झाबुआ। विश्वभर में भले ही कोरोना संक्रमण अपना कहर कर दिखा रहा हो लेकिन प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ में नशे का कारोबार करने वालों पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. नशे का अवैध कारोबार करने वालों ने लॉकडाउन के दौरान खूब तस्करी की और नशे के शौकीनों तक उनकी डिमांड के मुताबिक नशे की वस्तुएं भी पहुंची. इस कड़ी में झाबुआ जिला भी पीछे नहीं रहा. यहां अवैध शराब तस्करों के लिए क्या लॉकडाउन और क्या अनलॉक. शराब तस्करों के हौसले बुलंद रहे और तस्करी भी बहुत हुई.
झाबुआ में नशे के लिए शराब सबसे लोकप्रिय है. यहां भले ही मेट्रो सिटी की तरह कोकीन और ब्राउन शुगर की डिमांड-सप्लाई न हो लेकिन शराब की तस्करी बड़े पैमाने पर की जाती है, जिसका प्रमाण खुद पुलिस और आबकारी विभाग भी देते हैं.
लॉकडाउन में हुए 423 मामले दर्ज
आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले में कोरोना संकटकाल में जहां शहर से गांव, बस के पहियों से लेकर कारखाने की मशीनों, बाजार की दुकानों से चाय की गुमटी तक सब बंद रहे लेकिन अवैध शराब कारोबार चरम पर रहा. कोरोनाकाल में अवैध शराब का कारोबार करने वाले इन माफियाओं ने आपदा को भी अवसर में बदल लिया और इस दौरान अवैध शराब की तस्करी कर खूब चांदी बटोरी. इस बात की पुष्टि खुद पुलिस और आबकारी विभाग के आंकड़े करते हैं. बड़े पैमाने पर अवैध शराब की शिकायतों के बाद लॉकडाउन के दौरान (25 मार्च से 30 जून तक) पुलिस और आबकारी विभाग ने शराब तस्करी के 423 मामले दर्ज किए हैं.
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झाबुआ पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान महज एक मादक पदार्थ का मामला दर्ज किया है. बता दें जिले की सीमा गुजरात राज्य से सटी होने के कारण गुजरात तक अवैध शराब की सप्लाई यहां से खूब होती है. आदिवासी बाहुल्य झाबुआ में शराब का उपयोग बड़े पैमाने पर नशे के लिए किया जाता है.
कच्ची शराब के 222 मामले हुए हैं दर्ज
ग्रामीण इलाकों में कच्ची शराब (देसी) बनाने और बेचने के 222 मामलों में कार्रवाई करते हुए आबकारी विभाग ने लाखों रुपए की अवैध शराब भी जब्त की, जबकि जिले में नारकोटिक्स विभाग ने कोरोनाकाल मे मादक पदार्थ की तस्करी या सेवन का मामला दर्ज नहीं किया गया है.