खंडवा। प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार का शहर खंडवा, निमाड़ अंचल की सियासत का केंद्र माना जाता है. जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों की निगाहे टिकी रहती है. लेकिन, चुनावी समर में इस बार यहां स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा जोर पकड़ता नजर आ रहा है. खंडवा के लोगों का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस हर बार खंडवा में स्थानीय नेतृत्व के बजाए बाहरी प्रत्याशी पर दाव लगाते है.
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद सिन्हा कहते हैं खंडवा से कालीचरण सकरगाएं के बाद स्थानीय सांसद नहीं रहा, इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि जिस भी बाहरी नेता को यहा मौका मिला उसने स्थानीय प्रत्याशी को कभी उभरने का मौका ही नहीं दिया. चैम्बर आफ कामर्स के अध्यक्ष गुरमीत सिंह उबेजा कहते हैं कि खंडवा में विकास की अनेक संभावनाएं है. लेकिन, यहां स्थानीय नेतृत्व को प्रतिनिधित्व न मिलना खंडवा के विकास में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है.
बात अगर प्रत्याशियों की जाए तो बीजेपी ने खंडवा में वर्तमान सांसद नंदुकमार सिंह चौहान को फिर से टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने यहां से एक बार फिर अरुण यादव को मैदान में उतारा है. स्थानीय नेतृत्व को मौका न दिए जाने पर बीजेपी नेता कहते हैं कि नंदकुमार सिंह बुरहानपुर जिले के हैं जो खंडवा से लगा है ऐसे में वे स्थानीय प्रत्याशी है, बाहरी तो अरूण यादव है जो खरगोन जिले से आते है.
बीजेपी पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता कहते हैं कि सांसद का टिकट समझदार प्रतिनिधि को मिलता है. अरूण यादव ने सांसद रहते हुए खंडवा में बहुत काम किया है. वे बाहरी नहीं है. स्थानीय नेतृत्व पर बीजेपी-कांग्रेस कुछ भी कहे. लेकिन, खंडवा में नंदकुमार सिंह और अरुण यादव की राह आसान नहीं है. क्योंकि स्थानीय न होने के चलते उनका यहां विरोध हो सकता है.