झाबुआ। शहर के लक्ष्मी नगर में पिछले 13 साल से जन सहयोग से श्री सद्गुरु गोशाला का संचालन किया जा रहा है. वर्तमान में यहां 60 गाय और 40 से अधिक बछड़े हैं. इसके संचालन के लिए गठित समिति के सदस्यों की संख्या 45 है. यहां पुलिस द्वारा पकड़ी गई गायों के साथ ही बीमार गाय को रखने के साथ उनकी देखभाल की जाती है. चूंकि इन दिनो लंपी वायरस के मामले तेजी से बढ़े हैं, ऐसे में गौशाला संचालन समिति ने संक्रमित गायों को रखने के लिए अलग से एक क्वॉरेंटाइन सेंटर ही बना दिया.
सात गाय संक्रमित : सेंटर में संक्रमित गायों को रखने के इंतजाम हैं. फिलहाल यहां 7 संक्रमित गाय हैं. इन्हें रोजाना फिटकरी और नीम के पानी से नहलाया जा रहा है. इसके अलावा पशु चिकित्सा विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई दवाई दी जा रही है. गोशाला की सभी गायों को टीके भी लगाए जा चुके हैं. गौशाला समित ने अपील की है कि यदि आपको सड़क पर कोई संक्रमित गाय दिखे तो हमें बताएं. हम गौशाला में लाकर उसका उपचार करेंगे. गौशाला के पंकज सोनी ने ये अपील की है.
पशु हाट बाजार पर 12 नवंबर तक रोक : सीमावर्ती गुजरात और राजस्थान राज्य के साथ ही अब झाबुआ और राणापुर विकास खंड के गांवो में भी लंपी वायरस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने धारा 144 के तहत आगामी 12 नवंबर तक के लिए सभी पशु हाट बाजारों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस दौरान झाबुआ जिले में भी वाहनों के माध्यम से पशुओं का आवागमन पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगा. किसी भी माध्यम से न तो पशुओं को झाबुआ से बाहर ले जा सकेंगे और नहीं अन्य जिलों से पशुओं को यहां लाया जा सकेगा. लंपी रोग से पीड़ित पशुओं को गांव के सार्वजनिक जल स्त्रोत जैसे नदी-तालाब पर पानी पिलाया जाना भी प्रतिबंधित किया गया है.
दो गांवों में ज्यादा मामले : अपर कलेक्टर एसएस मुजाल्दा के अनुसार राणापुर विकासखंड के गांव-गवसर और झाबुआ विकासखंड के गांव पिटोल में लंपी वायरस के मामले ज्यादा मिले हैं. ऐसे में भारत सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार रोग नियंत्रण के लिए पशुओं के आवागमन और हाट बाजार पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक हो गया है. सभी पशु हाट बाजारों पर 12 नवंबर तक के लिए प्रतिबंध लगाया गया है.
इन्हें प्रतिबंध से बाहर रखा : चूंकि बकरा-बकरी और मुर्गे-मुर्गी में लंपी वायरस से संक्रमित नहीं है, लिहाजा इनके क्रय-विक्रय पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं रहेगा. इसके अलावा दीपावली त्यौहार के पश्चात मनाए जाने वाले परंपरागत गाय गोहरी पर्व को भी प्रतिबंध से अलग रखा गया है. इस पर्व में पूरी तरह से स्वस्थ और वैक्सीनेटेड गोवंशीय पशुओं को शामिल किया जा सकेगा.
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