कटनी। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण हर तरह के कारोबार में मंदी आ गई थी, जिससे चलते वहां काम करने वाले तमाम मजदूरों का रोजगार भी छिन गया था, और सभी मजदूरों ने मजबूरी में अपने घरों की तरफ रुख कर लिया था. लेकिन अब अनलॉक होने के बाद दोबारा से जिंदगी और व्यापार पटरी पर आ रही हैं, जिसके चलते अब उद्योगपतियों को मजदूरों की जरूरत महसूस होने लगी है, दरअसल ढीमरखेड़ा जनपद के रामपुर गांव में एक बस पहुंची, बस में 70 से ज्यादा लोग परिवार सहित विदिशा के लिए रवाना हुए, वहीं फिर आज 45 से 50 मजदूर जिले के एक सेठ अपने पैसे लेने जाने पहुंचे हैं.
इतना ही नहीं दूसरे प्रदेशों से लॉकडाउन के समय पैदल और भूखे प्यासे लौटे मजदूरों को वापस बुलाने कंपनियों के संचालक ट्रेनों में रिजर्वेशन कराकर भी वापस बुला रहे हैं. गांव के रहवासियों ने बताया है कि अनलॉक में अब बड़े उद्योगपतियों से लेकर छोटे फैक्ट्री संचालक मजदूरों को लेने के लिए गांव तक बस भेज रहे हैं , ऐसे ही स्थितियां जिले के दूसरे गांव में भी हैं, कई गांव से ग्रामीण मजदूरी करने बाहर जा चुके हैं जो रह गए हैं वह अलग-अलग साधन से जा रहे हैं या फिर जाने की तैयारी में हैं. मजदूरों ने बताया कि उन्हें गांव से दूर जाना अच्छा नहीं लगता है , मजबूरी के कारण जाना पड़ रहा है गांव में रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होने के कारण परेशानी हो रही है.
स्थानीय सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 7 सितंबर को कटनी दौरे के दौरान कलेक्टर को यह निर्देश दिए हैं कि यहां संचालित उद्योगों में स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल कराई जाए, लेकिन काम की कमी के कारण एक बार फिर मजदूर बड़े शहरों की ओर रुख कर रहे हैं.
यह भी जानें
- 34 हजार 550 प्रवासी मजदूर परिवार सहित कोरोना संकट काल में अन्य राज्य व शहरों से वापस गांव लौटे.
- 22 हजार श्रमिकों को रोजगार से जोड़ने का दावा जिला प्रशासन ने किया था जो बाहर से लौटे थे .
- 16 लाख 49 हजार मानव दिवस रोजगार अब तक अर्जित कर 133 करोड़ रुपए खर्च के साथ ही 25 तरह के कार्य प्रारंभ करने की बात अधिकारियों ने कही थी
- 1 लाख 30 हजार 144 एक्टिव जॉब कार्ड धारी श्रमिक जिले भर में जिन्हें प्रतिदिन काम करवाने का दावा था.
इन सभी दावों की पोल खोल रही है मजदूरों से भरी ये बसें जो दो वक्त की रोटी के लिए दूसरे शहर जानें को मजबूर हैं, उनको अपनी परिवार बच्चे भी पालना है, सरकार के वादों और प्रशासन के आश्नवासन से पेट थोड़ी भरता है साहब, योजनाएं एसी रूम में बैठकर बनाईं जाती हैं और उनका जमीन पर कोई खास असर नहीं होता है.