खंडवा। आमतौर पर जेल का नाम सुनने के बाद जेहन में खूंखार कैदियों का चेहरा सामने आ जाता है, लेकिन खंडवा जेल (Khandwa Jail) की कहानी कुछ अलग है. यहां एक कैदी अपने अंदर छुपी कला को निखार रहा है. सेंट्रल जेल में हत्या के मामले में सजा काट रहे सजायाफ्ता कैदी (Convicted Prisoner)को कोरोना के चलते पैरोल पर छोड़ा गया था, तो उसने जेल में सीखे हुनर से एक कामयाब जिंदगी का सफर तय किया. जेल में सीखे पेटिंग बनाने के कार्य को उसने अपनी कमाई का जरिया बना लिया. सजा के दौरान जिस जेल अधीक्षक (Khandwa Jail Superintendent) ने उसके इस हुनर को पहचान दिलाई. उसी जेल अधीक्षक को उसने अपने हाथों से बनी पहली पेंटिंग भेंट की.
हत्या मामले में 14 साल की सजा काट रहा है सोनू
बुरहानपुर जिले के रहने वाले सोनू को हत्या (Murderer Sonu) के मामले में 14 साल की सजा सुनाई गई थी. सोन खंडवा जेल और उसके बाद इंदौर सेंट्रल जेल (Indore Central Jail) में सजा काट रहा था. उसी समय जेल अधीक्षक के रूप में ललित दीक्षित की जेल में पोस्टिंग हुई. उन्होंने कैदियों को मोटिवेट (Prisoner Motivated in Jail) करने के लिए तमाम तरह की चीजें शुरू कीं. इस दौरान सोनू नाम के कैदी ने पेंटिंग और मूर्ति (Painting and Sculpture) बनाने में अपनी रुचि दिखाई. जेल में ही रहकर उसने अच्छी-अच्छी पेंटिंग बनाने का हुनर सीखा.
जेल अधीक्षक को भेंट की तस्वीर
जेल में कैदियों को मोटिवेट करने के लिए चलाई जा रहीं एक्टिविटी (Extra Activity in Jail) के दौरान इस कैदी को भी जेल अधीक्षक ने पेंटिंग बनाने की सामग्री उपलब्ध करवाई. इसके बाद सोनू ने जेल में ही रहकर तरह-तरह की पेंटिंग और मूर्ति बनाने का हुनर सीखा. इस हुनर के बल पर आज सोनू अपराध को छोड़कर न केवल एक अच्छा इंसान बना, बल्कि अपने परिवार पालन-पोषण भी कर रहा है. जेल में सौगात के तौर पर मिली कला को उसने अपनी आजीविका का साधन बना लिया है. रविवार को सोनू ने खंडवा जेल पहुंचकर अपने हाथों से बनी एक पेंटिंग जेल अधीक्षक ललित दीक्षित को भेंट की. जेल अधीक्षक ने उसके इस कार्य की प्रशंसा की. सोनू उर्फ रितिक को 14 साल की सजा हुई थी. उसने अपनी 10 साल की सजा खंडवा सहित इंदौर सेंट्रल जेल में काटी.
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जब जेल में बंद था. उस समय जेल अधीक्षक ने मुझे पेंटिंग और मूर्ति बनाने के लिए मोटिवेट किया, ताकि मैं बाहर निकल कर एक अच्छा इंसान बन सकूं. मैं पेंटिंग और मूर्ति बनाकर मेरे परिवार का पालन पोषण कर रहा हूं. जेल अधीक्षक सर को मैं अपने हाथों से बनी पहली पेंटिंग भेंट करने आया हूं. मैं आज जो भी हूं, इसमें सर का बहुत बड़ा योगदान है. अब मैं कभी भी अपराध के रास्ते पर नहीं चलुंगा.
सोनू, सजायाफ्ता कैदी
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सोनू खंडवा जेल के बाद सेंट्रल जेल इंदौर में अपनी सजा काट रहा था. कोरोना के चलते उसे पैरोल मिली. उसने जेल में रहते हुए समय का सदुपयोग कर पेंटिंग और मूर्ति बनाने का हुनर सीखा. हमारी पूरी कोशिश रहती है कि जेल से छूटने के बाद यहां का कैदी एक अच्छा इंसान बने. जेल से पैरोल पर छूटने के बाद सोनू ने एक अच्छी जिंदगी की शुरुआत की है. वह पेंटिंग मूर्ति बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है.
ललित दीक्षित, जेल अधीक्षक