खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा में माखनलाल चतुर्वेदी गर्ल्स कॉलेज में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट्स से पर्सनालिटी डेवलपमेंट विषय के पेपर में में स्टूडेंट्स से आपत्तिजनक सवाल पूछे जाने का मामला सामने आया है. पूछा गया की क्या मुझे कभी-कभी यह चिंंता हो जाती है कि कहीं मैं नपुसंक न हो जाऊं. विपरित लिंग के व्यक्ति से मिलने पर मुझे कुछ घबराहट सी मालूम होती है. सिलेबस से हटकर सेक्स लाइफ से जुड़े सवाल के जवाब हां और न में देने थे. स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रिंसिपल से इस तरह के सवाल पूछे जाने की शिकायत की. मामला बढ़ता देख गर्ल्स कॉलेज के प्रिंसिपल ने तुरंत टेस्ट रद करने के आदेश दे दिए. (Khandwa what was asked of girl students)
प्राचार्य ने रद किया पर्चाः खंडवा में गर्ल्स कॉलेज में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट्स से पर्सनालिटी डेवलपमेंट सब्जेक्ट के टेस्ट में आपत्तिजनक सवाल पूछे जाने पर कॉलेज प्रिंसिपल को शिकायत की गई. हालांकि कॉलेज प्राचार्य का कहना है कि मनोविज्ञान में इन प्रश्नों का जिक्र है. मामला बढ़ता देख कॉलेज प्राचार्य तुरंत टेस्ट रद करवा दिया. (principal had to cancel paper immediately)
पेपर में इस तरह के सवाल पूछे गएः
1-मुझे कभी-कभी यह चिंंता हो जाती है कि कहीं मैं नपुसंक न हो जाऊं.
2-विपरित लिंग के व्यक्ति से मिलने पर मुझे कुछ घबराहट सी मालूम होती है.
3-बुढ़ापे से शारीरिक शक्ति के क्षीण होने की संभावना मुझे सताया करती है.
4-कभी-कभी मैं यह सोचकर परेशान हो जाता हूं कि क्रोध में मैं किसी की हत्या न कर दूं या भारी नुकसान न पहुंचा दूंं. (questions are against dignity of girl students)
छात्राओं की गरिमा के खिलाफ हैं प्रश्नः छात्राओं का कहना है कि व्यक्तित्व विकास के विषय में सायकॉलोजी की एक बुक से सवाल लिए गए, जो कि सिलेबस के हटकर तो है, साथ में क्लिनिकल है. यानी कि यह एक क्लिनिकल टेस्ट के प्रश्न होते है, जो मरीजों से पूछे जाते है. यह आपत्तिजनक और अश्लील सवाल है. जिनके जवाब देने में भी शर्म आ रही है. यह छात्राओं की गरिमा के खिलाफ है. छात्राओं ने कहा कि, पूरा टेस्ट सिलेबस से अलग है. फर्स्ट ईयर की कई छात्राओं की उम्र 18 वर्ष से भी कम है. छात्राओं ने आरोप लगाया कि कॉलेज में व्यक्तित्व विकास का विषय अयोग्य व असक्षम प्रोफेसर्स से पढ़वाया जा रहा है, जो कि अनुचित है. (questions are against dignity of girl students)
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वाराणसी से प्रकाशित हैं पुस्तकः जिस पुस्तक से गर्ल्स कॉलेज के स्टाफ ने यह सवाल लिए है, वह रूपा साइकॉलोजिकल सेंटर वाराणसी से प्रकाशित है. इनमें पब्लिशर्स ने लिखा कि टेस्टबुक में 10 क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, उपस्थिति और चोट, महत्वाकांक्षा का क्षेत्र, पारिवारिक चिंताएं, दोस्ती और प्रेम संबंधी चिंताएं, सामाजिक संबंध और अनुमोदन, भविष्य की चिंताएं, सभ्यता की चिंताएं, युद्ध, सदाचार, अपराध और शर्म, शारीरिक और शारीरिक अभिव्यक्तियां और मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्तियां शामिल है. टेस्टबुक में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग प्रतिशत मानदंड उपलब्ध हैं. 19 से 24 वर्ष आयु समूह का होना अनिवार्य है. छात्राओं ने शिकायत में इस बात का जिक्र भी किया कि टेस्ट पेपर के लिए उन्हें रूपा साइकोलॉजिकल सेंटर की बुक के 8 पृष्ठ थमा दिए गए. कहा गया कि इन 8 पन्नों की फोटोकॉपी उन्हें खुद ही करानी पड़ेगी. फर्स्ट ईयर की 500 से ज्यादा छात्राओं ने अपने खर्च से टेस्ट पेपर के लिए फोटोकॉपी कराई. (Books are published from Varanasi)
प्रश्न पत्र को मनोविज्ञान विभाग ने तैयार किया थाः कॉलेज प्राचार्य डॉ. एके जैन का बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत व्यक्तित्व विकास विषय पाठ्यक्रम में शामिल है. जिसे किसी भी संकाय का स्टूडेंट्स वोकेशनल कोर्स के रूप में सिलेक्ट कर सकता है. आंतरिक मूल्यांकन के लिए प्रश्न-पत्र को साइकोलॉजी विभाग ने तैयार किया है. जो प्रश्न पूछे गए हैं, वह विषय आधारित है. प्राचार्य डॉ. एके जैन का कहा कि मेरी टेबल पर एक शिकायती आवेदन मिला है. जिसमें कुछ छात्राओं ने प्रश्न-पत्र पर आपत्ति जाहिर की थी. इसलिए मैंने तत्काल उस प्रश्न पत्र को रद करने के निर्देश दिए. (paper was prepared Psychology department)