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छठ पूजा के लिए 48 साल पहले इस बुजुर्ग ने तैयार किया था घाट, खजुराहों में धूमधाम से मनाया पंचमी का पर्व

कटनी में जहां छठ पूजा करने के लिए 76 साल के कल्पनाथ सिंह ने सिमरार नदी पर पत्थर रखकर छोटा सा घाट तैयार किया. वहीं छतरपुर के खजुराहो में खरना के दिन सांसद विष्णुदत्त शर्मा के निर्देशों पर कन्याओं का पूजन एवं प्रसाद वितरण किया गया.

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Published : Nov 20, 2020, 7:18 AM IST

Updated : Nov 20, 2020, 9:33 PM IST

Worship of chhat
छठी माई की पूजा

कटनी। 76 साल के कल्पनाथ सिंह ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर छठ पूजा के लिए सिमरार नदी पर पत्थर रखकर छोटा सा घाट तैयार किया. ताकि वह और उनकी पत्नी छठ पूजा पूरी श्रद्धा के साथ कर सके. घाट के संरक्षक कल्पनाथ ने बताया कि उस समय यहां घना जंगल था. रास्ता बनाने के लिए पहले साल तो बांस एवं जंगल की दूसरी झाड़ियों को काटकर चलने लायक पगडंडी तैयार किया. फिर सिमरार नदी पर पूजा करने के लिए पत्थर रखकर छोटा सा घाट बनाया.

छठ पूजा के लिए कल्पनाथ सिंह ने बनाया घाट

दरअसल करीब 48 साल पहले जब छठ पर्व आया तो कल्पनाथ ने पत्नी से कहा कि अब हम भगवान सूर्य की उपासना साथ मिलकर करेंगे. जिसके बाद उन्होंने घाट तैयार करने का मन बना लिया और इसके बाद से हर साल इसी घाट पर छठ पर्व मना रहे हैं.

खजुराहो में कन्याओं का पूजन करके बांटे प्रसाद के रूप में बांटे फल

छतरपुर के खजुराहो में खरना के दिन सांसद विष्णुदत्त शर्मा के निर्देशों पर कन्याओं का पूजन के बाद फल, आहार, प्रसाद का वितरण किया गया. कार्तिक के पवित्र महीने में महिलाओं द्वारा कार्तिक स्नान के बाद पंचमी का पर्व बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया.

ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन व्रत करने वाले लोग साफ मन से अपने कुलदेवता और छठी माई की पूजा करके उन्हें गुड़ से बनी खीर का प्रसाद, ठेकुआ, चढ़ाती हैं. आज के दिन शाम होने पर गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है. प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत करने वाले लोगों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

कटनी। 76 साल के कल्पनाथ सिंह ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर छठ पूजा के लिए सिमरार नदी पर पत्थर रखकर छोटा सा घाट तैयार किया. ताकि वह और उनकी पत्नी छठ पूजा पूरी श्रद्धा के साथ कर सके. घाट के संरक्षक कल्पनाथ ने बताया कि उस समय यहां घना जंगल था. रास्ता बनाने के लिए पहले साल तो बांस एवं जंगल की दूसरी झाड़ियों को काटकर चलने लायक पगडंडी तैयार किया. फिर सिमरार नदी पर पूजा करने के लिए पत्थर रखकर छोटा सा घाट बनाया.

छठ पूजा के लिए कल्पनाथ सिंह ने बनाया घाट

दरअसल करीब 48 साल पहले जब छठ पर्व आया तो कल्पनाथ ने पत्नी से कहा कि अब हम भगवान सूर्य की उपासना साथ मिलकर करेंगे. जिसके बाद उन्होंने घाट तैयार करने का मन बना लिया और इसके बाद से हर साल इसी घाट पर छठ पर्व मना रहे हैं.

खजुराहो में कन्याओं का पूजन करके बांटे प्रसाद के रूप में बांटे फल

छतरपुर के खजुराहो में खरना के दिन सांसद विष्णुदत्त शर्मा के निर्देशों पर कन्याओं का पूजन के बाद फल, आहार, प्रसाद का वितरण किया गया. कार्तिक के पवित्र महीने में महिलाओं द्वारा कार्तिक स्नान के बाद पंचमी का पर्व बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया.

ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन व्रत करने वाले लोग साफ मन से अपने कुलदेवता और छठी माई की पूजा करके उन्हें गुड़ से बनी खीर का प्रसाद, ठेकुआ, चढ़ाती हैं. आज के दिन शाम होने पर गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है. प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत करने वाले लोगों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

Last Updated : Nov 20, 2020, 9:33 PM IST
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