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निजी बस मालिकों ने सरकार से की बीमा छूट और आर्थिक मदद की मांग

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Published : Jun 2, 2020, 7:26 AM IST

कटनी में लॉकडाउन के चलते निजी बस मालिकों को काफी नुकसान हो रहा है. जहां लॉकडाउन 5.0 में बस मालिकों को उम्मीद थी कि सरकार उन्हें बस चलाने की अनुमति देगी लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी जानकारी नहीं मिली है.

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निजी बस मालिकों ने सरकार से की आर्थिक मदद की मांग

कटनी। कटनी में निजी बस मालिक को जहां लॉकडाउन में आमदनी नहीं हो रही है. वहीं जिनकी बसें फाइनेंस मुक्त हैं, उन्हें हजार रूपए प्रतिदिन और जिनकी बसें फाइनेंस हैं उनको हजारों रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जेब से खर्च लग रहा है. प्रत्येक बस मालिक साल भर में सर्वाधिक मुनाफा गर्मी यानी वैवाहिक सीजन में कमा लेता था. लेकिन यह मुनाफा भी अब चला गया, जिससे बस मालिकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते बस मालिकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

शहर और ग्रामीण क्षेत्र के बस मालिकों से चर्चा में यह मुख्य बात सामने आई है कि प्रत्येक बस की दिन भर की कमाई सभी खर्चे काटकर हजार से लेकर 1500 के बीच होती है. कभी अगर खाली बस चल गई तो आमदनी नुकसान में भी चली जाती थी. सभी बस मालिक साल के 8 माह में होने वाले नफा नुकसान की भरपाई गर्मी के वैवाहिक सीजन में कर लेते थे. जिससे उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाती थीं, लेकिन वैवाहिक सीजन भी अब चला गया. अब सिर्फ उम्मीद है कि सरकार मदद करेगी. कई मोटर मालिक कहते हैं कि लॉकडाउन का टूटा बस मालिक अगले 4 साल तक उबर नहीं पाएगा. जिनकी बसें फाइनेंस हैं उनको 10 साल कम से कम भरने में लगेंगे.

बस मालिकों की सरकार से मांग है कि बस बीमा छूट सहित आर्थिक क्षति से राहत दिलाएं ताकि सभी बस संचालक परेशानी से उबर सकें. बस मालिक मुन्ना तेजाब ने बताया कि लॉकडाउन के पांचवे पड़ाव में उम्मीद थी कि सरकार मदद करते हुए बस को चलाने की अनुमति देगी लेकिन अभी तक कोई जानकारी नहीं आई. जिस कारण बस मालिक कर्ज और टैक्स के वजह से काफी परेशान हैं. आलम यह है कि आज भी बसों के पहिए थमे हुए हैं. अगर यही आलम रहा तो बस मालिक अपने वाहन चालकों सहित भूखों मरने की राह में आ जाएंगे.

कटनी। कटनी में निजी बस मालिक को जहां लॉकडाउन में आमदनी नहीं हो रही है. वहीं जिनकी बसें फाइनेंस मुक्त हैं, उन्हें हजार रूपए प्रतिदिन और जिनकी बसें फाइनेंस हैं उनको हजारों रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जेब से खर्च लग रहा है. प्रत्येक बस मालिक साल भर में सर्वाधिक मुनाफा गर्मी यानी वैवाहिक सीजन में कमा लेता था. लेकिन यह मुनाफा भी अब चला गया, जिससे बस मालिकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते बस मालिकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

शहर और ग्रामीण क्षेत्र के बस मालिकों से चर्चा में यह मुख्य बात सामने आई है कि प्रत्येक बस की दिन भर की कमाई सभी खर्चे काटकर हजार से लेकर 1500 के बीच होती है. कभी अगर खाली बस चल गई तो आमदनी नुकसान में भी चली जाती थी. सभी बस मालिक साल के 8 माह में होने वाले नफा नुकसान की भरपाई गर्मी के वैवाहिक सीजन में कर लेते थे. जिससे उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाती थीं, लेकिन वैवाहिक सीजन भी अब चला गया. अब सिर्फ उम्मीद है कि सरकार मदद करेगी. कई मोटर मालिक कहते हैं कि लॉकडाउन का टूटा बस मालिक अगले 4 साल तक उबर नहीं पाएगा. जिनकी बसें फाइनेंस हैं उनको 10 साल कम से कम भरने में लगेंगे.

बस मालिकों की सरकार से मांग है कि बस बीमा छूट सहित आर्थिक क्षति से राहत दिलाएं ताकि सभी बस संचालक परेशानी से उबर सकें. बस मालिक मुन्ना तेजाब ने बताया कि लॉकडाउन के पांचवे पड़ाव में उम्मीद थी कि सरकार मदद करते हुए बस को चलाने की अनुमति देगी लेकिन अभी तक कोई जानकारी नहीं आई. जिस कारण बस मालिक कर्ज और टैक्स के वजह से काफी परेशान हैं. आलम यह है कि आज भी बसों के पहिए थमे हुए हैं. अगर यही आलम रहा तो बस मालिक अपने वाहन चालकों सहित भूखों मरने की राह में आ जाएंगे.

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