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शराबियों का अड्डा बन गए तीन खेल के मैदान, दो साल से नहीं हुआ हैंडओवर - 80 lakhs

खंडवा जिले में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्म से तीन ग्रामीण खेल मैदान दो साल से बनकर तैयार हैं, जोकि देखरेख के अभाव में शराबियों का अड्डा बन गए हैं.

Three grounds built at a cost of 80 lakhs are taken into no use in khandwa
80 लाख की लागत से बने तीन मैदान खा रहे धूल
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Published : Nov 26, 2019, 12:24 PM IST

Updated : Nov 26, 2019, 1:46 PM IST

खंडवा। जिले में सरकारी योजनाएं किस तरह लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं, इसका ताजा उदाहरण जिले में बने तीन ग्रामीण खेल मैदान हैं. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए अनेकों प्रयास कर रही है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते मैदान अपनी दुर्दशा पर रो रहे हैं. ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से जिले की तीन जनपद पंचायतों में 80 लाख रुपए की लागत से तीन ग्रामीण खेल मैदान 2 साल से बनकर तैयार हैं. आज वही मैदान शराबियों का अड्डा बन चुके हैं या सरकारी सामान रखने की जगह, जबकि अधिकारी को ये पता ही नहीं, इन मैदानों को किस विभाग को सौंपा जाना है.

80 लाख की लागत से बने तीन मैदान खा रहे धूल

जनपद पंचायत खंडवा, जनपद पंचायत छैगांवमाखन और जनपद पंचायत नर्मदानगर को ग्रामीण यांत्रिकी सेवा ने दो साल पहले ही मैदान हैंडओवर कर दिया था, लेकिन तीनों जनपद पंचायतें दो साल से इन मैदानों के हैंडओवर की प्रक्रिया को आगे ही नहीं बढ़ा पाए हैं. छैगांवमाखन में बने खेल मैदान की हालत सबसे खराब है, ये मैदान शराबियों का अड्डा बन चुका है. हर रात यहां शराबियों का जमघट लगता है. जहां आये दिन तोड़ फोड़ भी की जाती रहती है. वहीं खंडवा जनपद पंचायत के नहालदा गांव में बने मैदान में सीमेंट की बोरियां रखी हुई हैं.

स्थानीय युवाओं का कहना है कि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक अच्छी पहल की थी. मैदान बनकर तैयार है, लेकिन यहां खेल गतिविधियां नहीं आयोजित कराई जा रही है और न ही रख रखाव पर ध्यान दिया जा रहा है.

खंडवा। जिले में सरकारी योजनाएं किस तरह लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं, इसका ताजा उदाहरण जिले में बने तीन ग्रामीण खेल मैदान हैं. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए अनेकों प्रयास कर रही है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते मैदान अपनी दुर्दशा पर रो रहे हैं. ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से जिले की तीन जनपद पंचायतों में 80 लाख रुपए की लागत से तीन ग्रामीण खेल मैदान 2 साल से बनकर तैयार हैं. आज वही मैदान शराबियों का अड्डा बन चुके हैं या सरकारी सामान रखने की जगह, जबकि अधिकारी को ये पता ही नहीं, इन मैदानों को किस विभाग को सौंपा जाना है.

80 लाख की लागत से बने तीन मैदान खा रहे धूल

जनपद पंचायत खंडवा, जनपद पंचायत छैगांवमाखन और जनपद पंचायत नर्मदानगर को ग्रामीण यांत्रिकी सेवा ने दो साल पहले ही मैदान हैंडओवर कर दिया था, लेकिन तीनों जनपद पंचायतें दो साल से इन मैदानों के हैंडओवर की प्रक्रिया को आगे ही नहीं बढ़ा पाए हैं. छैगांवमाखन में बने खेल मैदान की हालत सबसे खराब है, ये मैदान शराबियों का अड्डा बन चुका है. हर रात यहां शराबियों का जमघट लगता है. जहां आये दिन तोड़ फोड़ भी की जाती रहती है. वहीं खंडवा जनपद पंचायत के नहालदा गांव में बने मैदान में सीमेंट की बोरियां रखी हुई हैं.

