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विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक के दायरे में प्रसिद्ध धूनीवाले दादाजी धाम, मंदिर के ट्रस्टी से खास बातचीत

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Published : Dec 22, 2019, 5:23 AM IST

Updated : Dec 22, 2019, 5:34 AM IST

विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 विधानसभा में पारित हो गया है. उज्जैन के महाकाल और सीहोर के मां सलकनपुर देवी मंदिर समेत प्रदेश के छह मंदिरों की व्यवस्थाओं का संचालन अब एक ही कानून के तहत होगा. शहर का प्रसिद्ध श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर भी इस विधेयक के दायरे में आता है.

dhuniwale dadaji dham
रसिद्ध धूनीवाले दादाजी धाम

खंडवा। विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 के पारित होते ही प्रसिद्ध श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर के ट्रस्ट की भी मान्यता खत्म हो गई है. इस मंदिर का संचालन कार्य अब एक सरकारी समिति करेगी. इस समिति में मुख्य भूमिका जिला कलेक्टर की होगी. साथ ही जिले के पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त संरक्षक सदस्य होंगे. इसके अलावा अन्य मनोनीत सदस्य भी शामिल रहेंगे. इस विधेयक के विधानसभा में पारित होने के बाद से राजनीति शुरू हो गई.

मंदिर के ट्रस्टी से खास बातचीत

'यह आश्रम है मंदिर नहीं'
विधेयक पारित होने के बाद खंडवा के दादाजी धूनीवाले मंदिर के ट्रस्टी सुभाष नागौरी ने निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि धूनीवाले दादाजी ने यहां आश्रम का निर्माण किया था और आज भी यह एक आश्रम है, जहां सब कुछ दादाजी की मर्जी से होता है, जो नियमावली दादाजी ने बनाई है, उसका पालन सालों से किया जा रहा है.

विरोध में धूनीवाले दादाजी मंदिर का ट्रस्ट
भाजपा ने सरकार के इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया है. वहीं धूनीवाले दादाजी ट्रस्ट के ट्रस्टी सुभाष नागौरी का कहना है कि औपचारिक रूप से उनके पास कोई नोटिस नहीं आया है. ट्रस्ट बोर्ड की बैठक 26 दिसंबर को रखी गई है. आगे की रणनीति पर ट्रस्ट निर्णय लेगा. उन्होंने विधेयक पर कहा यह विधेयक मंदिर के लिए है, जबकि दादाजी धाम एक आश्रम है मंदिर नही.

22 एकड़ जमीन की जमीन में बना है ट्रस्ट
1930 में धूनीवाले दादाजी के समाधि लेने के बाद छोटे दादाजी यानी हरिहर भोले भगवान ने 22 एकड़ जमीन खरीदकर यह ट्रस्ट बनाया था. 1993 में मध्यप्रदेश शासन और ट्रस्ट के बीच 17 साल तक इसके संचालन के लिए केस चला, जिसके बाद 2010 में जिला न्यायालय ने निर्णय दिया था कि इस ट्रस्ट में कोई अनियमितता नहीं है, इसे भंग नहीं किया जाए. इसके संचालन के लिए नियम बने हुए हैं. यहां किसी प्रकार की व्यवसायिकता नहीं हैं.

नए रूप में हो सकता है निर्माण
यहां की संपत्ति किसी व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि सभी दादाजी भक्तों के लिए है, जो यहां उनकी सेवा भक्ति के लिए आते हैं. इससे पूर्व में दादाजी धूनीवाले का चौरासी खंभों का मंदिर बनने की कार्य योजना बनाई जा रही थी. अब जबकि शासन ने इसे अपने अधीन करने का निर्णय लिया है. इसके बाद अब नए स्वरूप में दादाजी धूनीवाले का भव्य मंदिर निर्माण होगा.

विधानसभा में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित
मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के विधानसभा में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित किया हैं. इसके अंतर्गत प्रदेश के 6 प्रमुख मंदिरों को शामिल किया हैं. इसके बाद से अब इन मंदिरों के ट्रस्ट की मान्यता खत्म हो गई हैं. यहां अब जिला प्रशासन इनका पूर्ण रूप से संचालन कार्य करेगा. इन 6 मंदिरों में से एक जिले का दादाजी धूनीवाले मंदिर भी हैं. जिस पर यह विधेयक लागू होगा.

खंडवा। विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 के पारित होते ही प्रसिद्ध श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर के ट्रस्ट की भी मान्यता खत्म हो गई है. इस मंदिर का संचालन कार्य अब एक सरकारी समिति करेगी. इस समिति में मुख्य भूमिका जिला कलेक्टर की होगी. साथ ही जिले के पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त संरक्षक सदस्य होंगे. इसके अलावा अन्य मनोनीत सदस्य भी शामिल रहेंगे. इस विधेयक के विधानसभा में पारित होने के बाद से राजनीति शुरू हो गई.

मंदिर के ट्रस्टी से खास बातचीत

'यह आश्रम है मंदिर नहीं'
विधेयक पारित होने के बाद खंडवा के दादाजी धूनीवाले मंदिर के ट्रस्टी सुभाष नागौरी ने निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि धूनीवाले दादाजी ने यहां आश्रम का निर्माण किया था और आज भी यह एक आश्रम है, जहां सब कुछ दादाजी की मर्जी से होता है, जो नियमावली दादाजी ने बनाई है, उसका पालन सालों से किया जा रहा है.

