कटनी। प्रदेशभर में स्वीट कॉर्न और मक्का की खेती के लिए प्रसिद्ध कटनी जिले के 3 गांव के किसानों को अच्छी फसल देखकर इस बार अच्छी खासी कमाई की आस थी, लेकिन वैश्विक महामारी के चलते वर्तमान में परिस्थितियां बदल गई हैं. स्थिति यह है कि सैकड़ों एकड़ में लहलहा रही मक्के की फसल को खरीदने के लिए अभी तक व्यापारी तेवरी गांव नहीं पहुंचे हैं. जिससे किसानों में निराशा है और उन्हें अब फसल में लगाई गई लागत के नुकसान होने की चिंता सताने लगी है.
कटनी जिले के समीप तेवरी ग्राम के भुट्टे की डिमांड प्रदेश के साथ नागपुर, बिहार और अन्य दूसरे प्रदेशों में भी काफी रहती है. लॉकडाउन में भी मक्के की अच्छी खासी खेती हुई. पिछले साल की अपेक्षा इस बार अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद किसानों में जगी थी, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, किसानों ने बताया कि लॉकडाउन लगने के कारण इस साल कम फसल बोई गई थी, लेकिन पैदावार अच्छी हुई थी लेकिन अब खरीददार नजर नहीं आ रहे हैं. यहां तक की हर साल सड़क के किनारे बरसात के समय दुकानें लगाकर स्वीट कॉर्न और देसी भुट्टे की दुकानें लगाकर कुछ पैसा कमा लेते थे, लेकिन इस बार देर से दुकानें लगाए हैं उन्हें भी पुलिस लगाने नहीं दे रही है.
तेवरी गांव के किसान माधव प्रसाद ने बताया कि 5 एकड़ में ही खेती की थी वो फसल पककर तैयार है और खेतों में लहलहा रही है, लेकिन अब इस फसल को खरीददार नहीं मिल रहे हैं, अगर यही स्थिति रही तो किसानों को भारी परेशानी होगी. वहीं तुलसा बाई ने बताया कि इस बार आंधी तूफान आने के बाद भी फसल अच्छी हुई है, लेकिन वो बाजार नहीं जा पा रहे हैं यहां तक की सड़कों में दुकान लगाकर बहुत से परिवार भुट्टा बेच लेते थे.
इस बार प्रशासन दुकानें भी नहीं लगाने दे रहा है ऐसी स्थिति में मक्का उत्पादक किसानों को व्यापक स्तर पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान राजकुमार कुशवाहा ने बताया कि एक तो कोरोना महामारी और दूसरी ओर आंधी तूफान के कहर से किसान परेशान हैं बाकि बची हुई कसर पुलिस, प्रशासन पूरा कर रहा है