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सिंधी महिलाओं ने किया तिजड़ी चौथ का व्रत, पति की लंबी उम्र के लिए की प्रार्थना

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Published : Aug 7, 2020, 2:56 PM IST

खंडवा में सिंधी समाज की महिलाओं ने तिजड़ी चौथ का उपवास रखा. इस दौरान सिंधी समाज की महिलाओं ने गीत गाकर और माता को झूला देकर पति की लंबी उम्र की कामना की.

The women of Sindhi society celebrated Teejri Chauth in khandwa
सिंधी समाज की महिलाओं ने किया तीजड़ी चौथ का व्रत

खंडवा। सिंधी समाज की महिलाओं का प्रमुख त्यौहार तिजड़ी चौथ जिले में उत्साह के साथ मनाया गया. अपने पति की लंबी उम्र की कामना के उद्देश्य से महिलाओं ने तिजड़ी माता को प्रसन्न करने के लिए दिन में पूजा-पाठ और माता को झूला झुलाकर गीत गाए. जबकि रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ महिलाओं ने भोजन कर इस व्रत की समाप्ति की.

दरअसल, सिंधी समाज की महिलाओं ने तिजड़ी चौथ हर बार की तरह इस बार भी बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया. तिजड़ी चौथ का महत्व करवा चौथ की तरह होता है. यह भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया मनाया जाता है.

इस व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. तिजड़ी माता को मनाने के लिए इस दिन पूजा और कथा की जाती है. इस दिन अल सुबह ही त्यौहार की शुरुआत होती है. महिलाएं समाज के पंडित के यहां एकत्रित होकर तिजड़ी माता की पूजा करती हैं. माता को झूला झुलाया जाता है. इस मौके पर महिलाएं तिजड़ी माता के गीत गाती हैं. यह व्रत महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां भी करती हैं.

खंडवा। सिंधी समाज की महिलाओं का प्रमुख त्यौहार तिजड़ी चौथ जिले में उत्साह के साथ मनाया गया. अपने पति की लंबी उम्र की कामना के उद्देश्य से महिलाओं ने तिजड़ी माता को प्रसन्न करने के लिए दिन में पूजा-पाठ और माता को झूला झुलाकर गीत गाए. जबकि रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ महिलाओं ने भोजन कर इस व्रत की समाप्ति की.

दरअसल, सिंधी समाज की महिलाओं ने तिजड़ी चौथ हर बार की तरह इस बार भी बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया. तिजड़ी चौथ का महत्व करवा चौथ की तरह होता है. यह भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया मनाया जाता है.

इस व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. तिजड़ी माता को मनाने के लिए इस दिन पूजा और कथा की जाती है. इस दिन अल सुबह ही त्यौहार की शुरुआत होती है. महिलाएं समाज के पंडित के यहां एकत्रित होकर तिजड़ी माता की पूजा करती हैं. माता को झूला झुलाया जाता है. इस मौके पर महिलाएं तिजड़ी माता के गीत गाती हैं. यह व्रत महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां भी करती हैं.

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