स्थानीय युवाओं का कहना है कि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक अच्छी पहल की थी. मैदान बनकर तैयार है, लेकिन यहां खेल गतिविधियां नहीं आयोजित कराई जा रही है और न ही रख रखाव पर ध्यान दिया जा रहा है.

Intro:खंडवा - जिले में सरकारी योजनाएं किस तरह लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं. इसका जीता जागता उदाहरण जिले में बने तीन ग्रामीण खेल मैदान हैं. सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए अनेकों प्रयास किए जाते हैं. लेकिन प्रशासन की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते आज ये मैदान अपनी दुर्दशा पर रो रहे हैं. ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से जिले की तीन जनपद पंचायतों में 80 लाख की लागत से तीन ग्रामीण खेल मैदान 2 साल से बनकर तैयार हैं. वर्तमान में ये मैदान शराबियों का अड्डा बन चुके हैं या सरकारी सामान रखने की जगह। वहीं जिम्मेदार अधिकारी जबाव देने तक को तैयार नहीं हैं. पूरे मामले पर जनपद सीईओ से लेकर जिला पंचायत सीईओ रोशन सिंह ने चुप्पी साधना बेहतर समझा.


Body:सरकारें आम जनता के कुछ अच्छा करने की लाख कोशिशे कर ले. मगर नौकरशाही लापरवाही और ठाठ के आगे सरकार भी बेबस नजर आती हैं. इसकी एक बानगी जिले में देखने को मिलती हैं. ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा जिले में 80 लाख की लागत से तीन खेल मैदान निर्माण किए गए. जिन्हें 2 साल से अधिक समय हो चुका हैं. लेकिन यहां किसी प्रकार की खेल गतिविधियां नही हो रही हैं. बल्कि यहां भैंसे आराम फरमा रही हैं. यहीं नही अधिकारी को यह पता ही नही इन मैदानों को किस विभाग को सौंपा जाना है. दरअसल जनपद पंचायत खंडवा, जनपद पंचायत छैगांवमाखन और जनपद पंचायत नर्मदानगर को ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा 2 साल पहले ही इन्हें हैंडओवर किया जा चुका हैं. लेकिन तीनों जनपद पंचायत 2 साल से इन मैदानों की हैंडओवर की प्रक्रिया को आगे ही नहीं बढ़ा पाए हैं. छैगांव माखन में बने खेल मैदान की हालत सबसे खराब हैं यह मैदान शराबियों का अड्डा बन चुका हैं. हर रात यहां शराबियों का जमघट लगता हैं यहां जमकर तोड़ फोड़ भी की गई हैं. कमोबेश यहीं खंडवा जनपद पंचायत के नहालदा गांव में बने मैदान की हैं. यहां सीमेंट की बोरियां रखी हुई हैं. स्थानीय युवाओं का कहना हैं सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक अच्छी पहल की गई थी. मैदान बनकर तैयार हैं लेकिन यहां खेल गतिविधियों नहीं आयोजित कराई जा रही हैं. ना ही रखरखाव पर ध्यान दिया जा रहा हैं. मेनगेट, दरवाजे खुले हुए हैं शराब की बोतलें यहां वहां पड़ी हुई हैं. शराबियों का अड्डा बनकर रह गया हैं.

byte - विवेक तंवर, स्थानीय युवा

युवा खिलाड़ियों का कहना हैं कि उनका सपना था कि यहां विभिन्न खेलों के लिए संसाधन उपलब्ध होंगे लेकिन उसके स्थान पर झाड़ियां और घास हैं.
byte - सावन पटेल, स्थानीय युवा


Conclusion:यूं तो अधिकारी तमाम शासकीय योजनाओं की हर सप्ताह समीक्षाएं करते हैं मगर बड़ा प्रश्न यह उठता हैं कि करोड़ों की लागत से बने इन मैदानों पर प्रशासन का ध्यान क्यों नहीं गया. बहरहाल अब देखना होगा कि आख़िर कब तक प्रशासन आंख मूंदे बैठे रहता हैं. या ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को उनकी प्रतिभा निखारने का मौका मिल पाता हैं.
Last Updated : Nov 26, 2019, 1:46 PM IST
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