खंडवा। मध्यप्रदेश में सैकड़ों कंपनियां ऐसी हैं, जो अपने कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड का लाभ नहीं देती, कंपनियां ऐसा इसलिए करती हैं, क्योंकि वे कर्मचारी भविष्य निधि खाते में अपने हिस्से के 12 फीसदी देने से बचाना चाहती हैं. ऐसा ही मामला खंडवा जिले के पंधाना स्थित खंडवा ऑयल्स में सामने आया है. पंधाना क्षेत्र में रोजगार की कमी है, उसे नकारा नहीं जा सकता, इसी का सीधा-सीधा फायदा उठाकर ऐसे कल कारखाने वाले अपने कर्मचारियों को अंधेरे में रखकर उनका हक मारने की कोशिश करते हैं. पढ़े लिखे नवयुवकों को उनके मुताबिक नौकरी नहीं मिलने की मजबूरी में ऐसे कल कारखानों और फैक्ट्रियों में काम करना पड़ता है.
मजदूरों ने जताया विरोध
नगर पंधाना के सिल्टिया स्थित खंडवा ऑइल्स (सोयाबीन फैक्ट्री) का मामला इन दिनों सुर्खियों में है, इस कारखाने में काम करने वाले मजदूरों को उनका अप्रैल माह का वेतन नहीं दिया गया है. इस बात को लेकर काफी शोर-शराबा हुआ और गुस्साए मजदूरों ने कारखाने के सामने गेट पर इकट्ठे होकर अपना विरोध जताया है. साथ ही पंधाना तहसीलदार विजय सेनानी को दिए गए आवेदन के मद्देनजर तहसीलदार ने मजदूरों को निष्पक्ष जांच का आश्वासन और समझाइश दी थी, लेकिन ऐसा लगता है कि, मजदूरों की कोई सुनवाई नहीं हुई.
कई कर्मचारियों के नहीं है पीएफ अकाउंट
गौरतलब है कि करीब 27 वर्षों से कायम इस सोयाबीन प्लांट के कर्मचारियों को माहवार कितनी राशि दी जाती है, कितने कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट हैं, उन्हें सही मायने में कितना मेहनताना दिया जा रहा है, अभी तक अनसुलझी पहेली है. यहां कार्यरत कर्मचारियों को कंपनी द्वारा क्या-क्या सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं, जब यह बात कर्मचारियों ने खुद बताई है.
श्रमिकों के भविष्य के साथ खिलवाड़
कर्मचारियों के लिहाज से बहुत ही चिंताजनक बात है कि, उनके भविष्य निधि के खाते ही नहीं खोले गए हैं. कंपनी मालिकों के द्वारा भविष्य निधि के खाते में पैसा जमा नहीं कराया जा रहा है, जबकि बहुत से कर्मचारियों को पंधाना समीप खंडवा ऑयल्स में कार्य करते पांच से दस वर्षों से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन इन श्रमिकों के भविष्य के साथ खंडवा ऑयल्स खिलवाड़ कर रही है.
श्रमिकों का हो रहा शोषण
कर्मचारियों ने बताया कि, कंपनी द्वारा उनका जमकर शोषण किया जा रहा है. इतने बड़े प्लांट जिसमें दो यूनिट से क्रेसिंग, एक रिफानरी, एक आयल पैकिंग, प्लास्टिक की केन निर्माण की यूनिट, सोयाबिन चौपाल से खरीदी, गेहूं और मक्का का खरीदी केंद्र, मेस, इलेक्ट्रीशियन, लैब, फैक्टरी सुरक्षा के लिए गार्ड, गोडाउन वर्क इन सभी कार्यो के लिए कर्मचारियों की हमेशा 12 महीने जररूत पड़ती है. इसके बावजूद भी लगभग 70 से 80 काम करने वालों का ही पीएफ कट रहा है, बाकि लगभग 105 कर्मचारी जो अनेकों वर्षो से प्लांट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, वे सिर्फ नाम के ही प्लांट के कर्मचारी हैं. उनका कोई रिकॉर्ड या नाम प्लांट में मौजूद नहीं है.
अभी तक प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
पीएफ खाता धारक एक कर्मचारी ने बताया कि, उनका पीएफ हर महीने कटता है, लेकिन उनकी सैलरी से पीएफ अमाउंट काटने के अलावा अन्य मदों के नाम से भी कटौती की जाती है, जिस पैसे को कंपनी अपने हिस्से से खाते में जमा करती है. जब इसका कारण पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कंपनी एडवांस के नाम पर या अन्य कटौती के नाम से सैलरी में से कटौती करती है, जो की उन्होंने कभी लिया ही नहीं. इतनी बड़ी कम्पनी ने 23 वर्षो में कितने कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड का लाभ दिया और कितने कर्मचारियों को वंचित रखा, ये एक निष्पक्ष जांच का विषय है.
श्रम कानूनों का लाभ श्रमिकों को नहीं मिलता
एक सत्य ये भी है की कर्मचारी भविष्य निधि और अन्य श्रम कानूनों का लाभ श्रमिकों के बड़े तबके को नहीं मिलता है. क्योंकि हम जानते है कि, भारत में बहुत बड़ा हिस्सा असंगठित मजदूरों का है. जिन्हें इन सुविधाओं का लाभ बहुत कम ही मिल पाता है. सरकारें अपने इन फैसलों से केवल औपचारिकता पूरी करती है. वो कभी भी इसे गंभीरता से लागू नहीं करती और इसी कारण इसका लाभ गरीब कामगारों को नहीं मिलता. चाहे वो देश में न्यूनतम मजदूरी देने के नियम को लागू करने की बात हो, या फिर कई अन्य महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को लागू करने की बात हो.
कर्मचारी भविष्य निधि
भविष्य निधि कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है. भविष्य निधि खाते में कर्मचारी का अंशदान उसके संस्था में शामिल होने के बाद शुरू हो जाता है. ये अंशदान नियमित तौर पर किया जाता है. कर्मचारी अपने मासिक वेतन का एक छोटा हिस्सा भविष्य निधि के रूप में बचाता है, ताकि सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे इस बचत राशि का उपयोग कर सके. केंद्र सरकार लगातार कर्मचारियों को पीएफ के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है. सरकार का मकसद इस कदम के द्वारा मजदूरों की एक बड़ी संख्या को ईपीएफ स्कीम और सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है. जिससे कि उनका भविष्य काफी हद तक सुरक्षित हो सके.
श्रम अधिकारी खंडवा ने बताया कि, पीएफ का मामला हम नहीं देखते है, ये विभाग अलग है. कर्मचारियों को इसकी शिकायत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि, हाईकोर्ट के निर्देशानुसार ही अप्रैल माह की सैलरी कर्मचारियों की काटी गई है.