झाबुआ। आदिवासी बाहुल्य जिला झाबुआ प्रदेश के उन पांच जिलों में शामिल हो गया है, जहां रिकवरी रेट 90 फीसदी के करीब पहुंच चुका है. अप्रैल में कोहराम मचाने वाले कोरोना संक्रमण की रफ्तार को अच्छे प्रशासनिक निर्णयों के चलते रोका जा सका. जिसके चलते जिले में नये मरीजों की संख्या अब सीमित होती जा रही है. वहीं एक्टिव मरीजों की संख्या भी कम होने लगी है.
घट रही संक्रमण की रफ्तार
मध्यप्रदेश के पश्चिमी और गुजरात से सटे झाबुआ जिले में बड़ी आबादी जनजाति समुदाय की है. यहां शिक्षा का स्तर और प्रतिशत भी अन्य जिलों के मुकाबले काफी कम है. बावजूद यहां के रहवासियों ने कोरोना कर्फ्यू के नियमों का पालन करते हुए संक्रमण की रफ्तार को रोकने में कामयाबी हासिल की है. जिले में अप्रैल महीने में संक्रमण दर 24 फीसदी था जो मई में घटकर महज 1.6 फीसदी ही रह गया है.
सीएम ने की तारीफ
झाबुआ जिले में कोरोना के पीक टाईम पर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया गया था. सीएम ने झाबुआ कलेक्टर रोहित सिंह के संक्रमित होने के बाद सोमेश मिश्रा को झाबुआ की जिम्मेदारी थी. झाबुआ पहुंचते ही सोमेश मिश्रा ने अपनी प्रशासनिक सूझ-बूझ से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन, पर्याप्त बेड सहित अन्य सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की. गांव के मरीजों का गांव में उपचार हो ऐसी व्यवस्थाओं के साथ-साथ पंचायत स्तर तक टेस्टिंग और संक्रमित मरीजों की ट्रेंसिंग के लिए अभियान चलाया गया ताकि संक्रमित मरीजों की पहचान कर उन्हें उपचार मुहैया करवाया जा सके, जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता मिली.
झाबुआ माॅडल अपनाने का सुझाव
गुरूवार शाम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर संभाग के जिलों में क्राईसिस मेनेजमेंट के सदस्यों के साथ बैठक ली. बैठक में झाबुआ कलेक्टर के कामो की तारीफ करते हुये अन्य जिलों को भी झाबुआ माॅडल को अपनाने की बात कहीं गई. गुजरात से सटे होने और आवागम में छुट होने के बावजूद यहां संक्रमण को नियंत्रित करना वास्तव में झाबुआ जिले के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.
ब्लैक फंगस में ना बरतें ढिलाई
वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान जिला कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने पेटलावाद में 100 बेड के सिविल अस्पताल के चालू होने की जानकारी दी. साथ ही वहां सीटी स्कैन मशीन की उपलब्धता के लिए सीएम से निवेदन भी किया. सीएम ने संभाग में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए कहा की ऐसे में मामलों में देरी बिल्कुल ना करे और मरीज की जानकारी मिलने पर उसे तुरंत उपचार के लिए प्रेरित करने की बात कही. वहीं 31 मई तक कड़ाई से कोरोना कर्फ्यू के नियमों के पालन करने की अपील के साथ-साथ संक्रमित गांवों-वार्डो, काॅलोनियों में मिनी कंटेमेंट झोन बनाने, टेस्टिंग में कमी ना रखने के साथ ही आयुष्मान भारत योजना के पात्र हितग्राहियों को शत-प्रतिशत कार्ड और वैक्सीनेशन पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए.