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बसों को नहीं मिल रही सवारी, संचालक बना रहे व्यवसाय बदलने मूड - no passenger in khandwa

पिछले 6 महीने से बंद पड़ी यात्री बसों को मध्य प्रदेश सरकार ने भले ही चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन बस संचालकों को सवारी नहीं मिल रही हैं. जिससे बस ऑपरेटरों को ड्राइवर और कंडक्टर का और डीजल का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है.

Bus operators not able to ride bus due to no passenger in khandwa
बसों के नहीं मिल रही सवारी
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Published : Sep 23, 2020, 7:52 PM IST

खंडवा। कोरोना के चलते प्रदेश में पिछले 6 महीनों से बसों का परिवहन बंद था, जिसके चलते बसें जस की तस अपने स्थानों पर खड़ी रहीं. अब जब प्रदेश सरकार ने भले ही चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन बस संचालकों को सवारी नहीं मिल रही हैं. जिससे बस ऑपरेटरों को ड्राइवर और कंडक्टर का और डीजल का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है. बंद पड़ी बसों में जंग लगने लगा है, जिस कारण बस ऑपरेटर परेशान हैं. हालात यह है कि बस ऑपरेटर अपना व्यवसाय बदलने का सोच रहे हैं.

बसों के नहीं मिल रही सवारी

संचालक बना रहे व्यापर छोड़ने का मन
खंडवा के बड़े बस ऑपरेटर सुनील आर्य ने बताया कि उनकी 35 गाड़ियां संचालित होती थी, लेकिन पिछले 6 महीने से सभी गाड़ियां बंद पड़ी हुई है, जिससे गाड़ियों की हालत खराब हो रही है. सरकार ने टैक्स माफी का आश्वासन दिया है, लेकिन यह आदेश अभी तक अमल में नहीं लाया गया है. लॉकडाउन के बाद जहां डीजल की कीमतों में 15-20 रूपए की वृद्धि हुई है, लेकिन सरकार किराए बढ़ाने को लेकर के उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं. जिसके चलते व्यवसाय फिलहाल पूरी तरह ठप हो गया है. इक्का-दुक्का यात्री मिल रहे हैं, जिससे डीजल का खर्चा भी नहीं निकल रहा है, ऐसे में बस ऑपरेटर अब इस व्यवसाय को बदलने का विचार कर रहे हैं.

नहीं हो रही लागत की वसूली
जिले में पिछले 5 दिनों से आंशिक रूप से बस सेवा शुरू हुई है. अलग-अलग रूटों की इक्का-दुक्का बस चल रही है, जिन्हें घंटों खड़े रहने के बाद भी मात्र 2 से 5 सवारियां ही मिलती है. चालक और परिचालकों का कहना है की बसें चलाने के लिए 2,500 से 3,000 का डीजल लगता है, जबकि पूरी ट्रिप खत्म होने के बाद 800 से 900 रूपए हाथ में आते हैं. परिचालकों का कहना है कि कोरोना काल में लोग बसों में बैठना भूल गए हैं, कोरोना के डर से लोग अब अपने निजी साधनों से आवागमन करना ज्यादा उचित समझ रहे हैं.

इन रूटों पर होता है बसों का संचालन
खंडवा से, खंडवा-खरगोन-बड़वानी, खंडवा-इंदौर, खंडवा- बुरहानपुर, खंडवा- हरदा रूट के लिए ज्यादातर बसों का संचालन होत है. खंडवा शहर से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी बसों के माध्यम से ही ज्यादातर परिवहन होता है. फिलहाल इनमें से कुछ ही प्रमुख रूटों पर इक्का-दुक्का बसें चल रही हैं, जिसका कारण यही है कि यात्री कोरोना के चलते बसों का सफर करने से बच रहे हैं, जिससे बसों को सवारिया नहीं मिल रही है.

खंडवा। कोरोना के चलते प्रदेश में पिछले 6 महीनों से बसों का परिवहन बंद था, जिसके चलते बसें जस की तस अपने स्थानों पर खड़ी रहीं. अब जब प्रदेश सरकार ने भले ही चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन बस संचालकों को सवारी नहीं मिल रही हैं. जिससे बस ऑपरेटरों को ड्राइवर और कंडक्टर का और डीजल का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है. बंद पड़ी बसों में जंग लगने लगा है, जिस कारण बस ऑपरेटर परेशान हैं. हालात यह है कि बस ऑपरेटर अपना व्यवसाय बदलने का सोच रहे हैं.

बसों के नहीं मिल रही सवारी

संचालक बना रहे व्यापर छोड़ने का मन
खंडवा के बड़े बस ऑपरेटर सुनील आर्य ने बताया कि उनकी 35 गाड़ियां संचालित होती थी, लेकिन पिछले 6 महीने से सभी गाड़ियां बंद पड़ी हुई है, जिससे गाड़ियों की हालत खराब हो रही है. सरकार ने टैक्स माफी का आश्वासन दिया है, लेकिन यह आदेश अभी तक अमल में नहीं लाया गया है. लॉकडाउन के बाद जहां डीजल की कीमतों में 15-20 रूपए की वृद्धि हुई है, लेकिन सरकार किराए बढ़ाने को लेकर के उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं. जिसके चलते व्यवसाय फिलहाल पूरी तरह ठप हो गया है. इक्का-दुक्का यात्री मिल रहे हैं, जिससे डीजल का खर्चा भी नहीं निकल रहा है, ऐसे में बस ऑपरेटर अब इस व्यवसाय को बदलने का विचार कर रहे हैं.

नहीं हो रही लागत की वसूली
जिले में पिछले 5 दिनों से आंशिक रूप से बस सेवा शुरू हुई है. अलग-अलग रूटों की इक्का-दुक्का बस चल रही है, जिन्हें घंटों खड़े रहने के बाद भी मात्र 2 से 5 सवारियां ही मिलती है. चालक और परिचालकों का कहना है की बसें चलाने के लिए 2,500 से 3,000 का डीजल लगता है, जबकि पूरी ट्रिप खत्म होने के बाद 800 से 900 रूपए हाथ में आते हैं. परिचालकों का कहना है कि कोरोना काल में लोग बसों में बैठना भूल गए हैं, कोरोना के डर से लोग अब अपने निजी साधनों से आवागमन करना ज्यादा उचित समझ रहे हैं.

इन रूटों पर होता है बसों का संचालन
खंडवा से, खंडवा-खरगोन-बड़वानी, खंडवा-इंदौर, खंडवा- बुरहानपुर, खंडवा- हरदा रूट के लिए ज्यादातर बसों का संचालन होत है. खंडवा शहर से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी बसों के माध्यम से ही ज्यादातर परिवहन होता है. फिलहाल इनमें से कुछ ही प्रमुख रूटों पर इक्का-दुक्का बसें चल रही हैं, जिसका कारण यही है कि यात्री कोरोना के चलते बसों का सफर करने से बच रहे हैं, जिससे बसों को सवारिया नहीं मिल रही है.

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