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चारों ओर गंदगी, खराब हैंडपंप, जर्जर भवन, ये है नंदकुमार चौहान के गोद लिए गांव का सूरते हाल, दिया बेतुका तर्क

पांच साल पहले बीजेपी सांसद नंदकुमार चौहान ने आरुद गांव को गोद लिया था. पांच साल का वक्त बीतने के बाद गांव के क्या हालत है, देखिये खास रिपोर्ट

आदर्श ग्राम आरूद की हकीकत
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Published : Apr 16, 2019, 1:23 PM IST

खंडवा। हमारे सांसद नंदू भैया को पता नहीं है कि आदर्श ग्राम होता क्या है. सांसद महोदय बड़ी-बड़ी गाड़ियों बैठकर यहां आते हैं, दाल-बाटी खाते हैं और चले जाते हैं. किसी गरीब का हाल उन्होंने आज तक नहीं जाना. गांव में गंदगी का अंबार लगा है, जो पैसा आता है, उसका पता नहीं चलता.

बीजेपी सांसद नंदकुमार चौहान से खफा ये शख्स उस गांव का है, जिसे नंद कुमार चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी 'आदर्श ग्राम' योजना के तहत सांसद बनने के बाद गोद लिया था. जब नंदकुमार चौहान द्वारा आरूद गांव को गोद लिया गया था, तब यहां के बाशिंदों को आस जगी थी कि अब आरूद की सूरत बदलेगी, लेकिन पांच साल गुजर जाने के बाद भी आरूद गांव के लोगों को जरूरी सुविधाओं का इंतजार है. गांव में विकास के नाम पर चारों तरफ फैली गंदगी, खाली पड़े हैंडपंप, कच्ची सड़कों पर बहता पानी और जर्जर हो चुका यात्री प्रतीक्षालय है. गांव की ये सूरत सांसद नंदकुमार चौहान के आदर्श गांव की हकीकत बताने के लिए काफी है.

बीजेपी सांसद नंद कुमार चौहान ने दिया बेतुका तर्क
पांच हजार की आबादी वाले आरूद गांव को डिजिटल बनाने की लिए वाईफाई से लैस करने की बात कही थी, जो हवा-हवाई साबित हुई. लाखों की लागत से बना हाट बाजार भी अव्यवस्थाओं के चलते बंद पड़ा है. नजलय योजना के तहत स्वीकृत हुई 22 लाख रूपये की पाइपलाइन के हाल भी बेहाल हैं.अपनी उदासीनता और बेरूखी पर पर्दा डालने के लिये सांसद महोदय आरूद गांव के सरपंच और सचिव पर आरोप मढ़ रहे हैं. अपनी नाकामी को छिपाने के लिये नंदू भैया ने ये तक कह डाला कि भले ही सांसद ने गांव को गोद लिया था, लेकिन काम तो सरपंच और सचिव करेगा, सांसद काम करे, ऐसा तो कोई कानून नहीं है.सांसद नंदु भैया भले ही कुछ कहें, लेकिन लोगों में उनके खिलाफ भारी आक्रोश है. बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें खंडवा सीट से लोकसभा का टिकट दिया ऐसे ये मतदाताओं का गुस्सा उनकी राह को बेहद मुश्किल बना सकता है.

खंडवा। हमारे सांसद नंदू भैया को पता नहीं है कि आदर्श ग्राम होता क्या है. सांसद महोदय बड़ी-बड़ी गाड़ियों बैठकर यहां आते हैं, दाल-बाटी खाते हैं और चले जाते हैं. किसी गरीब का हाल उन्होंने आज तक नहीं जाना. गांव में गंदगी का अंबार लगा है, जो पैसा आता है, उसका पता नहीं चलता.

बीजेपी सांसद नंदकुमार चौहान से खफा ये शख्स उस गांव का है, जिसे नंद कुमार चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी 'आदर्श ग्राम' योजना के तहत सांसद बनने के बाद गोद लिया था. जब नंदकुमार चौहान द्वारा आरूद गांव को गोद लिया गया था, तब यहां के बाशिंदों को आस जगी थी कि अब आरूद की सूरत बदलेगी, लेकिन पांच साल गुजर जाने के बाद भी आरूद गांव के लोगों को जरूरी सुविधाओं का इंतजार है. गांव में विकास के नाम पर चारों तरफ फैली गंदगी, खाली पड़े हैंडपंप, कच्ची सड़कों पर बहता पानी और जर्जर हो चुका यात्री प्रतीक्षालय है. गांव की ये सूरत सांसद नंदकुमार चौहान के आदर्श गांव की हकीकत बताने के लिए काफी है.

