खंडवा। आज के इस दौर में ऐसे बहुत कम लोग मिलते हैं जो ईमानदारी के पाठ को जिंदा रखें. लेकिन जब कोई पैसों से भरा बैग वापस कर दे तो लगता है कि हां आज भी इंसानियत जिंदा है. जीवन में रुपया पैसा कुछ भी मायने नहीं रखता, असली धन तो इंसान का ईमान है. ताजा मामला शहर के एक फकीर की ईमानदारी का है. जहां फकीर ने ईमानदारी का परिचय देते हुए व्यवसायी के एक लाख तैतीस हजार रुपए वापस लौटा दिए. समाज के किन्हीं गुमनाम कोनों में खड़े ऐसे ही लोग दुनिया में नैतिकता और इंसानियत में भरोसा बचाए रखते हैं. अगर बुरी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, तो वहीं ईमानदारी की प्रेरक घटनाएं भी सामने आती रहती हैं, जो बताती हैं कि उम्मीद का एक कोना समाज में बचा हुआ है.
फकीर ने पेश की ईमानदारी की मिसाल
दरअसल, 9 अप्रैल को कल्लन गंज क्षेत्र में रोज की तरह फकीर अब्दुल रहीम खत्री उर्फ गोंडिया बाबा लोगों से सदका, खैरात मांगने की अपील कर रहे थे. वे कॉपर वायर व्यवसायी युसुफ हुसैन की दुकान पर पहुंचे. युसुफ हुसैन को सदका देना था. इसलिए वह घर से चावल की थैली साथ लाए थे. दुकान के काउंटर के पास रुपए व चावल की थैली एक समान होने से अंतर समझ नहीं पाए और उन्होंने नोटों से भरी थैली बाबा के कासे में डाल दी. थैली लेकर बाबा ने झोले में डाल ली. इधर व्यवसायी को भी पता नहीं कि उससे इतनी बड़ी चूक हो गई है. तीन-चार दिन बाद व्यवसायी को रुपए की आवश्यकता हुई तो उन्होंने दुकान में देखा. तब उन्हें अहसास हुआ कि चावल की थैली की जगह फकीर को रुपए की थैली दे दी है. इस बीच लॉकडाउन लग जाने से फकीर और व्यवसायी का एक-दूसरे से संपर्क नहीं हो पाया.
वापल किए व्यवसाई के पैसे
व्यवसायी ने खत्री समाज के इस्माइल खत्री दूध तलाई से संपर्क कर स्थिति से अवगत कराया. जब फकीर ने इस्माइल से कहा कि मेरे पास एक लाख तैतीस हजार रुपए सुरक्षित रखे हुए हैं, लेकिन लॉकडाउन लगने के कारण में व्यवसायी के घर नहीं जा सकता और मुझे उनके घर का पता भी नहीं मालूम है. अगर आपको उनके घर का पता हो तो मेरे साथ चल दो. वहीं, शाम को इस्माइल खत्री अपनी कार में फकीर गोंडिया बाबा को लेकर युसुफ हुसैन के घर पहुंचा. एक लाख तैतीस हजार रुपए वापस लौटा दिए.