कटनी। जिले में ब्लड कंपयूनेट सेपरेटर मशीन लगाने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई हस्तक्षेप याचिका के रूप में की जाएगी. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरण की डिवीजन बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए हैं कि याचिका को हस्तक्षेप याचिका में परिवर्तित कर कोरोना के इलाज में विचाराधीन मुख्य याचिका के साथ लिंक किया जाए. यह जनहित याचिका कटनी एनएसयूआई जिला अध्यक्ष दिव्यांशु मिश्रा अंशु एवं याचिकाकर्ता कटनी ब्लड डोनर्स वेलफेयर सोसायटी अध्यक्ष लोकेश एवं महिला बिग अध्यक्ष श्रेया रौनक खंडेलवाल की ओर से दायर की गई है.
कटनी में नहीं है ब्लड कंपोनेंट मशीन
याचिका में कहा गया कि कटनी जिले की आबादी 10 लाख से अधिक है, और तो और जिले से लगे उमरिया, पन्ना, सतना जिले सहित अन्य जिलों के मरीज कटनी जिला चिकित्सालय में आते हैं. इसके बावजूद जिला अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट मशीन नहीं है और थैलेसीमिया, एनीमिया और ब्लड कैंसर के मरीजों को नियमित प्लाज्मा की जरूरत होती है. यह मशीन न होने से मरीजों को 100 किलोमीटर दूर जबलपुर जाना पड़ता है.
12 जनवरी को रखी गई थी मशीन की मांग
याचिका में कोरोना में दी जाने वाली प्लाज्मा का भी जिक्र किया गया है. प्लाज्मा के लिए जबलपुर आने जाने में मोटी रकम लगती है और समय भी खराब होता है. उक्त मामले में कटनी सीएमएचओ ने 13 जनवरी 2021 को पत्र लिखकर ब्लड कंपोनेंट प्लाज्मा एफरेसिस मशीन लगाने की मांग भी की थी.
MP स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बिहार से बदतर
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में कहा है कि कोविड-19 के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कारगार नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश सोनी ने तर्क दिया है कि गर्भवती महिलाओं को खून की कमी होने से प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है. गर्भवती महिलाओं को प्लेटलेट्स के लिए जबलपुर जाना पड़ता है. इस दौरान कई महिलाओं की मौत भी हो जाती है.