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गूगल ने ओडिशा के बिछड़े परिवार को खंडवा में मिलवाया, पिता को देख नहीं थमे बेटे के आंसू

जिले में वृद्ध आश्रम की संचालिका ने एक साल पहले अपने बिछड़े बुजुर्ग को उनके परिवार से मिलवाया है. ओडिशा के कुबेर नायक जगन्नाथ पूरी यात्रा करने गए थे. उसी दौरान रास्ता भटकने से वे खंडवा पहुंच गए थे.

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Published : Aug 4, 2019, 2:47 PM IST

गूगल ने ओडिशा के बिछड़े परिवार को खंडवा में मिलवाया

खंडवा। वृद्ध आश्रम की संचालिका के अथक प्रयासों और गूगल की मदद से अपने परिजनों से बिछड़े चुके एक वृद्ध को उनके परिजनों से मिलवाया गया. इतने दिनों के बाद अपने बेटे को देख वृद्ध कुबेर नायक फूट-फूटकर रोने लगे. दरअसल, एक साल पहले ओडिशा के कुबेर नायक जगन्नाथ पूरी यात्रा करने गए थे. लौटने के दौरान गलत ट्रेन में बैठ गए और भटकते-भटकते खंडवा आ पहुंचे.

गूगल ने ओडिशा के बिछड़े परिवार को खंडवा में मिलवाया


25 जुलाई को खंडवा के जावर थाना क्षेत्र के सतवाड़ा गांव में एक अज्ञात व्यक्ति के मिलने की सूचना मिला. उड़िया भाषी होने के कारण वृद्ध की भाषा यहां कोई समझ नहीं पा रहा था. जिसके बाद इन्हें क्षेत्र के दादाजी वृद्ध आश्रम भेज दिया गया. यहां वृद्ध की काउंसिलिंग में उसने अपने आप को नयागढ़ स्थान का निवासी बताया, जिसके आधार पर आश्रम संचालक अनिता सिंह ने नयागढ़ को गूगल पर सर्च किया, तो यह गांव ओडिशा में निकला.


आश्रम संचालिका अनिता सिंह ने वहां के एसपी से बुजुर्ग की बात करवाई. बुजुर्ग ने पुलिस को सारी जानकारी दी. जिसके बाद ओडिशा ने पुलिस बुजुर्ग के परिजनों के बारे में पता लगाया. इसके बाद पुलिसकर्मी ने परिजनों से बुजुर्ग की मोबाइल पर वीडियो कॉल से उसकी पहचान करवाई. परिजनों ने बुजुर्ग की पहचान कर उन्हें लेने तत्काल खंडवा आ गए.

खंडवा। वृद्ध आश्रम की संचालिका के अथक प्रयासों और गूगल की मदद से अपने परिजनों से बिछड़े चुके एक वृद्ध को उनके परिजनों से मिलवाया गया. इतने दिनों के बाद अपने बेटे को देख वृद्ध कुबेर नायक फूट-फूटकर रोने लगे. दरअसल, एक साल पहले ओडिशा के कुबेर नायक जगन्नाथ पूरी यात्रा करने गए थे. लौटने के दौरान गलत ट्रेन में बैठ गए और भटकते-भटकते खंडवा आ पहुंचे.

गूगल ने ओडिशा के बिछड़े परिवार को खंडवा में मिलवाया


25 जुलाई को खंडवा के जावर थाना क्षेत्र के सतवाड़ा गांव में एक अज्ञात व्यक्ति के मिलने की सूचना मिला. उड़िया भाषी होने के कारण वृद्ध की भाषा यहां कोई समझ नहीं पा रहा था. जिसके बाद इन्हें क्षेत्र के दादाजी वृद्ध आश्रम भेज दिया गया. यहां वृद्ध की काउंसिलिंग में उसने अपने आप को नयागढ़ स्थान का निवासी बताया, जिसके आधार पर आश्रम संचालक अनिता सिंह ने नयागढ़ को गूगल पर सर्च किया, तो यह गांव ओडिशा में निकला.


आश्रम संचालिका अनिता सिंह ने वहां के एसपी से बुजुर्ग की बात करवाई. बुजुर्ग ने पुलिस को सारी जानकारी दी. जिसके बाद ओडिशा ने पुलिस बुजुर्ग के परिजनों के बारे में पता लगाया. इसके बाद पुलिसकर्मी ने परिजनों से बुजुर्ग की मोबाइल पर वीडियो कॉल से उसकी पहचान करवाई. परिजनों ने बुजुर्ग की पहचान कर उन्हें लेने तत्काल खंडवा आ गए.

Intro:खंडवा - एक साल से पहले उड़ीसा के वृद्ध कुबेर नायक भगवान जगनाथ के दर्शन के लिए निकले और लेकिन गलत ट्रेन में बैठकर रास्ता भटक गए. परिजनों द्वारा एक महीने तक पूछ-पड़ताल करने पर भी वे नही मिले. वहीं इधर 25 जुलाई को खंडवा के जावर थाना में वृद्ध कुबेर की सूचना दी लेकिन उड़िया भाषा नही समझ पाने के कारण उन्होंने वृद्ध को खंडवा के दादाजी वृद्धा आश्रम भेज दिया. जहां से उसकी काउंसिलग के बाद उसकी पहचान उड़ीसा के नयागढ़ जिले निवासी के रूप में हुई. आश्रम कर्मचारियों ने कुबेर के खंडवा में होने की सूचना वहां के स्थानीय पुलिस स्टेशन में दी. जानाकरी के बाद पता चला. जिले में पहले से कुबेर नायक की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हैं परिजनों का पता चला और उसके बाद एक साल से बिछड़े कुबेर को अपने परिवार से मिलवाने की कोशिश मुक्कमल हो गई.


Body:दरअसल 25 जुलाई को खंडवा के जावर थाना क्षेत्र के सतवाड़ा गाँव के एक अज्ञात व्यक्ति के मिलने की सूचना दी. जहां से उसे खंडवा के दादाजी वृद्धा आश्रम भेज दिया गया. वृद्ध की काउंसिलिंग के बाद उड़ीसा के नयागढ़ स्थान का नाम मालूम पड़ा जिसके आधार पर आश्रम संचालक अनिता सिंह ने इंटरनेट पर नयागढ़ सर्च किया और वहां के स्थानीय पुलिस स्टेशन पर संपर्क किया पुलिस को वहां इस वृद्ध की गुमशुदगी की जानकारी लगी और वृद्ध कुबेर उम्र 70 वर्ष नयागढ़ के रूप में पहचान हो गई. जिसके बाद कुबेर नायक के पुत्र खंडवा आए करीब एक साल से बिछड़े कुबेर अपने पुत्र को देखकर भावुक हो गए कागज़ी कार्यवाही होने के बाद अपने पिता कुबेर नायक को घर ले गए
byte - भरत नायक , बेटा


Conclusion:एक साल दर-बदर भटकते भटकते कुबेर जब दादाजी वृद्धा आश्रम पहुंचे तो यहां आश्रम संचालक अनिता सिंह की सूझबूझ की बदौलत एक बिछड़े वृद्ध को अपने बेटे और परिवार से मिलना नसीब हो गया.
byte - अनिता सिंह , दादाजी आश्रम संचालक
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