झाबुआ। जिले की नई कलेक्टर तन्वी हुड्डा वर्ष 2016 में उस वक्त सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने मैहर एसडीएम रहते हुए भाजपा की मातृ संस्था आरएसएस को नियमों का पाठ पढ़ा दिया था. आरएसएस के एक कार्यक्रम के लिए उन्होंने मां शारदा प्रबंध समिति के यात्री निवास के लिए नियमानुसार तीन दिन के किराए के रूप में एक लाख 30 हजार रुपए करवाए थे. इसके बाद उनका तबादला कर दिया गया था. 2014 बैच की आईएएस अफसर तन्वी हुड्डा झाबुआ की 47वीं कलेक्टर होंगी. उनकी छबि सख्त प्रशासक की है और वे जनहित में नए कदम उठाने से भी गुरेज नहीं करती. चूंकि झाबुआ में दो कलेक्टर को जिस तरह से हटाया गया, ऐसे में उन पर खुद को साबित करने का बहुत ज्यादा दबाव रहेगा. मीडिया से चर्चा में उन्होंने बताया उनका पूरा फोकस शासन की मंशानुरूप कार्य करते हुए योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का रहेगा.
यह था मैहर का पूरा मामला: आईएएस तन्वी हुड्डा 11 नवंबर 2016 को मैहर एसडीएम के रूप में पदस्थ हुई थीं. इसी दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम के लिए मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने मां शारदा प्रबंध समिति का यात्री निवास मांगा था. उस वक्त आईएएस तन्वी हुड्डा समिति की प्रशासक थी. उन्होंने आयोजकों को एक लाख 30 हजार रुपए किराया जमाने को कह दिया. संघ के कार्यक्रम के लिए विधायक यात्री निवास मुफ्त में चाहते थे, लेकिन प्रशासक तन्वी हुड्डा ने इसके लिए साफ इनकार कर दिया. विधायक ने तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल को मामले में हस्तक्षेप करने को कहा, लेकिन एसडीएम तन्वी हुड्डा ने नियमों का हवाला देते राशि जमा करवाने की बात कह दी. आखिरकार विधायक को पूरा किराया जमा करवाना पड़ा. हालांकि इस प्रकरण के बाद 16 मई 2017 को उन्हें मैहर से हटाते हुए नरसिंहगढ़ जिला राजगढ़ का एसडीएम बना दिया गया था.
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जिला पंचायत सीईओ के रूप में की थी अनूठी पहल: आईएएस तन्वी हुड्डा मंडला में जिला पंचायत सीईओ भी रहीं. इस दौरान उन्होंने एक आदेश जारी करते हुए सभी ग्राम प्रधानों से कहा था कि वे अपने क्षेत्र की ऐसी महिलाएं और बेटियां जो रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाती हैं उनकी पूरी जानकारी पंचायत सचिव और रोजगार सहायक को जरूर दें. उन्हें अपने साथ ले जाने वाले व्यक्ति का नाम, पता, मोबाइल नंबर और महिलाएं किस प्रदेश के किस गांव में रोजगार के लिए गई है, उसका पूरा ब्योरा पंचायत में रिकॉर्ड के रूप में रखा जाए. इसका उद्देश्य यही था कि रोजगार के लिए बाहर जाने वाली महिला या बेटी के साथ किसी तरह की अनहोनी न हो.
महज 195 दिन का कार्यकाल रहा रजनी सिंह का: रजनी सिंह ने झाबुआ कलेक्टर के रूप में 21 सितम्बर 2022 को पदभार ग्रहण किया था. वे महज 195 दिन ही कुर्सी पर रह सकीं. इसकी एक बड़ी वजह उनकी भाजपा संगठन के साथ पटरी नहीं बैठ पाना बताई जा रही है. भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया ने तो खुले तौर पर सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकालते हुए लिख दिया था कि जिला प्रशासन पूरी ताकत और जोश के साथ सरकार को डूबाने में लगा है चूंकि ये चुनावी साल है और भाजपा एक बार फिर झाबुआ में अपनी जमीन तलाशने में लगी है, ऐसे में प्रशासनिक सर्जरी के रूप में कलेक्टर रजनी सिंह को हटा दिया गया. उनके इस संक्षिप्त कार्यकाल की एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है, जिसे झाबुआ जिले के विकास के लिए अहम बताया जा सके.
चौथी बार होगी किसी महिला अधिकारी के हाथ में जिले की कमान: 2014 बैच की आईएएस तन्वी हुड्डा चौथी महिला अधिकारी होंगी जिनके हाथों में जिले की कमान रहेगी. इससे पूर्व जयश्री कियावत और डॉ. अरुणा गुप्ता भी कलेक्टर के रूप में यहां सेवाएं दे चुकी है.
जिले में कब, कब रही महिला कलेक्टर
- जयश्री कियावत: झाबुआ की पहली महिला कलेक्टर के रूप में जयश्री कियावत का कार्यकाल बेहद सफल रहा था. वे 14 सितम्बर 2011 से 3 अप्रैल 2014 तक झाबुआ में पदस्थ रही.
- डॉ अरुणा गुप्ता: दूसरी महिला कलेक्टर रही श्रीमती गुप्ता के समय पेटलावद ब्लास्ट हुआ था. वे 5 मई 2015 से 28 अगस्त 2016 तक पदस्थ रही.
- रजनी सिंह: रजनी सिंह का कार्यकाल सबसे कम दिन का रहा. उन्होंने 21 सितम्बर 2022 को पदभार ग्रहण किया और 3 अप्रैल 2023 की शाम को उनके स्थानांतरण आदेश आ गए.