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पुलिस की दादागिरी, चालानी कार्रवाई के नाम पर ग्रामीणों से लूटमार

झाबुआ जिले में कलेक्टर के आदेश का हवाला देते हुए पुलिस लगातार ग्रामीणों पर कार्रवाई कर रही है. ग्रामीणों का कहना है कि जनधन खातों में सरकार द्वारा डाली गई राशि को निकालने आए थे, लेकिन पुलिस ने चालान के नाम पर वह भी हमसे ले लिए.

jhabua Police is unnecessarily challaning villagers
चालानी कार्रवाई के नाम पर ग्रामीणों से लूटमार
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Published : May 22, 2020, 11:41 PM IST

झाबुआ। जिले में कलेक्टर के आदेश पर पुलिस अलग-अलग थानों में दुपहिया वाहन चालकों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर रही है. कार्रवाई ऐसे वाहन पर की जा रही है, जिस पर एक से ज्यादा सवारी बैठी होती हैं. बता दें कि कलेक्टर ने लॉक डाउन के दौरान दुपहिया वाहन पर एक व्यक्ति और कार में तीन लोगों की आवाजाही को अनुमति दी थी, इसके बावजूद लोग आदेश को दरकिनार करते हुए इसका पालन नहीं कर रहे हैं. जिसके चलते पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ चालानी कार्रवाई कर रही है. लेकिन ग्रामीणोंकी की माने तो कलेक्टर के आदेश का हवाला देकर पुलिस हमसे ज्यादती कर रही है.

आदिवासी बहुल्य झाबुआ जिले के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले अधिकांश लोगों को कलेक्टर के इस आदेश की जानकारी नहीं है. लॉकडाउन-4 में बाजार खुलने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण अपनी मोटरसाइकिल एक से ज्यादा सवारी के रूप में कभी अस्पताल, तो कभी बैंक, तो कभी बाजार आने के लिए पहुंच रहे हैं. पुलिस ग्रामीणों की इस नासमझी का ज्यादा फायदा उठा रही है और ग्रामीण अंचल के लोगों के वाहनों को जब्त कर उनके खिलाफ चालानी कार्रवाई कर रही है. हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई में शहरी लोगों को लोकल का टैग लगाकर राहत पहुंचाई जा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि वो जनधन खातों से सरकार द्वारा डाले गए पांच सौ रूपए निकलवाने के लिए अपनी पत्नी को बिठा कर लाए थे. वहीं कुछ अस्पताल में उपचार के लिए अपने बुजुर्गों को लेकर गांव से शहर पहुंचे थे. मेघनगर के साईं चौराहे पर पुलिस ने उनके वाहन जब्त कर लिया, जिसके बाद उन्हें पैदल ही अस्पताल और बैंक जाना पड़ा.

ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो पैसे लोगों की राहत के लिए भेजे थे, वह पैसे पुलिस को चालान के रूप में जमा कर खाली हाथ घर लौट रहे हैं. ग्रामीणों की पुलिस ने एक न मानी और कलेक्टर के आदेश का हवाला देकर कानून लागू करवाने की बात कही.

झाबुआ। जिले में कलेक्टर के आदेश पर पुलिस अलग-अलग थानों में दुपहिया वाहन चालकों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर रही है. कार्रवाई ऐसे वाहन पर की जा रही है, जिस पर एक से ज्यादा सवारी बैठी होती हैं. बता दें कि कलेक्टर ने लॉक डाउन के दौरान दुपहिया वाहन पर एक व्यक्ति और कार में तीन लोगों की आवाजाही को अनुमति दी थी, इसके बावजूद लोग आदेश को दरकिनार करते हुए इसका पालन नहीं कर रहे हैं. जिसके चलते पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ चालानी कार्रवाई कर रही है. लेकिन ग्रामीणोंकी की माने तो कलेक्टर के आदेश का हवाला देकर पुलिस हमसे ज्यादती कर रही है.

आदिवासी बहुल्य झाबुआ जिले के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले अधिकांश लोगों को कलेक्टर के इस आदेश की जानकारी नहीं है. लॉकडाउन-4 में बाजार खुलने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण अपनी मोटरसाइकिल एक से ज्यादा सवारी के रूप में कभी अस्पताल, तो कभी बैंक, तो कभी बाजार आने के लिए पहुंच रहे हैं. पुलिस ग्रामीणों की इस नासमझी का ज्यादा फायदा उठा रही है और ग्रामीण अंचल के लोगों के वाहनों को जब्त कर उनके खिलाफ चालानी कार्रवाई कर रही है. हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई में शहरी लोगों को लोकल का टैग लगाकर राहत पहुंचाई जा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि वो जनधन खातों से सरकार द्वारा डाले गए पांच सौ रूपए निकलवाने के लिए अपनी पत्नी को बिठा कर लाए थे. वहीं कुछ अस्पताल में उपचार के लिए अपने बुजुर्गों को लेकर गांव से शहर पहुंचे थे. मेघनगर के साईं चौराहे पर पुलिस ने उनके वाहन जब्त कर लिया, जिसके बाद उन्हें पैदल ही अस्पताल और बैंक जाना पड़ा.

ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो पैसे लोगों की राहत के लिए भेजे थे, वह पैसे पुलिस को चालान के रूप में जमा कर खाली हाथ घर लौट रहे हैं. ग्रामीणों की पुलिस ने एक न मानी और कलेक्टर के आदेश का हवाला देकर कानून लागू करवाने की बात कही.

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