झाबुआ। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कार्यालय पर लगा तिरंगा डैमेज होने के बाद भी लहरा रहा है. इसी भवन में दर्जनों अधिकारियों का कार्यालय है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या कलेक्टर ने अपने कार्यालय पर फहर रहे तिरंगे को कभी नहीं देखा. ये मामला अब तक प्रकाश में नहीं आया तो मानवीय भूल हो सकती है. जब इस मामले में कलेक्टर प्रबल सिपाहा से संपर्क साधने की कोशिश की गई तो उन्होंने उत्तर देना उचित नहीं समझा.
राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक तिरंगे के अपमान को लेकर एडीएम एसपीएस चौहान से संपर्क करना चाहा तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया. तब इसकी जानकारी झाबुआ एसडीएम एमएल मालवी को दी गई तो उन्होंने तत्काल तिरंगा बदलवाने का आश्वासन दिया. भारतीय ध्वज संहिता 2002 के मुताबिक किसी भी सरकारी कार्यालय पर या निजी तौर पर मैला या फटा तिरंगा नहीं फहराया जा सकता.
भारतीय ध्वज संहिता की कई गाइडलाइन बनी है. ध्वज संहिता के मुताबिक जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में नष्ट किया जाना चाहिए. कलेक्टर कार्यालय पर लहरा रहे फटे झंडे पर यहां काम करने वाले अधिकारियों की नजर आखिर क्यों नहीं पड़ी, ये बड़ा सवाल है.