाओं द्वारा बनाई गई प्रतिमाओं की मांग भी होने लगी है.

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