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केंद्र के लिए संकटमोचक बनी मनरेगा योजना, हर ग्राम पंचायत में 250 मजदूरों को रोजगार - MNREGA

केंद्र की मोदी सरकार लॉकडाउन के दौरान रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है. इसी कड़ी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक स्थिति खराब होने से बचाने के लिए मनरेगा योजना मोदी सरकार के लिए संकटमोचक बन रही है.

central government is giving employment to villagers through mnrega
केंद्र के लिए संकटमोचक बनी मनरेगा योजना
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Published : Apr 29, 2020, 12:40 PM IST

झाबुआ। केंद्र की मोदी सरकार लॉकडाउन के दौरान रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है. इसी कड़ी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक स्थिति खराब होने से बचाने के लिए मनरेगा योजना मोदी सरकार के लिए संकट मोचक बन रही है. सरपंच बदिया मेडा ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादा मजदूर नहीं लगा पा रहे हैं.

केंद्र के लिए संकटमोचक बनी 'मनरेगा' योजना

संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस सरकार की इस योजना का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि, मनरेगा उनकी विफलताओं का जीता जागता प्रमाण है. कोरोना महामारी के चलते लड़खड़ाती औद्योगिक रफ्तार और खराब होती वित्तीय स्थितियों के बीच देश के श्रमिकों को मजदूरी देने के लिए मोदी सरकार इस योजना का सहारा ले रही है. महानगरों से लाखों की संख्या में लौट मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए इस योजना के तहत गांव में नए-पुराने विकास काम की स्वीकृति दी जा रही है.

सीईओ जनपद वीरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 20 अप्रैल से शासन ने काम शुरु करने के निर्देश दिए थे. मनरेगा के माध्यम से सार्वजनिक तलाब, प्रधानमंत्री आवास जैसे कामों पर मजदूरों को रोजगार मुहैया कराना शुरु कर दिया है. आदिवासी बहुल वाले झाबुआ जिले में 3 सौ 75 ग्राम पंचायत है. जिसके तहत प्रशासन ने यहां हर ग्राम पंचायत में ढ़ाई सौ श्रमिकों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है ताकि इस योजना के सहारे जिले में ज्यादा ज्यादा से मजदूरों को रोजगार दिया जा सके. सीईओ जनपद ने कहा कि सभी मजदूरों को एक एक मीटर दूर रहकर काम करने के निर्देश दिए है.

कोरोना संक्रमण के डर से ग्राम पंचायतों में मजदूर कम काम पर आ रहे हैं लेकिन आने वाले दिनों में ग्राम पंचायतों को लक्ष्य के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराने के लिए काम करना होगा ताकि पलायन से लौटे ग्रामीणों के सामने रोजगार का संकट ना आए.

झाबुआ। केंद्र की मोदी सरकार लॉकडाउन के दौरान रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है. इसी कड़ी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक स्थिति खराब होने से बचाने के लिए मनरेगा योजना मोदी सरकार के लिए संकट मोचक बन रही है. सरपंच बदिया मेडा ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादा मजदूर नहीं लगा पा रहे हैं.

केंद्र के लिए संकटमोचक बनी 'मनरेगा' योजना

संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस सरकार की इस योजना का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि, मनरेगा उनकी विफलताओं का जीता जागता प्रमाण है. कोरोना महामारी के चलते लड़खड़ाती औद्योगिक रफ्तार और खराब होती वित्तीय स्थितियों के बीच देश के श्रमिकों को मजदूरी देने के लिए मोदी सरकार इस योजना का सहारा ले रही है. महानगरों से लाखों की संख्या में लौट मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए इस योजना के तहत गांव में नए-पुराने विकास काम की स्वीकृति दी जा रही है.

सीईओ जनपद वीरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 20 अप्रैल से शासन ने काम शुरु करने के निर्देश दिए थे. मनरेगा के माध्यम से सार्वजनिक तलाब, प्रधानमंत्री आवास जैसे कामों पर मजदूरों को रोजगार मुहैया कराना शुरु कर दिया है. आदिवासी बहुल वाले झाबुआ जिले में 3 सौ 75 ग्राम पंचायत है. जिसके तहत प्रशासन ने यहां हर ग्राम पंचायत में ढ़ाई सौ श्रमिकों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है ताकि इस योजना के सहारे जिले में ज्यादा ज्यादा से मजदूरों को रोजगार दिया जा सके. सीईओ जनपद ने कहा कि सभी मजदूरों को एक एक मीटर दूर रहकर काम करने के निर्देश दिए है.

कोरोना संक्रमण के डर से ग्राम पंचायतों में मजदूर कम काम पर आ रहे हैं लेकिन आने वाले दिनों में ग्राम पंचायतों को लक्ष्य के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराने के लिए काम करना होगा ताकि पलायन से लौटे ग्रामीणों के सामने रोजगार का संकट ना आए.

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