विरोध में धूनीवाले दादाजी मंदिर का ट्रस्ट
भाजपा ने सरकार के इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया है. वहीं धूनीवाले दादाजी ट्रस्ट के ट्रस्टी सुभाष नागौरी का कहना है कि औपचारिक रूप से उनके पास कोई नोटिस नहीं आया है. ट्रस्ट बोर्ड की बैठक 26 दिसंबर को रखी गई है. आगे की रणनीति पर ट्रस्ट निर्णय लेगा. उन्होंने विधेयक पर कहा यह विधेयक मंदिर के लिए है, जबकि दादाजी धाम एक आश्रम है मंदिर नही.

22 एकड़ जमीन की जमीन में बना है ट्रस्ट
1930 में धूनीवाले दादाजी के समाधि लेने के बाद छोटे दादाजी यानी हरिहर भोले भगवान ने 22 एकड़ जमीन खरीदकर यह ट्रस्ट बनाया था. 1993 में मध्यप्रदेश शासन और ट्रस्ट के बीच 17 साल तक इसके संचालन के लिए केस चला, जिसके बाद 2010 में जिला न्यायालय ने निर्णय दिया था कि इस ट्रस्ट में कोई अनियमितता नहीं है, इसे भंग नहीं किया जाए. इसके संचालन के लिए नियम बने हुए हैं. यहां किसी प्रकार की व्यवसायिकता नहीं हैं.

नए रूप में हो सकता है निर्माण
यहां की संपत्ति किसी व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि सभी दादाजी भक्तों के लिए है, जो यहां उनकी सेवा भक्ति के लिए आते हैं. इससे पूर्व में दादाजी धूनीवाले का चौरासी खंभों का मंदिर बनने की कार्य योजना बनाई जा रही थी. अब जबकि शासन ने इसे अपने अधीन करने का निर्णय लिया है. इसके बाद अब नए स्वरूप में दादाजी धूनीवाले का भव्य मंदिर निर्माण होगा.

विधानसभा में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित
मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के विधानसभा में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित किया हैं. इसके अंतर्गत प्रदेश के 6 प्रमुख मंदिरों को शामिल किया हैं. इसके बाद से अब इन मंदिरों के ट्रस्ट की मान्यता खत्म हो गई हैं. यहां अब जिला प्रशासन इनका पूर्ण रूप से संचालन कार्य करेगा. इन 6 मंदिरों में से एक जिले का दादाजी धूनीवाले मंदिर भी हैं. जिस पर यह विधेयक लागू होगा.

Intro:खंडवा। मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के विधानसभा में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित किया हैं. इसके अंतर्गत प्रदेश के 6 प्रमुख मंदिरों को शामिल किया हैं. इसके बाद से अब इन मंदिरों के ट्रस्ट की मान्यता खत्म हो गई हैं. यहां अब जिला प्रशासन इनका पूर्ण रूप से संचालन कार्य करेगा. इन 6 मंदिरों में से एक जिले का दादाजी धूनीवाले मंदिर भी हैं. जिस पर यह विधेयक लागू होगा. विधेयक पारित होने के बाद खंडवा के दादाजी धूनीवाले मंदिर के ट्रस्टी सुभाष नागौरी ने निराशा जताई हैं. उन्होंने कहा कि धूनीवाले दादाजी ने यहां आश्रम का निर्माण किया था और आज भी यह एक आश्रम हैं जहां सब कुछ दादाजी की मर्जी से होता हैं जो नियमावली दादाजी ने बनाई हैं उसका पालन सालों से किया जा रहा हैं.


Body:विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 के पारित होते ही जिले का प्रसिद्ध श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर के ट्रस्ट की भी मान्यता खत्म हो गई हैं. इसके चलते इस मंदिर का संचालन कार्य अब एक सरकारी समिति करेगी. इस समिति में मुख्य भूमिका जिला कलेक्टर की होगी साथ ही जिले के पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त संरक्षक सदस्य होंगे इसके अलावा अन्य मनोनीत सदस्य भी शामिल रहेंगे. इस विधेयक के विधानसभा में पारित होने के बाद से राजनीति शुरू हो गई भाजपा ने सरकार के इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया हैं. वहीं धूनीवाले दादाजी ट्रस्ट के ट्रस्टी सुभाष नागौरी का कहना है कि औपचारिक रूप से उनके पास कोई नोटिस नहीं आया है ट्रस्ट बोर्ड की बैठक 26 दिसंबर को रखी गई है आगे की रणनीति पर ट्रस्ट निर्णय लेगा. उन्होंने विधेयक पर कहा यह विधेयक मंदिर के लिए हैं जबकि दादाजी धाम एक आश्रम हैं मंदिर नहीं हैं. 1930 में धूनीवाले दादाजी के समाधि लेने के बाद छोटे दादाजी यानी हरिहर भोले भगवान ने 22 एकड़ जमीन खरीदकर यह ट्रस्ट बनाया था. 1993 में मध्यप्रदेश शासन और ट्रस्ट के बीच 17 साल तक इसके संचालन के लिए केस चला जिसके बाद 2010 में जिला न्यायालय ने निर्णय दिया था कि इस ट्रस्ट में कोई अनियमितता नही हैं इसे भंग नहीं किया जाए. इसके संचालन के लिए नियम बने हुए हैं. यहां किसी प्रकार की व्यवसायिकता नहीं हैं. यहां की संपत्ति किसी व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि सभी दादाजी भक्तों के लिए है जो यहां उनकी सेवा भक्ति के लिए आते हैं

byte - सुभाष नागौरी, ट्रस्टी दादाजी धूनीवाले आश्रम खंडवा।


Conclusion:इससे पूर्व में दादाजी धूनीवाले का चौरासी खंभों का मंदिर बनने की कार्य योजना बनाई जा रही थी अब जबकि शासन ने इसे अपने अधीन करने का निर्णय लिया है इसके बाद अब नए स्वरूप में दादाजी धूनीवाले का भव्य मंदिर निर्माण होगा.
Last Updated : Dec 22, 2019, 5:34 AM IST
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