बीजेपी सांसद नंद कुमार चौहान ने दिया बेतुका तर्क
पांच हजार की आबादी वाले आरूद गांव को डिजिटल बनाने की लिए वाईफाई से लैस करने की बात कही थी, जो हवा-हवाई साबित हुई. लाखों की लागत से बना हाट बाजार भी अव्यवस्थाओं के चलते बंद पड़ा है. नजलय योजना के तहत स्वीकृत हुई 22 लाख रूपये की पाइपलाइन के हाल भी बेहाल हैं.अपनी उदासीनता और बेरूखी पर पर्दा डालने के लिये सांसद महोदय आरूद गांव के सरपंच और सचिव पर आरोप मढ़ रहे हैं. अपनी नाकामी को छिपाने के लिये नंदू भैया ने ये तक कह डाला कि भले ही सांसद ने गांव को गोद लिया था, लेकिन काम तो सरपंच और सचिव करेगा, सांसद काम करे, ऐसा तो कोई कानून नहीं है.सांसद नंदु भैया भले ही कुछ कहें, लेकिन लोगों में उनके खिलाफ भारी आक्रोश है. बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें खंडवा सीट से लोकसभा का टिकट दिया ऐसे ये मतदाताओं का गुस्सा उनकी राह को बेहद मुश्किल बना सकता है.
Intro:खंडवा - खंडवा संसदीय क्षेत्र में सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने आर्दश गाँव के अंतर्गत 2014 में आरुद गाँव को गोद लिया। लगभग 5000 आबादी वाले इस गाँव में आज भी कच्ची और अव्यवस्थित नाली, उखड़ी सड़के और पेयजल की स्थिति जस की तस बनी हुई हैं। इस गाँव के लोगों को सांसद महोदय से उम्मीदे थी। कि उन्होंने गाँव को गोद लिया है इसलिए गाँव की दशा सुधरेगी। लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी गाँववासी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान को कोस रहे हैं।


Body:यह हैं सांसद आदर्श गाँव योजना के तहत सांसद द्वारा गोद लिया गाँव आरुद। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के आव्हान पर क्षेत्र के नंदकुमार सिंह चौहान ने भी इस गाँव को गोद लिया। गाँव वालों को उम्मीद बंधी कि खुदी हुई सड़क, अव्यवस्थित कच्ची नाली और पीने के पानी के दरबदर भटकते ग्रामवासियों को पीने का स्वच्छ पानी मुहैया हो सकेगा। लेकिन पांच बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई हैं। इस गाँव की शुरुआत होती हैं खंडहर में बदल चुके यात्री प्रतीक्षालय से जो जर्जर हालत में और इसकी हालत देखकर बाकी गाँव की स्थिति क्या होगी अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता हैं। वहीं दूसरी तरफ गाँव में पानी की स्थिती कितनी गंभीर हैं इसका अंदाजा कुँए में डाले गए पाईपों के जाल से पता चलता है। इतना ही नही गाँव में उखड़ी सड़के और पक्की नाली नही बने होने से रोड़ पर फैलती गंदगी की तस्वीर काफी हद तक आदर्श गाँव की तस्वीर साफ कर देती हैं। देश में डिजिटल इंडिया की क्रांति लाने की बात करने वाले पीएम के सांसद के गोद लिए गाँव वाई फाई का जाल तो हैं नही बल्कि यहां कुएँ में पाइपों का जाल फैला हुआ है। उसमें भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है। और लोग उसे ही पीने को मजबूर हैं। वहीं गाँव में नए बने हाट बाजार की स्थिति यह हैं कि लाखों रूपये खर्च कर सरकार ने यह हाट बाजार गाँववासियों की सुविधा के लिए बनवाया लेकिन यहां सिर्फ एक बार ही बाजार लगा है क्योंकि व्यापारियों और आम लोगों को यहां आने को तैयार नही हैं। क्योंकि पास में नाला हैं जिसकी बदबू और गंदा पानी हाट बाजार तक आता हैं और सामने मांस बिकता हैं इसलिए लोग यहां आना पसंद नही करते हैं। आक्रोशित ग्रामीणों का कहना हैं यह गाँव सिर्फ कहने को आदर्श गांव हैं सांसद कहते है मैंने गाँव की पंचायत को 40 लाख रूपये दिलवाए थे लेकिन सरंपच सचिव ने काम नही कराया तो इसमें मेरी जिम्मेदारी नही हैं। गाँववासी कहते हैं गाँव में सड़क और नाली का कार्य नही कराया गया इसलिए नाली का सारा गंदा पानी सड़क पर बहता हैं वही गाँव में कुछ घरों में शौचालय बने हैं। सांसद दो तीन बार आते हैं बड़े बड़े लोगों से मिलते हैं दाल बाटी खाकर चलते बनते हैं।


Conclusion: जब सांसद नंदकुमार सिंह चौहान से गाँव के विकास को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कमियां हैं मैंने गाँव को गोद लिया था सरपंच काम करेगा। सांसद काम करे ऐसा कोई कानून तो नही हैं मैंने इस उम्मीद के गोद लिया था कि सरपंच सचिव विकास करेंगे। लेकिन वे खरा नही उतर पाए। सचिव को निलंबित कराया। सांसद साहब जिम्मेदारी तो आपकी ही बनती हैं 15 साल से प्रदेश में आपकी सरकार थी। केवल राशि दिलवाने से जिम्मेदारी पूरी नही हो जाती। खैर जिम्मेदारी का एहसास तो आपको तब होगा जब आप गाँव की जनता के बीच वोट मांगने जाएंगे। तब जनता आपको जिम्मेदारी का सही एहसास कराएगी।
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