ETV Bharat / state

Jhabua News: ग्रामीणों ने बदल दी घाटी की तस्वीर, करोड़ों लीटर जल का संरक्षण, जानें क्या है हलमा परंपरा

झाबुआ में शिवगंगा के हलमा परंपरा के तहत बंजर पहाड़ी पर हजारों ग्रामीणों ने श्रमदान कर 40 हजार गढ्ढे बनाए. जल संगक्षण के लिए इस अभियान के तहत हजारों ग्रामीण लगातार हर साल ऐसे हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी के बावजूद कहीं कोई अव्यवस्था भी नहीं दिखी. जानें क्या है हलमा परंपरा.

jhabua news
झाबुआ में शिवगंगा हलमा
author img

By

Published : Feb 26, 2023, 10:19 PM IST

झाबुआ में शिवगंगा हलमा

झाबुआ। हाथ में गैंती-फावड़े और मन में जल संग्रहण का जज्बा लिए हजारों ग्रामीणों ने रविवार को हाथीपावा की बंजर पहाड़ी पर 3 घंटे श्रमदान कर करीब 40 हजार जल संरचनाओं का निर्माण किया है. वर्षाकाल में इससे लगभग 40 करोड़ लीटर पानी सीधे जमीन में उतरेगा. हलमा अभियान के तहत रविवार सुबह साढ़े 7 बजे ही ग्रामीण गैंती-फावड़े और तगारी के साथ हाथीपावा की पहाड़ी पर पहुंचे. खुदाई करने वाली जगह को पहले से चुन लिया गया था. जिसके बाद अलग-अलग सेक्टरों में ग्रामीणों ने खुदाई करना शुरू किया.

शिवगंगा का हलमा: हजारों ग्रामीणों ने श्रमदान कर 2 फीट गहरे, 2 मीटर लंबे और 2 फीट चौड़े गढ्ढे बनाए. जल संग्रहण के इस महाभियान में हजारों लोगों ने पानी के लिए पसीना बहाया. श्रमदान के बाद पहाड़ी की तस्वीर बदली नजर आई. जल प्रबंधन का महाभियान देखने के लिए एनआईटी,आईआईटी और इंजीनियरिंग के छात्र भी पहुंचे. हलमा अभियान का महत्व इस बात से ही लग जाता है कि इसमें ग्राम तलाई का युवक जहु डामोर खास तौर से श्रमदान करने पहुंचा. सोमवार को उसकी शादी है हल्दी लगी होने के बावजूद वह अपने परिवार और मित्रों के साथ हलमा परंपरा का हिस्सा बना.

Read More: झाबुआ से जुड़ी अन्य खबरें भी पढ़ें

झाबुआ के लिए 143 दिनों का पानी: शिवगंगा के महेश शर्मा ने बताया वर्षाकाल में एक जल संरचना में करीब 10 हजार लीटर पानी जमीन में उतरेगा. इस दृष्टि से 40 हजार संरचनाओं में एक वर्षाकाल में करीब 40 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होकर भूजलस्तर बढ़ाने में सहायक साबित होगा. चूंकि प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत 70 लीटर पानी की दरकार होती है इस लिहाज से 40 करोड़ लीटर पानी से एक दिन में करीब 51 लाख 14 हजार 285 लोगों की जरूरत पूरी की जा सकती है. इसे यदि झाबुआ नगर की 40 हजार की आबादी के लिहाज से देखा जाए तो करीब 143 दिन तक पानी की जरूरत पूरी हो सकती है.

झाबुआ में शिवगंगा हलमा

झाबुआ। हाथ में गैंती-फावड़े और मन में जल संग्रहण का जज्बा लिए हजारों ग्रामीणों ने रविवार को हाथीपावा की बंजर पहाड़ी पर 3 घंटे श्रमदान कर करीब 40 हजार जल संरचनाओं का निर्माण किया है. वर्षाकाल में इससे लगभग 40 करोड़ लीटर पानी सीधे जमीन में उतरेगा. हलमा अभियान के तहत रविवार सुबह साढ़े 7 बजे ही ग्रामीण गैंती-फावड़े और तगारी के साथ हाथीपावा की पहाड़ी पर पहुंचे. खुदाई करने वाली जगह को पहले से चुन लिया गया था. जिसके बाद अलग-अलग सेक्टरों में ग्रामीणों ने खुदाई करना शुरू किया.

शिवगंगा का हलमा: हजारों ग्रामीणों ने श्रमदान कर 2 फीट गहरे, 2 मीटर लंबे और 2 फीट चौड़े गढ्ढे बनाए. जल संग्रहण के इस महाभियान में हजारों लोगों ने पानी के लिए पसीना बहाया. श्रमदान के बाद पहाड़ी की तस्वीर बदली नजर आई. जल प्रबंधन का महाभियान देखने के लिए एनआईटी,आईआईटी और इंजीनियरिंग के छात्र भी पहुंचे. हलमा अभियान का महत्व इस बात से ही लग जाता है कि इसमें ग्राम तलाई का युवक जहु डामोर खास तौर से श्रमदान करने पहुंचा. सोमवार को उसकी शादी है हल्दी लगी होने के बावजूद वह अपने परिवार और मित्रों के साथ हलमा परंपरा का हिस्सा बना.

Read More: झाबुआ से जुड़ी अन्य खबरें भी पढ़ें

झाबुआ के लिए 143 दिनों का पानी: शिवगंगा के महेश शर्मा ने बताया वर्षाकाल में एक जल संरचना में करीब 10 हजार लीटर पानी जमीन में उतरेगा. इस दृष्टि से 40 हजार संरचनाओं में एक वर्षाकाल में करीब 40 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होकर भूजलस्तर बढ़ाने में सहायक साबित होगा. चूंकि प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत 70 लीटर पानी की दरकार होती है इस लिहाज से 40 करोड़ लीटर पानी से एक दिन में करीब 51 लाख 14 हजार 285 लोगों की जरूरत पूरी की जा सकती है. इसे यदि झाबुआ नगर की 40 हजार की आबादी के लिहाज से देखा जाए तो करीब 143 दिन तक पानी की जरूरत पूरी हो सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.